कारगिल का सबक
पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध को हुए 25 वर्ष बीत चुके हैं। इससे पहले भारत के साथ वह चार युद्ध लड़ चुका था तथा हर बार उसे जिस तरह नमोशी सहन करनी पड़ी थी उसी तरह ही कारगिल युद्ध में भी उसकी बुरी तरह हार हुई थी। पाकिस्तान की किस्मत को हमेशा सेना ही बनाती रही है। निर्वाचित सरकारें इस पक्ष से अक्सर बेबस दिखाई देती रही हैं। कारगिल युद्ध इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। एक तरफ दोनों देशों के प्रधानमंत्री लाहौर में स्नेह-भाव से मिलते हैं, भविष्य के लिए दोस्ती एवं सहयोग की योजनाएं बनाते हैं। दूसरी तरफ उसी ही समय पाकि सेना के जरनैल भारत के विरुद्ध षड्यन्त्र रचते हैं तथा भारत के क्षेत्रों पर कब्ज़े की योजना बना रहे होते हैं। लद्दाख में ज़िला कारगिल कश्मीर के उत्तरी भाग में लेह से श्रीनगर को जाते मुख्य मार्ग पर स्थित है। यहां इस समूचे पहाड़ी क्षेत्र में द्रास बटालिक एवं कारगिल आदि क्षेत्र आते हैं, जिनकी पहाड़ियों पर कब्ज़ा करना पाकिस्तान की सेना का लक्ष्य था। इन पहाड़ियों पर पाकिस्तान की सेना ने आतंकवादियों के नाम पर घुसपैठ करके बंकर बना लिए थे।
मई, 1999 में उन्होंने यह कार्रवाई पूरी कर ली। 3 मई, 1999 को एक चरवाहे ने ऐसी सूचना दी, जिसके बाद बर्फ के साथ ढकी इन पहाड़ियों में भारतीय सेना की खोज टीमें गईं। व्यापक स्तर पर किए गए ऐसे कब्ज़े की जानकारी सामने आने के बाद सेना के पास इसे हटाने के लिए युद्ध के बिना और कोई विकल्प नहीं रहा था। इस युद्ध में पाकिस्तान की पुन: हार हुई परन्तु उसने इसके बावजूद भारत के विरुद्ध अपने इरादों को नहीं त्यागा, अपितु आतंकवादी संगठनों द्वारा वह लगातार भारत को रक्त-रंजित करता आया है। 26 जुलाई को इस युद्ध के 25 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री द्वारा लद्दाख के द्रास में जहां कारगिल वार मैमोरियल की स्थापना की गई है, उस युद्ध में शहीद हुए जवानों को अपनी श्रद्धा के पुष्प भेंट करने गये। उन्होंने वहां सैनिक जवानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने इतिहास से कोई सबक नहीं लिया। वह स्वयं को क्षेत्र में प्रासंगिक रखने के लिए आतंकवादी गतिविधियों में लगा हुआ है। उन्होंने पाकिस्तान को यह चेतावनी भी दी कि उसके भारत विरोधी इरादे कभी पूरे नहीं होंगे।
भारत ने अपने पड़ोसी देश से दोस्ती करने तथा सहयोग बढ़ाने के लिए कई बार यत्न किए, परन्तु पाकिस्तान ने अपना रवैया नहीं बदला। इसी कारण वह भारत के विरुद्ध परोक्ष लड़ाई लड़ रहा है। आज पाकिस्तान अनेक मुश्किलों का सामना कर रहा है। आर्थिक पक्ष से उसके हालात बहुत दयनीय हो चुके हैं। विश्व के ज्यादातर देशों में उसे आतंकवादियों का सरगना माना जाने लगा है। नि:संदेह वहीं की बड़ी राजनीतिक पार्टियां, राजनीतिज्ञ तथा बहु-संख्यक जन-साधारण भारत के साथ संबंध सुधारना चाहते हैं, परन्तु वे बेबस दिखाई दे रहे हैं। यदि ऐसी स्थिति बनी रहती है तो जहां यह भारत के लिए दुर्भाग्यपूर्ण होगी, वहीं यह पाकिस्तान के लिए भी विनाशकारी साबित होगी। ऐसे टकराव के कारण आगामी समय में भी इस क्षेत्र के करोड़ों लोग नारकीय जीवन व्यतीत करने हेतु विवश होंगे। पाकिस्तान को अपनी भारत विरोधी नीति की निरर्थकता से सबक लेना चाहिए।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द