मानवता के सेवी गुरु नानक
कार्तिक मास की पूर्णिमा को,
तलवंडी साबो में प्रकाश आया।
पिता मेहता और माता तृप्ता के,
कुल दीपक ने आंगन महकाया॥
बहन नानकी के लाडले ने,
साधु संतों का साथ पाया।
नूर को पा कर तलवंडी साबो,
‘ननकाना साहिब’ कहलाया॥
अंधविश्वासों का खंडन करके,
अध्यात्म की ओर कदम बढ़ाया।
सारे भेदभाव मिटाकर,
एक सांझा धर्म बनाया॥
एक पिता, एक के सब बच्चे,
ऊंच नीच को खत्म कराया।
सबका एक ही रब है कह कर,
जाति-पाति का भेद मिटाया॥
सच्ची श्रद्धा है असली भक्ति,
मानवता का पाठ पढ़ाया।
मानव सेवा है रब की सेवा,
यही सब को समझाया॥
अहंकार का त्याग करा कर,
मनुष्य को नि:स्वार्थ बनाया।
तेरा तेरा कह कर सबसे,
दूसरों को देना सिखलाया॥
मानव सेवा में लगा कर जीवन,
अंतिम समय करतारपुर में बिताया।
लहणा जी को गुरु गद्दी देकर,
सिख धर्म को आगे बढ़ाया॥
मानवता का पाठ पढ़ाया॥
-इंचार्ज, इलैक्ट्रॉनिकस एंड कम्यूनिकेशन
मेहर चंद पॉलिटैक्निक कॉलेज
जालंधर

