बनते-बिगड़ते संबंध
मलेशिया के कुआलालंपुर में आसियान देशों के सदस्यों की बैठक हो रही है। यहीं पर अलग रूप से भारत और अमरीका के रक्षा मंत्रियों की महत्त्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें रक्षा संबंधी बड़े-बड़े फैसले लिए गए। इस अनुसार दोनों ही देश आपस में 10 वर्षों के दौरान लगभग 2 लाख करोड़ रुपए की खरीद और बिक्री करेंगे। यहां तक भी कि भारत के हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटड और अमरीकी कम्पनी जी.ई. एयरोस्पेस द्वारा मिलकर भारत में एफ.-414 जैट इंजनों का उत्पादन भी किया जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस समय के दौरान कहा कि इस समझौते के साथ ही हम आपसी तालमेल व जानकारी सांझी करने के साथ-साथ तकनीकी सहयोग भी बढ़ा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पहले हमारे रक्षा संबंध इतने मज़बूत नहीं रहे, जितने अब हुए हैं। महत्त्वपूर्ण बात यह कि खुफिया जानकारियां सांझी करने का संकल्प भी लिया गया।
इस संबंध में एक और बड़ा समाचार यह भी मिला है कि आगामी वर्ष 19 से 26 फरवरी तक ‘मिलन’ युद्ध अभ्यास भी होगा, जिसमें अमरीका, रूस, ऑस्ट्रेलिया और जापान सहित 55 देशों की समुद्री सेना शामिल होगी। यह युद्ध अभ्यास बंगाल की खाड़ी में हिन्द-महासागर में किया जाएगा। विगत लम्बी अवधि से हिन्द-प्रशांत महासागरों में अधिकार के प्रभाव को लेकर अलग-अलग देशों में टकराव भी चलता रहा है, जिसमें विशेष रूप से चीन को मुख्य निशाने पर लिया जाता रहा है। चीन अपने साथ लगते समुद्र के बड़े भाग पर अपना अधिकार जता रहा है, जिससे उसके पड़ोसी दर्जनों ही देश परेशान हो चुके हैं। इन सागरों द्वारा विश्व भर के ज्यादातर देशों का आपसी व्यापार भी चलता है, जबकि चीन का दावा इसमें एक बड़ा अवरोध खड़ा करता प्रतीत होता है। अमरीका के साथ हुआ यह रक्षा समझौता आश्चर्य पैदा करने वाला ज़रूर है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सत्ता सम्भालते ही भारत सहित विश्व के ज्यादातर देशों द्वारा अमरीका को भेजी जाने वाली वस्तुओं पर भारी टैक्स लगा दिए थे, जिससे एक तरह से हलचल मच गई थी। ट्रम्प ने इसमें अपने पड़ोसी देश कनाडा को भी नहीं छोड़ा। चीन जैसे बड़ी आर्थिकता वाले देश के निर्यात पर भी भारी टैक्स लगा दिए थे। भारत से भी अमरीका को जाते सामान पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की गई थी और इसके साथ ही भारत को रूस से तेल न लेने की धमकी भी दी जाती रही। ट्रम्प ने शायद भारत पर दबाव बनाने के लिए कई बार पाक के जनरल मुनीर को भी वाशिंगटन में अपने निवास पर बुलाया था और कई बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शऱीफ की भी प्रशंसा की थी, जबकि भारत और पाकिस्तान में संबंध बेहद बिगड़े हुए हैं। ट्रम्प बार-बार भारत और पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन सिंदूर के बाद युद्ध रुकवाने के बयान भी देते रहे, जिसके कारण भारत को नमोशी सहन करनी पड़ी थी। ऐसे माहौल के चलते यह समझौता हैरान करने वाला ज़रूर कहा जा सकता है परन्तु भारत के लिए यह इस कारण लाभदायक सिद्ध हो सकता है, क्योंकि आज भी चीन और पाकिस्तान द्वारा इसे बड़ी सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
नि:संदेह यह समझौता भारत को मज़बूती देने वाला होगा। इस समय भारत के रूस, जापान और यूरोपीयन आदि देशों के साथ भी संबंध बेहद सुखद और मेल-मिलाप वाले चल रहे हैं परन्तु यह देखना होगा कि अमरीका के साथ नए रक्षा समझौते का भारत-रूस के संबंधों का भविष्य में किस तरह का प्रभाव पड़ेगा। दूसरी तरफ अमरीका के साथ तो भारत के संबंध बनते-बिगड़ते ही रहते हैं।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

