संसद में क्षेत्रीय भाषाओं का बढ़ रहा दबदबा

संसद का शीतकालीन सत्र कई ऐतिहासिक विधेयकों और कई चर्चाओं का गवाह बना, लेकिन एक बात जो बड़ी खास रही वह यह है कि इस सत्र में सांसदों ने क्षेत्रीय भाषाओं का व्यापक स्तर पर इस्तेमाल किया। इस बार हिंदी और अंग्रेज़ी के अलावा सैकड़ों भाषण तमिल, बांग्ला और मराठी आदि क्षेत्रीय भाषाओं में हुए। गौरतलब है कि संसद के दोनों सदनों से लेकर प्रैस गैलेरी और दर्शकों की दीर्घा में भाषणों के रियल टाइम में अनुवाद सुनने की सुविधा है। इसलिए किसी को समस्या नहीं होती है। हालांकि मंत्रियों के हिंदी बोलने पर तमिलनाडु के सांसद आपत्ति करते रहते हैं। शीतकालीन सत्र में करीब 160 भाषण पूरी तरह से या आंशिक रूप से क्षेत्रीय भाषाओं में दिए गए। इनमें सबसे ज़्यादा 50 भाषण तमिल, 43 मराठी और 25 बांग्ला भाषा में हुए। इससे पहले मानसून सत्र मे 13 भाषण तमिल, 12 मराठी और 10 बांग्ला भाषा हुए थे। अधिकारियों का कहना है कि पहले अनुवाद की सुविधा नहीं थी और क्षेत्रीय भाषा में बोलने वालों को पहले नोटिस देना होता था, लेकिन अब आठवीं अनुसूची की सभी 22 भाषाओं के रियल टाइम में अनुवाद की सुविधा है, जिससे क्षेत्रीय भाषा बोलने वालों को कोई परेशानी नहीं हो रही है।
रक्षा और विदेश सेवा में भी घूसखोरी 
सरकारी कामकाज में घूसखोरी आम बात है, लेकिन हैरानी तब होती है जब पहले से रिश्वतखोरी के लिए बदनाम विभागों की बजाय नए विभागों से घूसखोरी की खबरें आएं और लोग पकड़े जाएं। पिछले हफ्ते दो ऐसी ही खबरें आई हैं। एक खबर रक्षा मंत्रालय में भारी घूसखोरी की है और दूसरी विदेश में स्थित एक भारतीय मिशन के एक दूतावास में घूसखोरी की। दोनों मामलों में करोड़ों रुपये की गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। खबर है कि जेनेवा में भारत के पूर्व लेखा अधिकारी मोहित पर दो लाख स्विस फ्रैंक यानी लगभग दो करोड़ रुपये की गड़बड़ी का आरोप है। मामले की सीबीआई जांच शुरू हो गई है। इससे पहले रक्षा मंत्रालय में रक्षा उत्पादन विभाग में तैनात लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक कुमार शर्मा को सीबीआई ने गिरफ्तार किया। उन पर तीन लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है। रिश्वत देने वाले व्यक्ति को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। शर्मा के घर पर हुई तलाशी में सीबीआई ने 2.36 करोड़ रुपये नकद बरामद किए हैं। आरोप है कि शर्मा और सेना में ही कार्यरत उनकी पत्नी कंपनियों को ठेका दिलाने या सामान की सप्लाई की मंजूरी दिलाने में मदद करते थे और बदले में रिश्वत लेते थे। जिस मामले से इसका भंडाफोड़ हुआ, वह भी दुबई की एक कंपनी को सामान की आपूर्ति के लिए विदेश मंत्रालय से मंजूरी दिलाने का था। आमतौर पर राजनयिकों और रक्षा अधिकारियों को ईमानदार माना जाता है, लेकिन ये दो मामले तो एक के बाद एक सामने आए हैं।
ट्रस्ट का चंदा भी भाजपा को ही
विपक्षी पार्टियों और सिविल सोसायटी के प्रयास से चुनावी बॉन्ड का मामला अदालत में पहुंचा था और सुप्रीम कोर्ट ने इसे अवैध बताते हुए समाप्त कर दिया था। बॉन्ड के ज़रिए चंदे के कानून के तहत इतनी गोपनीयता बना दी गई है कि पता नहीं चल पा रहा है कि कौन बॉन्ड खरीद रहा है और किसको दे रहा है। हालांकि कौन बॉन्ड भुना रहा है, इससे पता चल रहा था कि ज्यादातर चंदा भाजपा को मिल रहा है। जब चुनावी बॉन्ड से चंदे का सिलसिला समाप्त हुआ तो विपक्षी पार्टियों ने राहत की सांस ली। इसके बाद इलेक्टोरल ट्रस्ट के ज़रिए चंदे का पुराना तरीका शुरू हुआ। इसमें भी एक साल का आंकड़ा बता रहा है कि चंदा तो सिर्फ भाजपा को ही मिल रहा है। बाकी सभी पार्टियों को थोड़ा बहुत औपचारिकता के लिए कुछ मिल रहा है। पिछले दिनों टाटा समूह के प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट की खबर आई थी। अब प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट की खबर आई है। इसने भी उसी तरह का कमाल किया है। इसने वित्त वर्ष 2024-25 में 2,668.46 करोड़ रुपये का चंदा दिया है, जिसमें 2,180.70 करोड़ रुपये सिर्फ भाजपा को दिए हैं। इस ट्रस्ट ने असली कमाल यह किया है कि कांग्रेस पार्टी को सिर्फ 21.63 करोड़ रुपये का चंदा दिया है। इस ट्रस्ट में शामिल कंपनियों के नाम जानने के बाद पता चलता है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ। इसमें सरकार की चहेती चुनिंदा कंपनियां शामिल हैं। जिनकी अलग-अलग क्षेत्र में पिछले कुछ बरसों में एकाधिकार बना है। 
संसद के अगले सत्र से पहले विवाद के बीज 
संसद के अगले सत्र यानी बजट सत्र में विवाद के बीज अभी से पड़ गए हैं। शीतकालीन सत्र समाप्त होते-होते लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के पास आठ विपक्षी सांसदों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के नोटिस आ गए हैं और दो सांसदों के खिलाफ गलत आचरण की शिकायतें भी आई हैं। अब स्पीकर के फैसले पर निर्भर करता है कि संसद के अगले सत्र में विपक्ष का क्या रुख रहता है। कांग्रेस की रेणुका चौधरी और तृणमूल कांग्रेस के कीर्ति आज़ाद के खिलाफ शिकायत है। आज़ाद पर सदन में ई-सिगरेट पीने का आरोप है तो रेणुका चौधरी के संसद परिसर में कुत्ता लाने का विवाद है। देखना होगा कि स्पीकर कुछ कार्रवाई करते हैं या चेतावनी देकर छोड़ते हैं। इसी तरह भाजपा के निशिकांत दुबे ने आठ सांसदों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है। ये सभी कांग्रेस के सांसद हैं और ज़्यादातर दक्षिण भारत के राज्यों के हैं। दुबे ने हिबी ईडन, डीन कुरियाकोस, एस. मुरासोली. के. गोपीनाथ, शशिकांत सेंथिल, शफी परम्बिल, एस. वेंकेटेशन और जोतिमणि के खिलाफ नोटिस दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि जी राम जी बिल पर चर्चा के दौरान इन सदस्यों ने सदन की मर्यादा का उल्लंघन किया। उन्होंने बिल की कॉपी फाड़ी और वेल में जाकर प्रदर्शन किया। गौरतलब है कि अगले साल अप्रैल में तमिलनाडु और केरल में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। उससे पहले इन सांसदों पर होने वाले फैसले का राजनीतिक असर भी होगा।
अडानी के विस्तार की नई चर्चा
इन दिनों देश में अरावली और प्रदूषण का मामला चर्चा में है। इनके बीच सोशल मीडिया में बहुत से दिलचस्प मीम बन रहे हैं, जिनमें एक प्राकृतिक संसाधनों के बंटवारे को लेकर है और खूब वायरल हो रहा है। इसमें तीन कैरेक्टर दिखाए जा रहे हैं. सरकार, अंबानी, अडानी और बैकग्राउंड में मशहूर गजल की पंक्तियां चल रही हैं—‘जंगल तेरे, पर्वत तेरे, बस्ती तेरी, सहारा तेरा...।’ इस बीच देश के दूसरे सबसे अमीर कारोबारी गौतम अडानी की कंपनी के विस्तार के नए आयामों की चर्चा शुरू हो गई है। कंपनी ने कई नए क्षेत्रों में प्रवेश करने का ऐलान किया है। इनमें से एक परमाणु ऊर्जा का क्षेत्र है। संयोग है कि संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार ने परमाणु ऊर्जा बिल पारित करवाया, जिसमें निजी कंपनियों को इस क्षेत्र में उतरने की अनुमित दी गई है और परमाणु दुर्घटना की स्थिति में कंपनियों की ज़िम्मेदारी के प्रावधानों ढीला किया गया है। इसके तुरंत बाद खबर आई कि अडानी समूह आठ स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर लगाएगा। बाद में कांग्रेस के जयराम रमेश ने परमाणु ऊर्जा के लिए लाए गए शांति बिल को अडानी और ट्रम्प बिल नाम दिया। बहरहाल, यह भी खबर है कि अडानी समूह की कंपनी 60 होटल बना रही है। कहा जा रहा है कि कंपनी हवाई अड्डों के संचालन के साथ मेहमान-नवाज़ी को जोड़ रही है। इस बीच खबर है कि भारत सरकार 11 और हवाई अड्डों को निजी हाथ मे देने के लिए टेंडर करने जा रही है और अडानी समूह इन सभी हवाई अड्डों के लिए बोली लगाएगा। पहले से सात हवाई अड्डों का संचालन अडानी समूह के पास है।

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