बिहार विधानसभा चुनाव में लगे झटके से सबक ले ‘इंडिया’ ब्लॉक 

भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने बिहार विधानसभा चुनावों में भारी जीत हासिल की है और 243 सदस्यीय राज्य विधानसभा में राजग के घटकों की जीत ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और ‘इंडिया’ ब्लॉक के अन्य घटकों को चौंका दिया है। राजग को 202 सीटें मिली हैं जबकि महागठबंधन को 35 और अन्य को 6 सीटें। 2025 के इस जनादेश को राजद के नेतृत्व वाले बिहार में  ‘इंडिया’ ब्लॉक के लिए एक बड़ी आपदा के रूप में देखा जा सकता है, क्योंकि 2020 के विधानसभा चुनावों में महागठबंधन बहुमत के करीब पहुंच गया था। राजग को 122 सीटें मिलीं थीं जबकि महागठबंधन को 114 और अन्य को 7 सीटें। 2020 में राजद 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरा जबकि भाजपा को 74 सीटें मिलीं। पांच साल पहले जनता दल (यू) यानी जद(यू) तीसरे नंबर की पार्टी थी।
ऐसे समय में जब तेजस्वी यादव को महागठबंधन की ओर से संभावित मुख्यमंत्री घोषित किए जाने के बाद ‘इंडिया’ ब्लॉक में भारी उत्साह था और राहुल गांधी के नेतृत्व में एसआईआर के खिलाफ आंदोलन ने चुनाव आयोग और केंद्र के खिलाफ  एक बड़े आंदोलन का रूप ले लिया था। महागठबंधन की रणनीति और चुनाव अभियान में क्या गलती हुई? इसका आकलन ‘इंडिया’ ब्लॉक के नेताओं और उनके थिंक टैंक को गम्भीरता से करना  होगा। 
राहुल गांधी के एसआईआर के खिलाफ आंदोलन का मतदाताओं पर अपेक्षित प्रभाव नहीं पड़ा। दलित और गरीब खेतिहर मज़दूर बहुल इलाकों में भी राजग उम्मीदवारों ने 2020 के चुनावों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया। एसआईआर पर रणनीति का समग्र रूप से ‘इंडिया’ ब्लॉक द्वारा उचित मूल्यांकन किया जाना चाहिए। राहुल गांधी निश्चित रूप से एक वरिष्ठ नेता हैं, लेकिन उन्हें अपनी शर्तों पर ‘इंडिया’ ब्लॉक के एजंडे को हाईजैक करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। कांग्रेस को केवल 6 सीटें मिलीं। इससे बिहार में कांग्रेस के संगठनात्मक कद का पता चलना चाहिए, जिसने लगातार राजद से अधिक सीटों के लिए सौदेबाजी की।
राजद ने महागठबंधन का नेतृत्व किया था। इसलिए राजग की भारी जीत से उसे सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ। भाकपा (माले) एल के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य को 2025 के चुनावों में अपनी पार्टी और महागठबंधन के खराब प्रदर्शन की गहराई से जांच करनी होगी।
यह स्पष्ट है कि प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी और ओवैसी की एआईएमआईएम ने महागठबंधन के, खासकर राजद के वोट काटे। महागठबंधन को असली झटका चिराग पासवान की पार्टी लोजपा से लगाए जो अपने दलित वोट राजग उम्मीदवारों को हस्तांतरित करने में सफल रही। महागठबंधन नेतृत्व को उन सभी कारकों पर विचार करना होगा जिनकी वजह से उनके गढ़ों में उनके कई उम्मीदवारों की हार हुई, जिसमें चिराग पासवान की पार्टी की भूमिका भी शामिल रही।
बिहार चुनाव की हार से सबक लेना और अप्रैल/मई 2026 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों के अगले दौर में चुनौती का सामना करने के लिए एकजुट होकर तैयारी करना ‘इंडिया’ ब्लॉक के लिए एक बड़ा काम है। अब केवल चार महीने बचे हैं। इसलिए ‘इंडिया’ ब्लॉक के घटकों के पास समय कम बचा है। उन्हें संबंधित राज्यों में अपना काम शुरू कर देना चाहिए। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विपक्षी सरकारों को गिराने की पूरी कोशिश करेगा। उनका पूरा ध्यान इन्हीं दोनों राज्यों पर रहेगा। केरल में मुकाबला माकपा के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ ) और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटिड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के बीच है।
इसी तरह पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के रूप में ‘इंडिया’ ब्लॉक को एक राजनीतिक रणनीतिकार मिल गया है जो 2026 के विधानसभा चुनावों में राज्य स्तर पर भाजपा का मुकाबला कर सकता है। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपने सभी दांव खेलेगा। तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो इस बात से वाकिफ हैं तथा वह और उनकी पार्टी इसके लिए तैयार है।
‘इंडिया’ ब्लॉक के लिए 2026 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले तमिलनाडु में हुए हालिया घटनाक्रमों से चिंतित होने का एक कारण ज़रूर है। फिल्म स्टार विजय हलचल मचा रहे हैं और उन्हें युवाओं और महिलाओं का ज़बरदस्त समर्थन मिल रहा है। असम में भाजपा को सत्ता बरकरार रहने का भरोसा है। असम में आखिरकार ‘इंडिया’ ब्लॉक पार्टियां 2026 के चुनावों के लिए कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में एक तरह से एकजुटता पर पहुंच गई हैं, जो असम में अग्रणी ‘इंडिया’ ब्लॉक पार्टी है।
हर राज्य के चुनाव के लिए एक अलग चुनावी रणनीति की ज़रूरत होती है। केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के लिए चुनावी परिदृश्य तय हैं, लेकिन असम में यह अभी भी अस्थिर है। अभी तो बस एक कदम आगे बढ़ा है। असम में ‘इंडिया’ ब्लॉक की अंतिम जीत के लिए कुछ और कदम उठाने की ज़रूरत है, जो एक उचित चुनावी रणनीति से ही संभव है। ‘इंडिया’ ब्लॉक के नेताओं को बैठक करके गहन विश्लेषण करना होगा और अप्रैल/मई 2026 के राज्य विधानसभा चुनावों के लिए रणनीति बनानी होगी। (संवाद)

#बिहार विधानसभा चुनाव में लगे झटके से सबक ले ‘इंडिया’ ब्लॉक