देश में फैल रहा आतंकी मॉड्यूल बड़ी चुनौती 

दिल्ली लाल किला आतंकवादी कार विस्फोट की छानबीन से आ रही सूचनाओं ने पूरे देश में भय और सनसनाहट पैदा किया हुआ है। अभी तक की जानकारियां बता रही हैं कि अगर आतंकवाद का यह मॉड्यूल सफल हो गया होता तो जन-धन की बहुत क्षति होती। सच कहें तो आतंकवाद के दौर की शुरुआत से अब तक पूरे देश में विध्वंस पैदा करने का यह सबसे बड़ा तंत्र सामने आया है। बताया गया है कि विस्फोट के लिए 32 कारों की व्यवस्था थी जिनमें से कई बरामद हो चुकी हैं। इन कारों के अलावा अलग-अलग तरीकों से भी विस्फोटों की तैयारी थी। उनकी तैयारियों का एक उदाहरण देखिए। कार विस्फोट में आत्मघाती बना उमर उन नबी के जम्मू-कश्मीर अनंतनाग के काजीगुंडा के गिरफ्तार साथी जसीर बिलाल वानी उर्फ  दानिश से पता चला है कि उसे छोटे ड्रोन, हथियार बनाने और उन्हें मॉडिफाई करने का तकनीकी अनुभव है। उसने डॉ. उमर को तकनीकी मदद दी और वह भीड़-भाड़ वाले इलाके में ड्रोन से बम गिराने की योजना को साकार करने के लिए ड्रोन और रॉकेट बनाने की कोशिश कर रहा था। विस्फोट में इस्तेमाल कार खरीदने के लिए दिल्ली आया राशिद अली भी जम्मू-कश्मीर का रहने वाला है। वास्तव में अब तक की छानबीन कई पहलुओं पर गंभीरता से विचार करने को भी विवश करती है। अभी तक इस भयानक आतंकवादी मॉड्यूल में छह ऐसे सम्मिलित डॉक्टर गिरफ्तार किए गए हैं जिनका दिमाग चिकित्सा में अच्छा करने की जगह मजहब के नाम पर हमला, हत्या और विध्वंस पैदा करने की दिशा में ही लगा था। श्रीनगर का रहने वाला एक अन्य संदिग्ध डॉ. निसार फरार है। वह डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ कश्मीर का अध्यक्ष भी है। जम्मू-कश्मीर सरकार ने डॉ. निसार को बर्खास्त कर दिया है।
इन्होंने अचानक कर विस्फोट नहीं किया बल्कि पहले से कोशिश चल रही थी। 6 दिसम्बर को अनेक स्थलों पर विस्फोट करने और उसके बाद इसकी श्रृंखला कायम रखने की तैयारी थी। अल फलाह यूनिवर्सिटी से गिरफ्तार डॉ. मुज्जमिल गनई के मोबाइल फोन से प्राप्त डंप डेटा से पता चला है कि उसने और उमर ने इस वर्ष जनवरी में लाल किला क्षेत्र की भी कई बार रेकी की थी। उमर उन नबी, डॉ. मुज्जमिल गनई और डॉ. शहीन शाहिद ने स्विट्ज़रलैंड के थ्रीमा नामक एन्क्रिप्टेड ऐप से बातचीत की थी। इसी ऐप के जरिए वे धमाके की योजना, नक्शे सहित आवश्यक दस्तावेज व जानकारियां साझा कर रहे थे। थ्रीमा ऐप फोन नंबर या ईमेल के बिना काम करता है और हर यूजर को एक यूनिक आईडी देता है, जिससे उसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है। 
बगैर स्थानीय और परिवार के लोगों के सहयोग के इतना बड़ा तंत्र खड़ा हो ही नहीं सकता। फरीदाबाद के धौज मस्जिद के इमाम इश्तियाक और सिरोही मस्जिद के इमाम इमामुद्दीन अगर उनकी मदद कर रहे थे तो क्यों? इनसे मिलकर पूरी अल फलाह यूनिवर्सिटी को ही आतंकवाद के बड़े केंद्र में बदल दिया था। पठानकोट से गिरफ्तार डॉक्टर रईस अहमद भी पहले अल फलाह यूनिवर्सिटी में काम करता था। इसी तरह हापुड़ के जी.एस. मेडिकल कॉलेज से गिरफ्तार डॉक्टर फारूक अहमदार अल फलाह यूनिवर्सिटी में सीनियर रेजिडेंट रह चुका है। वह जम्मू-कश्मीर के बीरवाह जिले के बडगांव, वीरिपुरा के रहने वाला है। डॉ. मुज्जमिल जब विस्फोटक जमा कर रहा था तो किसी ने गम्भीरता से नहीं लिया। पुलिस को बताया गया कि जब उससे पूछा तो कहा कि खेती का खाद रख रहे हैं और इसे जम्मू-कश्मीर ले जाना है। जब मजहब के चेहरे इमाम तक इसमें शामिल हों तो रोक-टोक होगी कहां से। कोई कह सकता है कि परिवार की इसमें भूमिका नहीं है। डॉ. उमर नबी के मोबाइल को तोड़ कर फेंकने वाला परिवार ही था। एनआईए को उसके भाई ने बताया कि डॉ. उमर नबी यहां आया था और उसने कहा था कि अगर मेरे बारे में कोई समाचार आए तो मोबाइल को नष्ट करके पानी में फेंक देना और हमने फेंक दिया। क्या भाई और परिवार ने उससे नहीं पूछा कि कौन-सा समाचार आएगा? क्या समाचार आने के बाद उनका दायित्व नहीं था कि पुलिस के पास मोबाइल पहुंचायें? आखिर उसने तो अपने आप को उड़ा लिया था। इसी तरह डॉक्टर शाहीन के भाई डॉ. परवेज की भूमिका अभी तक संदिग्ध है। सीसीटीवी फुटेज बता रहे हैं कि उमर नबी धमाके से पहले हरियाणा के मेवात गया था। फिरोजपुर झिरका टोल प्लाजा फुटेज में उसकी कार दिखाई दी, जिसमें विस्फोटक सामग्री भरी हुई थी। यह फुटेज धमाके वाले दिन की है। जांच में पता चला है कि मेवात क्षेत्र गुरुग्राम, नूंह और आसपास से ही 20 क्ंिवटल से ज्यादा अमोनियम नाइट्रेट खरीदा गया था। विस्फोटक में इस्तेमाल की गई खाद भी उमर ने मेवात से ही खरीदी थी।
इन सबके बावजूद अगर आक्रामक रूप में प्रतिक्रिया है कि इस मुद्दे को बड़ा नहीं बनाया जाए और मुसलमान या एक समुदाय को बदनाम नहीं किया जाए तो यह देश की सामान्य स्थिति नहीं। सच कह तो इस तरह की प्रतिक्रियाएं को उन आतंकवादियों के उन्मादी जिहादी विचारों और हिंसक कृत्यों से ज्यादा खतरनाक माना जाना चाहिए। अभी एक मॉड्यूल हमारे सामने आया है। हो सकता है कि ऐसे कई मॉड्यूल देश की अलग-अलग जगहों में सक्रिय होकर साज़िशों को अंजाम देने में संलिप्त होंगे। 
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