परीक्षा की घड़ी !
पिछले लगभग डेढ़ महीने से देश में 18वें लोकसभा के चुनावों के लिए राजनीतिक गतिविधियां चलती आ रही हैं। चुनाव आयोग द्वारा यह चुनाव 7 चरणों में करवाने की घोषणा की गई थी। अब तक 6 चरण पूर्ण हो चुके हैं तथा अंतिम चरण में 1 जून को पंजाब सहित 8 राज्यों के लोग 57 लोकसभा सीटों के लिए अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे तथा 4 जून को चुनावों के परिणाम देश के लोगों के सामने आ जाएंगे।
यदि पंजाब की बात करें तो 2019 में हुए पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान भी प्रदेश की 13 सीटों के लिए अंतिम 7वें चरण में 19 मई को मतदान हुए थे तथा 23 मई को परिणाम घोषित किए थे। प्रदेश के 65.94 प्रतिशत मतदाताओं ने उन चुनावों में भाग लिया था। उन चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने 8, शिरोमणि अकाली दल ने 2, भाजपा ने 2 तथा एक सीट आम आदमी पार्टी ने जीती थी। उन चुनावों में प्रदेश में कांग्रेस ने 40.12 प्रतिशत, शिरोमणि अकाली दल ने 27.76 प्रतिशत तथा भाजपा ने 9.63 प्रतिशत तथा ‘आप’ ने 7.38 प्रतिशत मत हासिल किये थे। इसके अतिरिक्त अन्य कई पार्टियां तथा आज़ाद उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में थे, परन्तु वह कोई भी सीट जीतने में असफल रहे थे। इस बार प्रदेश में हो रहे चुनावों के लिए कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, भाजपा, शिरोमणि अकाली दल (बादल), शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर), बसपा, सी.पी.आई. तथा सी.पी.एम. आदि पार्टियां चुनाव मैदान में हैं। इसके अतिरिक्त बहुत-से आज़ाद उम्मीदवार भी अपनी किस्मत आज़मा रहे हैं तथा उनमें से कई आज़ाद उम्मीदवार तो विशेष रूप से चर्चा में हैं। यह अब 4 जून को सामने आने वाले परिणामों से ही पता चलेगा कि कौन-सी पार्टी कितनी सीटें जीतने में सफल होती है तथा कितने मत प्राप्त करती है तथा कौन-सा आज़ाद उम्मीदवार बाज़ी मारने में सफल होता है।
इन चुनावों के परिणाम 2027 में प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के पक्ष से भी अहम सिद्ध होंगे। इनसे यह भी पता चलेगा कि कांग्रेस जिसने पिछले चुनावों में 8 सीटें जीती थीं, वह इन सीटों को बनाए रखती है या इनमें कोई वृद्धि या कमी आती है। आम आदमी पार्टी के लिए तथा मुख्यमंत्री भगवंत मान के लिए भी यह चुनाव परीक्षा की तरह हैं, क्योंकि लगभग अढ़ाई वर्ष पहले हुए विधानसभा चुनावों में इस पार्टी को लोगों ने भारी समर्थन दिया था तथा यह 92 विधानसभा सीटें जीतने में सफल हुई थी, परन्तु अब प्रदेश के लोग इस पार्टी की ओर से 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान किए गए वायदों तथा दावों की रौशनी में इसकी कारगुज़ारी की जांच-पड़ताल करके अपना ़फतवा देंगे। इसके साथ ही यह भी देखना दिलचस्प होगा कि शिरोमणि अकाली दल, जिसने पिछले लोकसभा चुनावों में 2 सीटें हासिल की थीं, वह इस बार कितनी सीटें प्राप्त करता है, क्योंकि प्रदेश की इस क्षेत्रीय पार्टी की कारगुज़ारी पिछले विधानसभा चुनावों में भी ज्यादा अच्छी नहीं रही थी, इसी कारण शिरोमणि अकाली दल के वर्तमान नेतृत्व के लिए भी यह चुनाव एक तरह से प्रतिष्ठा का सवाल बने हुए हैं। अकाली दल के भविष्य की राजनीति इन चुनावों पर ही निर्भर करेगी। भारतीय जनता पार्टी जोकि पिछले लम्बे समय से शिरोमणि अकाली के साथ मिल कर प्रदेश में तीन लोकसभा सीटों पर ही लड़ती रही है, इस बार सभी 13 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इसने ये चुनाव अकेले लड़ने का फैसला 2027 के विधानसभा चुनावों में सत्ता के लिए अपनी दावेदारी को मज़बूत करने के उद्देश्य से किया है। अब यह देखना अहम होगा कि यह अपने उद्देश्य की पूर्ति कहां तक करने में सफल होती है?
यदि पिछले दिनों में पंजाब में अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों की ओर से चलाए गए चुनाव अभियान को देखा जाए तो यह बात उभर कर सामने आती है कि राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने एक-दूसरे पर निजी किस्म की बयानबाज़ी तो बहुत की है, परन्तु पंजाब के ज्वलंत मामलों विशेष तौर पर कृषि संकट, व्यापार, बेरोज़गारी (जिस कारण युवा व्यापक स्तर पर विदेशों को जा रहे हैं), प्रदूषण तथा असंतुलित पर्यावरण, भूमि निचले पानी का स्तर कम होना, बढ़ती जा रही नशाखोरी, रेत-बजरी का अवैध खनन तथा कालाबाज़ारी, गैंगस्टरवाद तथा अमन-कानून की अति बुरी स्थिति आदि के संबंध में उन्होंने कोई ज्यादा चर्चा नहीं की। वैसे अलग-अलग पार्टियों ने अपने चुनावी घोषणा-पत्रों में तथा भाषणों में पंजाब के विकास की बात ज़रूर की है। शिरोमणि अकाली दल ने ज़रूर पंजाब के लम्बे समय से लटकते आ रहे मामलों की बात अपने घोषणा-पत्र में एक बार फिर की है।
उक्त चुनावी दृश्य में आज पंजाब के सूझवान मतदाताओं के लिए यह परीक्षा की घड़ी है कि वह उपरोक्त राजनीतिक पार्टियों तथा उनके उम्मीदवारों में से कितने उम्मीदवारों में अपना विश्वास प्रकट करते हुए उन्हें अपने मतों से नवाज़ते हैं। पंजाब गुरुओं, स़ूिफयों तथा भक्ति लहर के संतों के प्रभाव वाली धरती है। सरबत का भला इस का आदर्श रहा है। यहां के लोगों ने हमेशा धार्मिक तथा जाति संकीर्णताओं से ऊपर उठ कर विचरण करने का यत्न किया है और अति नाज़ुक पस्थितियों में भी अपनी भाईचारक साझ बनाए रखी है। हमेशा लोकतंत्र में ही अपना दृढ़ विश्वास व्यक्त किया है। इस बार भी हमें यह पूरी उम्मीद है कि पंजाबी देश में नई सरकार बनाने के लिए तथा उस सरकार में पंजाब के योग्य प्रतिनिधित्व के लिए सोच-समझ कर अपने मत का इस्तेमाल करेंगे तथा उत्साह से मतदान करके देश में लोकतंत्र को और मज़बूत करने के लिए अपना अहम योगदान डालेंगे।