लम्बे समय बाद भाषा विभाग छापेगा महान कोष


पटियाला, 4 जून (अ.स.): भाषा विभाग पंजाब द्वारा प्रकाशित किया जाता भाई काहन सिंह नाभा द्वारा रचित पंजाबी का महान कोष जोकि आर्थिक मंदहाली के कारण विभाग द्वारा पिछले काफी समय से छापा नहीं गया था परन्तु अब विभाग द्वारा शीघ्र ही पुन: इसकी दस हज़ार के लगभग कापियां पुनर प्रकाशित की जा रही हैं। चाहे इसको हू-ब-हू छापने के लिए विभाग के सामने अनेकों चुनौतियां हैं, इनमें सबसे बड़ी समस्या जिस फोंट में इसकी छपाई पहले हुई थी वह फोंट अब मौजूद नहीं जिससे महान कोष को पुन: हू-ब-हू छापना असम्भव है क्योंकि इसमें प्रयोग बहुत से चिन्ह भी आजकल प्रयोग में नहीं हैं परन्तु दूसरी तरफ भाषा विभाग पंजाब के अधिकारियों का मानना है कि इकलौता विभाग ऐसा है जोकि इस महान कृत को अब तक हू-ब-हू पुनर प्रकाशित करता आ रहा है। इसी कारण विभाग द्वारा तैयार महान कोष की विश्वसनीयता भी सबसे अधिक है। विभागीय सूत्रों के अनुसार इसको तैयार करने की ज़िम्मेवारी 1960 में मिली थी जिसके बाद विभाग द्वारा इस महान कोष को तैयार किया जा रहा है तथा इसकी कापियां लगातार बिक जाती हैं। सूत्रों के अनुसार इस कोष को पुन: तैयार करने के लिए स्कैन करने वाली मशीनों का प्रयोग किया जाएगा। इस बार इस महान कोष में एक नई वस्तु वंशवली जोड़ी जा रही है जिसमें इस कोष के रचयिता भाई काहन सिंह नाभा के पारिवारिक सदस्यों के नाम शामिल किए जा रहे हैं जो इस परिवार की लम्बे समय से मांग भी थी।
इस संबंधी भाषा विभाग पंजाब की डायरैक्टर कर्मजीत कौर ने पुष्टि करते हुए कहा कि महान कोष के पुनर प्रकाशन के लिए सभी तैयारियां मुकम्मल हैं तथा इसकी डम्मी भी तैयार हो चुकी है। उन्होंने कहा कि इस माह में ही महान कोष की 10 हज़ार के लगभग कापियों का पुनर प्रकाशन हो जाएगा।