दहेज के दानव का अंत ज़रूरी

भारत में आज से नहीं बल्कि बहुत पुराने समय से कई प्रकार के रीति-रिवाजों का प्रचलन होता चला आ रहा है। इनमें से कई प्रथाएं अच्छी हैं तो कई बुरी। जिनमें से कुछ बुरी प्रथाओं का समय के साथ अन्त भी हो गया है लेकिन अभी भी कुछ ऐसी बुरी प्रथाएं हैं जो समाज का एक हिस्सा बनी हुई हैं जिनमें से एक दहेज प्रथा है, जो समाज के लिए अभिशाप बन गई है। दहेज क्या है जो सम्पत्ति, विवाह के समय वधू के परिवार की तरफ  से वर को दी जाती है, उसे दहेज कहते हैं। हालांकि दहेज का रिवाज प्राचीनकाल से ही चला आ रहा है लेकिन तब इस प्रथा के अंतर्गत पिता अपनी बेटी को विदा करते समय अपनी खुशी से उपहार और कुछ धन दान में देते थे। लेकिन अब यही धन वैवाहिक संबंध तय करने का माध्यम बन गया है। आज दहेज प्रथा एक सामाजिक बुराई बन गई है जो हर जगह फैली हुई है तथा भारतीय समाज को एक बीमारी की तरह प्रभावित कर रही है और इसके लिए कोई समाधान या इलाज दिखाई नहीं दे रहा है। वास्तव में, दहेज हिंसा का एक प्रकार है जो औरतों के खिलाफ  किया जाता है। आज भी इस 21वीं सदी में बेटी के जन्म लेते ही ज्यादातर माता-पिता के सिर पर उसके दहेज को लेकर चिंता सवार हो जाती है। दहेज प्रथा गैर कानूनी होने के बावजूद भी हमारे समाज में खुले तौर पर राज कर रही है। आज हालात ये हैं कि जो लड़कियां  नौकरी में भी होती हैं, उनके विवाह के अवसर पर भी दहेज के लालची हिसाब लगाते हैं कि कितने सालों और महीनों में कितना धन जमा होगा। मध्यवर्गीय परिवारों में हालत बहुत नाजुक हो जाती है। जो लोग नौकरीपेशे वाले होते हैं, अपनी भविष्यनिधि, प्रॉवीडेंट फंड या जीवन बीमा सुरक्षा आदि बचत योजनाओं से पैसा निकाल कर खाली हो जाते हैं।  दहेज आज फैशन का रूप धारण कर भयानक दानव बन निर्दोष लड़कियों को निगल रहा है। अगर वर तरफ की मांग पूरी नहीं होती तो लड़कियों को मारने व जलाने से भी गुरेज नहीं करते और इसके परिणामस्वरूप कई घर उजड़ने के कगार पर पहुंच गए हैं। समाज के लोग मिल-जुल कर दहेज देने वालों और लेने वालों का सामाजिक बहिष्कार करें तथा सरकार उन्हें कठोरतम  दण्ड दे।  दहेज प्रथा को कम करने के लिए लड़कियों को शिक्षित कराना होगा जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें। उन्हें अपने आप को एक सशक्त नारी बनने की आजादी देनी होगी।  दहेज के खिलाफ  समाज में जागरूकता पैदा करना आवश्यक है। गाँव और शहरों में दहेज के बुरे प्रकोप के बारे में बताना होगा और खुद भी दहेज के खिलाफ  सख्ती से पेश आना होगा।

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