विकास योजनाओं को ग्रहण लगा रहा जनसंख्या विस्फोट

एक ब्रह्मांड, सात समुंद्र, 9 ग्रह, 200 से अधिक देश, आठ अरब से अधिक लोग। मानव ने बहुत उन्नति की है, पर सारी उन्नति/उपलब्धियों का कोई लाभ नहीं, क्योंकि मानव के आधुनिक विकास मॉडल ने हवा, पानी और आहार को ही दूषित कर दिया है। विश्व की तकरीबन आधी जनसंख्या चीन, भारत, रूस, अमरीका, ब्राज़ील, मैक्सिको, नाईजीरिया, इंडोनेशिया, पाकिस्तान और बांग्लादेश में रहती है। हिन्दुस्तान में तकरीबन 141 करोड़ लोग रहते हैं। हिन्दुस्तान ने स्वतंत्रता के बाद बहुत ज्यादा तरक्की की है। अंतरिक्ष विज्ञान में हम संसार के प्रथम पांच देशों में शामिल हैं। अमरीका के बाद हमारे पास विश्व का दूसरा बड़ा रेल नेटवर्क है। हम अंतरिक्ष में ‘छज्जु का चौबारा’ डालने, धरती पर बुलेट ट्रेन चलाने की बात कर रहे हैं। संसार में सबसे अधिक दूध का उत्पादन हिन्दुस्तान करता है। फलों के उत्पादन में चीन के बाद हमारा दूसरा नम्बर है। कभी हमारे पास खाने के लिये अनाज नहीं था पर हमारे स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने ऐसी योजना बनाई कि आज हमारे पास अनाज संभालने के लिए स्थान नहीं है। 
हिन्दुस्तान के रत्नों और आभूषणों की सम्पूर्ण विश्व में मांग है। कानपुर के चमड़ा उद्योग, मुरादाबाद के पीतल उद्योग, फिरोज़ाबाद के कांच उद्योग, लुधियाना के हौज़री/साईकिल उद्योग, अल्पी (केरल) के कारपेट उद्योग आदि ने विश्व में बड़ा और अहम स्थान बनाया है। हिन्दुस्तान की दवाइयों, आयुर्वेदिक/खादी उत्पादों, चाय,कॉफी, सूखे मेवों की सारे संसार में मांग है। मैडीकल टूरिज़्म में भारत का बड़ा नाम है। जालंधर के बड़े अस्पताल में वर्ष भर आंखों का ऑपरेशन करवाने वाले प्रवासी पंजाबियों की लाइन लगी रहती है। और तो और, इस अनोखे देश में ऋषिकेश, पालमपुर, धर्मकोट (धर्मशाला), बनारस, केरल के अलग-अलग स्थानों पर सम्पूर्ण विश्व से पर्यटक योग साधना सीखने आते हैं। हमारे पास हर वस्तु का बड़ा बाज़ार है। श्री अमृतसर के सरदार दिलप्रीत सिंह, फतेहगढ़ साहिब के तेजविंद्र सिंह रंगी, हरियाणा होशियारपुर के स. बलजीत सिंह बडवाल ने अभी-अभी ब्रैम्टन (कनाडा) में ‘दाना पानी’ नाम का रेस्टोरेंट खोला है। तीनों दोस्तों ने सारा सामान दिल्ली से खरीदा और समुद्री जहाज़ द्वारा कन्टेनर कनाडा भेजा। नि:संकोच भारत अब सपेरों का देश नहीं रहा पर कुछ कड़वी सच्चाइयां/मुसीबतें पर्वत समान सामने खड़ी हैं। क्योंकि हमारी जनसंख्या बहुत ज्यादा है। 
अगर हिंन्दुस्तान दूध उत्पादन में अग्रणी है तो यह भी कड़वा सच है कि भारत में प्रत्येक दूसरा बच्चा कुपोषण का शिकार है। यही कारण है कि भारत सरकार को मिड-डे-मील योजना आरंभ करनी पड़ी जिसका तकरीबन 12 करोड़ विद्यार्थी लाभ ले रहे हैं। यह स्कीम बेशक आठवीं तक के विद्यार्थियों के लिए है पर बहुगिनती में नौवीं/दसवीं के बच्चे भी भाईचारे के साथ मिड-डे-मील खा रहे हैं। बहुत कम आय पर काम करती महिलाओं के लिए भी मिड-डे-मील वरदान के समान है। कई लोगों का विचार है कि मिड-डे-मील योजना में नौवीं/दसवीं के विद्यार्थियों को भी शामिल करना चाहिये। जनसंख्या विस्फोट/महंगाई/बेरोज़गारी के वर्तमान दौर में दोनों वक्त का खाना/ प्लस-टू तक बच्चे को पढ़ाना भी बड़ा चैलेंज है। मेरे और आपके पड़दादा जी, दादा जी, पापा जी, खेत/बाज़ार से गोभी लेकर आये। गरीब और मध्यमवर्गीय पड़दादा, दादा और पापा जी गोभी लेकर ही आते हैं। ‘गुच्छी’ (खुंभ/मशरूम की उत्तम किस्म 20,000 रुपये किलो) क्यों नहीं लेकर आये। अल्फांसो आम क्यों नहीं.....? मामरा बादाम क्यों नहीं.....? अच्छे फल और सूखे मेवे आम आदमी की पहुंच से बाहर हैं। 
आम आदमी की जिंदगी तो कुल्चे छोले/चना भटूरा/ पूरी छोले, दाल रोटी, छबील, भंडारे के इर्द-गिर्द ही घूमती है। जनसंख्या अधिक होने कारण हमारी ज़िंदगी आधार कार्ड, पैन कार्ड, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, पीला कार्ड आदि के चक्कर में ही उलझी रहती है। हिन्दुस्तान की वास्तविक परिभाषा उस समय मिलती है जब आप बीमार होते हो। आपके सामने ‘कौण है दिंदा ढोई’ जैसे हालात होते हैं। अमीर आदमी तो अमरीका भी चला जायेगा। सरकारी कर्मचारियों, सैनिकों, स्वास्थ्य बीमा वालों का कोई न कोई ‘जोड़-तोड़’ हो ही जायेगा पर आम आदमी का क्या बनेगा....? भारत में 43486 प्राइवेट अस्पताल हैं और इनके पास 11 लाख 80 हजार बैड, 59264 आई.सी.यू., 29631 वैंटिलेटर हैं। देश में 25778 सिविल अस्पताल हैं और इनके पास 713986 बैड, 35700 आई.सी.यू, 17850 वैंटीलेटर हैं। 
आपने प्रसिद्ध शायर कुमार विश्वास को सुनाते/हंसाते/समझाते सुना होगा। कोरोना कहर के दौरान उनका वायरल वीडियो रौंगटे खड़े करने वाला था क्योंकि यह प्रभावशाली व्यक्ति भी अपनों को वैंटीलेटर नहीं उपलब्ध करवा सका था। कोरोना कहर के दौरान न केवल हमारे हवा में लटकते हैल्थ सिस्टम की वास्तविक तस्वीर सामने आयी बल्कि सरकारी सामाजिक सुरक्षा का भी जूलूस निकल गया। पी.जीआई. चंडीगढ़ के बरामदों, पार्कों, पगडंडियों पर उपेक्षित लोगों से मिलकर पता लगता है कि हम खड़े कहां हैं......? देश में तकरीबन 1113 विश्वविद्यालय हैं। भारत में 14 लाख 89 हजार 115 स्कूल हैं, जिनमें से 10 लाख 22 हजार 386 राजकीय पाठशालायें हैं। प्री-प्राइमरी से वरिष्ठ माध्यमिक कक्षाओं तक 26.52 करोड़ विद्यार्थी पढ़ते हैं। हमारे पास 95 लाख अध्यापक हैं। 
समय की मांग है कि हम अपना स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था को समय का साथी बनायें। देश में 706 मैडीकल कॉलेज हैं और हमारे पास केवल 108915 एम.बी.बी.एस. सीटें हैं। इनमें से 55000 सीटें सरकारी हैं। सीटें कम उम्मीदवार अधिक। एक अनार 100 बीमार। यही कारण है कि माईनिंग माफिया जैसा शिक्षा माफिया भी है। अगर नीट जैसी महत्वपूर्ण परीक्षा शक के घेरे में है तो बच्चों का क्या......? अब तो लोग यू.पी.एस.सी. को भी शक की निगाह से देखने लगे हैं। जनसंख्या विस्फोट-रिहायश और यातायात के क्षेत्र में रोज़ नयी समस्या पैदा कर रहा है। धड़ा-धड़ मकान बन रहे हैं और वन्य क्षेत्र घट गया है। पंजाब में उपजाऊ जमीन पर कालोनियां बन गई हैं । पटियाला, सरहिंद की ओर गांव बारन तक बढ़ गया है। हमीरपुर, ऊना, मण्डी, पालमपुर, शिमला, धर्मशाला, डल्हौजी कंकरीट के जंगल बन गये हैं। हमारे तकरीबन 3 करोड़ लोग विदेशों में जाकर बस गये हैं जिनमें से तकरीबन 95 लाख पंजाबी हैं। ‘आईलेटस’ ने हमारे शिक्षा तंत्र की जड़ें हिला दी हैं क्योंकि नौजवान विदेश जाना चाहता है। 
प्रवास में बेशक दर्द है पर भरपेट रोटी और अच्छा जीवन भी है। हमें जनसंख्या के प्रति गम्भीरता से सोचना पड़ेगा क्योंकि स्थिति बहुत ही विस्फोटक हो गई है। हमारा स्वास्थ्य तंत्र किसी दौर में नारा देता था ‘अगला बच्चा अभी नहीं.....दो या तीन के बाद कभी भी नहीं।’ सरकार ने यह नारा बदला ‘हम दो हमारे दो’। अब समय आ गया है कि सराकर नारा दे ‘हम दो हमारा एक’। केवल नारा ही नहीं, एक बच्चे वाले परिवार को विशेष वित्तीय लाभ भी मिलने चाहियें।

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