एआई शिक्षक : शैक्षणिक क्षेत्र में आने वाला है बड़ा बदलाव
कल्पना कीजिए, एक ऐसा शिक्षक जो कभी थकता नहीं, हर छात्र को उसकी रफ्तार से सिखाता है, हर गलती पर तुरंत फीडबैक देता है और यह सब 24 घंटे करता है। सुनने में यह वैज्ञानिक कल्पना की बात लग सकती है, परन्तु आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक अब इसे हकीकत बना रही है। पिछले कुछ सालों में एआई ने स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और संचार जैसे क्षेत्रों में तो बदलाव ला ही दिया है, अब यह शिक्षा के मैदान में सबसे बड़ा गेम-चेंजर बनकर उभर रही है।
भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में जहां हर बच्चे तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचाना अब भी चुनौती है, वहीं एआई शिक्षण और सीखने के तरीकों को जड़ से बदल सकती है। सवाल है कि क्या हम इसके लिए तैयार हैं?
परम्परागत कक्षा में एक शिक्षक सौ बच्चों को एक ही तरीके से पढ़ाता है, जबकि हर बच्चे की समझ, गति और रुचि अलग-अलग होती है। यही वह खाई है जिसे एआई पाट सकती है। एआई-पावर्ड टीचिंग सिस्टम छात्रों के डेटा का विश्लेषण करके उनके सीखने के पैटर्न, कमज़ोरियों और ताकत को पहचान सकता है। इसके आधार पर वह सामग्री और अभ्यास को समायोजित करता है यानी हर छात्र के लिए एक ‘निजी कक्षा’ तैयार हो जाती है। मान लीजिए कोई छात्र गणित में अच्छा है, परन्तु फिज़िक्स में कमज़ोर तो एआई उसे फिज़िक्स में अतिरिक्त अभ्यास एनिमेशन या गेम-आधारित शिक्षा के ज़रिये समझा सकता है। इससे कुछ सीखना मजबूरी नहीं, आनंददायक बन जाता है।
भारत में आज भी करोड़ों बच्चे ऐसे हैं जिन्हें अच्छे स्कूल, अनुभवी शिक्षक या नवीनतम शिक्षा सामग्री नहीं मिल पाती। एआई तकनीक इस असमानता को काफी हद तक खत्म कर सकती है। एआई आधारित ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और वर्चुअल शिक्षक किसी भी बच्चे तक, किसी भी गांव में, एक ही गुणवत्ता वाली शिक्षा पहुंचा सकते हैं। यह तकनीक बहुभाषी भी हो सकती है यानी छात्र अपनी मातृ-भाषा में सीख सकते हैं। जब राजस्थान, नागालैंड या बिहार का छात्र अपनी भाषा में विज्ञान समझेगा, तो सीखने में आती बाधाएं दूर हो जाएंगी और आत्मविश्वास बढ़ेगा।
स्कूल की घंटी बजते ही पारम्परिक शिक्षक की ड्यूटी खत्म हो जाती है, लेकिन एआई शिक्षक कभी छुट्टी नहीं लेता। छात्र जब चाहे, रात में, छुट्टी के दिन या परीक्षा से एक दिन पहले, एआई प्लेटफॉर्म से जुड़कर रिवीज़न, प्रैक्टिस टैस्ट या असाइनमेंट में मदद ले सकता है। यह सुविधा खासकर उन छात्रों के लिए वरदान साबित हो सकती है जो किसी कारणवश नियमित कक्षाओं में उपस्थित नहीं हो पाते या जिन्हें अतिरिक्त सहायता की ज़रूरत होती है। सीखने की प्रक्रिया अब समय या जगह से बंधकर नहीं रहेगी। अक्सर परीक्षा के बाद परिणाम आने में कुछ दिन या हफ्ते लग जाते हैं। तब तक छात्र की गलती पुरानी पड़ जाती है। एआई इस देरी को समाप्त कर देती है। यह तकनीक तुरंत बता देती है कि छात्र ने कहां गलती की और कैसे उसे सुधार सकता है। इससे सीखने की प्रक्रिया आसान और निरन्तर बनती है। साथ ही, यह सिस्टम छात्रों की प्रगति को ट्रैक करता है, विस्तृत रिपोर्ट तैयार करता है और शिक्षकों को बताता है कि कौन-सा बच्चा किन विषयों में पिछड़ रहा है।
बहुत-से लोगों का विचार है कि एआई शिक्षक इंसानों की जगह ले लेंगे जबकि हकीकत यह है कि एआई शिक्षक नहीं, सहायक बनेंगे। वे असाइनमेंट जांचने, रिपोर्ट तैयार करने, समय सारिणी और एडमिनिस्ट्रेटिव कार्यों जैसे अधिक समय लेने वाले काम संभाल सकते हैं। इससे शिक्षक छात्रों के साथ ज्यादा समय बिता पाएंगे। (युवराज)

