उप-चुनाव के परिणाम

विगत दिवस देश के 7 राज्यों के 13 विधानसभा क्षेत्रों में हुए उप-चुनावों में मुख्य रूप से कांग्रेस आगे रही है। इसके साथ ही पश्चिमी बंगाल में चाहे भारतीय जनता पार्टी ने अपना पूरा ज़ोर लगाया हुआ है, परन्तु इसके बावजूद अभी भी वहां ममता बैनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस पार्टी का प्रभाव बना दिखाई देता है। चाहे ये उप-चुनाव हुए तो भिन्न-भिन्न कारणों  के दृष्टिगत थे परन्तु पिछले समय में केन्द्र में तीसरी बार बनी मोदी सरकार के कारण देश भर में इन उप-चुनावों को दिलचस्पी के साथ देखा जा रहा था। देश में अक्सर चुनावों का सिलसिला चलता रहता है। आगामी मास में भी कई स्थानों पर उप-चुनाव होने हैं तथा कुछ राज्यों में विधानसभा के चुनाव भी होने जा रहे हैं।
राजनीतिक तौर पर इन उप-चुनावों में कांग्रेस को मिले समर्थन से उसका मनोबल इसलिए भी और बढ़ सकता है, क्योंकि पिछली लोकसभा चुनावों में चाहे कांग्रेस तथा उसके ‘इंडिया’ गठबंधन की भागीदार पार्टियां केन्द्र में सरकार तो नहीं बना सकी थीं, परन्तु कांग्रेस सहित ‘इंडिया’ गठबंधन की कुछ पार्टियां अधिक सीटें लेने में ज़रूर सफल हुई थीं। पंजाब में जालन्धर पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र के उप-चुनाव में आम आदमी पार्टी को बड़ी जीत प्राप्त हुई है। इसके उम्मीदवार महिन्द्र भगत लम्बी अवधि से भाजपा में रहे हैं। उनके पिता भगत चूनी लाल भी भाजपा के नेता रहे हैं तथा पंजाब में बनीं अकाली-भाजपा सरकारों के समय वह मंत्री भी रहे हैं। उनका इस क्षेत्र के एक स्थान पर एक साथ बस रही भगत बिरादरी में भी बड़ा आधार बना रहा है। वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में इस सीट से आम आदमी पार्टी की ओर से शीतल अंगुराल जीते थे। उनकी पार्टी की कारगुज़ारी से निराश होकर त्याग-पत्र देने से यह सीट खाली हुई थी। देश के सात प्रदेशों मध्य प्रदेश, बिहार, पंजाब, पश्चिमी बंगाल, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड तथा तमिलनाडु में हुए इन चुनावों में 13 में से 4 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों ने जीत प्राप्त की है तथा पश्चिमी बंगाल में तृणमूल कांग्रेस पार्टी की ओर से खड़े चारों उम्मीदवार भी जीत गए हैं। उन्होंने भाजपा के उम्मीदवारों को हराया है। भाजपा इन 13 में से मात्र 2 सीटें ले जाने में ही सफल हुई है जबकि तमिलनाडु में भी डी.एम.के. का ही एक विधायक जीता है। चाहे इन उम्मीदवारों के जीतने से एकाएक संबंधित विधानसभाओं पर कोई ज्यादा प्रभाव तो नहीं पड़ता परन्तु आगामी समय में अन्य पार्टियां हार के कारणों पर दृष्टिपात करते हुए अपनी नई रणनीतियां बनाने के लिए ज़रूर विवश होंगी।
इसी तरह आगामी कुछ मास में पंजाब में 4 विधानसभा क्षेत्रों मुक्तसर ज़िला के गिद्दड़बाहा, गुरदासपुर ज़िला के डेरा बाबा नानक, होशियारपुर ज़िला के चब्बेवाल तथा ज़िला बरनाला की बरनाला सीट पर उप-चुनाव हो रहे हैं। इस हेतु सभी पार्टियों को अपनी रणनीति तय करनी होगी परन्तु इसके साथ ही चुनाव आयोग को इस बात पर भी कड़ा पहरा दिये जाने की ज़रूरत है कि जालन्धर पश्चिमी के चुनाव की भांति इन चुनावों में व्यापक स्तर पर अनियमितताएं तथा खुल कर सरकारी तंत्र का दुरुपयोग न हो। यहां स्वस्थ राजनीति के लिए सदाचारक नैतिक मूल्य कायम रहने चाहिएं। इस सन्दर्भ में भारतीय चुनाव आयोग को भी उप-चुनावों में सत्तारूढ़ पार्टियों की ओर से की जाती धांधलियों का गम्भीर तथा कड़ा संज्ञान लेने की ज़रूरत होगी।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द