क्या भारत अभी पांचवीं अर्थव्यवस्था ही है ?

देश में भाजपा की तरफ से डंका बजाया जा रहा है कि जापान को पीछे छोड़ कर भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया, लेकिन दुनिया के दूसरे देश अब भी भारत को पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश ही मान रहे हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने भी भारत को पांचवीं अर्थव्यवस्था वाला देश बताते हुए ही पिछले दिनों भारत को जी-7 की बैठक में मेहमान देश के तौर पर शामिल होने का न्योता भेजा, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वीकार कर लिया है। इसके अगले दिन एक प्रैस कॉन्फ्रैंस में उनसे पूछा गया कि भारत को क्यों बुलाया गया तो इसका जवाब देते हुए कार्नी ने तीन बातें कही। पहली बात, भारत ग्लोबल सप्लाई चेन में बहुत महत्वपूर्ण है। दूसरी बात, भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है और तीसरी, भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है। ज़ाहिर है कि भारत को बुलाने का कारण कारोबारी है। भारत 140 करोड़ लोगों का देश है और कनाडा सहित पूरी दुनिया के लिए बाज़ार है। लेकिन उनकी बातों से ज़ाहिर हुआ कि अभी तक भारत आधिकारिक रूप से चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था नहीं बना है। नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने भी नसीहत दी थी कि साल के अंत तक इंतज़ार करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि जीडीपी के और आंकड़े आने के बाद ही यह बात आधिकारिक होगी, लेकिन उससे पहले नीति आयोग के सीईओ वी.बी.आरय सुब्रमण्यम ने दावा कर दिया और प्रधानमंत्री मोदी हर जगह यह बात कहने लगे।
तुर्किए का बहिष्कार ठंडा पड़ा
पहलगाम घटना के बाद पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों पर भारत की सैन्य कार्रवाई के दौरान तुर्किए ने पाकिस्तान को सिर्फ  नैतिक या कूटनीतिक समर्थन ही नहीं दिया था, बल्कि हथियार और तकनीक से भी मदद की थी। इसके बाद भारत में तुर्किए के बहिष्कार का अभियान शुरू हुआ था। तुर्किए के राष्ट्रपति से पहले कभी मिले फिल्म अभिनेता आमिर खान को देशद्रोही ठहराया जा रहा था। लोगों ने तुर्किए के टिकट रद्द करा दिए थे और उसके साथ कारोबार बंद करने की बातें हो रही थीं। दावा किया जा रहा था कि भारत के पर्यटक अगर वहां जाना बंद कर दें और कारोबार ठप हो तो तुर्किए की कमर टूट जाएगी। भारत की विमानन कंपनी इंडिगो पर दबाव डाला जा रहा था कि वह टर्किश एयरलाइन के साथ करार खत्म करे, लेकिन अब अचानक यह अभियान थम गया है। कहीं इसकी चर्चा नहीं सुनाई दे रही है। इसका कारण यह है कि भारत सरकार नहीं चाहती है कि तुर्किए के साथ संबंध एक सीमा से ज्यादा बिगड़े। असल में दुनिया के बहुत कम देश ऐसे हैं जिनके साथ कारोबार में भारत का फायदा होता है। ज्यादातर देशों के साथ कारोबार में भारत आयात ज्यादा करता है और निर्यात कम यानी व्यापार घाटा भारत को होता है। तुर्किए के साथ भारत आयात के मुकाबले करीब 25 हज़ार करोड़ रुपये का निर्यात ज्यादा करता है, इसलिए भारत को मुनाफा होता है। इसीलिए तुर्किए का विरोध करके देशभक्ति दिखाने का अभियान अब लगभग बंद हो गया है।
टाटा, अंबानी, मित्तल सब वेंडर हैं!
अगर यह खोजना हो कि भारत में ऐसा कौन उद्योगपति है, जिसने रिसर्च पर पैसा खर्च किया और अपना कोई प्रोडक्ट बनाया, जिसका इस्तेमाल देश और दुनिया में हो रहा है और उससे उसे कमाई हो रही है तो शायद दोनों हाथों की दस उंगलियां भी ज्यादा हो जाएं। यहां जो सबसे बड़ा उद्योगपति है, जो सबसे पुराना उद्योगपति है और जो एशिया मे नम्बर एक या नम्बर दो की पोजिशन पर है, वह भी या तो सरकार की कृपा से कोई उद्यम चला रहा है या किसी विदेशी कंपनी का वेंडर बन कर काम कर रहा है। दुनिया की बड़ी कंपनियां उनको अपना वेंडर या ठेकेदार बनाती है और वे खुशी-खुशी यह काम करते हैं। अभी खबर आई है कि आईफोन बनाने वाली अमरीकी कंपनी एपल ने टाटा समूह को अपने उत्पादों की रिपेयरिंग और सर्विस का काम दिया है। देश के सबसे पुराने उद्योग घराने और 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति वाली कंपनी का यह हाल है। वह एपल के उत्पादों के मेंटेंनेंस का काम करेगी। दूसरी खबर यह है कि राफेल की मेन बॉडी बनाने का ठेका भी टाटा को मिला है। सवाल है कि इतनी बड़ी कंपनी एपल या राफेल की तरह कोई उत्पाद बनाने के बारे में क्यों नहीं सोचती? इसी तरह अंबानी का रिलायंस जियो और सुनील भारती मित्तल की कंपनी एयरटेल भारत मे एलन मस्क के स्पेसएक्स की सेटेलाइट इंटरनेट सेवा के वेंडर बने हैं। दोनों का मस्क की कंपनी से करार हुआ है।
जस्टिस वर्मा महाभियोग का सामना नहीं करेंगे!
केंद्र सरकार संसद के मानसून सत्र में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ  महाभियोग लाने की तैयारी कर रही है। 21 जुलाई से संसद सत्र शुरू होने की घोषणा करते हुए संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार इस सिलसिले में सहमति बनाने के लिए सभी पार्टियों से बात कर रही है। गौरतलब है कि आज तक कोई भी जज महाभियोग के जरिए हटाया नहीं जा सका है। चार जजों के खिलाफ  महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन पूरी नहीं हो सकी। ज्यादातर ने उससे पहले ही इस्तीफा दे दिया। बताया जा रहा है कि महाभियोग प्रक्रिया शुरू होने से पहले या शुरू होते ही जस्टिस वर्मा इस्तीफा दे देंगे। पिछले प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने उनकी रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजने से पहले उन्हें इस्तीफा देने का विकल्प दिया था, लेकिन जस्टिस वर्मा ने इस्तीफा नहीं दिया। उनका अपने बचाव में कहना है कि दिल्ली स्थित उनके घर में कथित तौर पर नोटों से भरी जो बोरियां दिखाई गई, वो बरामद नहीं हुई हैं। वह कह रहे हैं कि उनके खिलाफ  सिर्फ  नोटों की बोरियों के वीडियो और फोटो हैं, लेकिन यह तर्क संसद में नहीं चल पाएगा। अगर विपक्ष सरकार का साथ देता है तो वह इस्तीफा दे देंगे। 
सुप्रिया सुले के रुख से भाजपा में संशय
महाराष्ट्र में शरद पवार और अजित पवार दोनों की पार्टियों के विलय की चर्चा जोरों पर है, लेकिन शरद पवार विलय की बजाय अपनी पार्टी का स्वतंत्र अस्तित्व रखते हुए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल होने का इरादा रखते हैं। भाजपा भी यही चाहती है, क्योंकि विलय होने पर एनसीपी एक मज़बूत ताकत हो जाएगी और अलग होने पर ज्यादा नुकसान कर सकती है। शरद पवार की पार्टी के राजग में जाने से उसे आठ लोकसभा सांसद मिल जाएंगे, लेकिन भाजपा इस मामले में पवार की बेटी सुप्रिया सुले के रवैये को लेकर आश्वस्त नहीं है। बताया जाता है कि शरद पवार की पहले भी राजग में शामिल होने संबंधी बात तय हो चुकी थी, लेकिन सुप्रिया सुले ने उन्हें ‘इंडिया’ ब्लॉक में ही रहने के लिए मना लिया। दरअसल सुप्रिया का रुझान कांग्रेस और गैर-भाजपा दलों की ओर है। अभी विदेश दौरे से लौट कर भी उन्होंने कांग्रेस प्रेम दिखाया है। वह ऑपरेशन सिंदूर पर विदेश गए एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रही थीं। लौटने के बाद उन्होंने कहा कि विदेशों में गांधी, नेहरू और इंदिरा को अब भी याद किया जाता है। उनकी यह बात भाजपा को कैसे पसंद आ सकती है? एक तरफ सुप्रिया सुले देश की बात कर रही थीं और पहलगाम घटना पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की कांग्रेस की मांग को खारिज कर दिया था, लेकिन दूसरी ओर वह विदेश में कांग्रेस के नेताओं का गुणगान भी कर रही हैं। इसीलिए भाजपा असमंजस में है कि वह क्या चाहती हैं?

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