पुलिस का अमानवीय चेहरा

पिछले रविवार की शाम को दिल्ली में सरबजीत सिंह नाम के एक टैम्पो ड्राइवर तथा उसके बेटे के साथ दिल्ली पुलिस के कुछ कर्मचारियों द्वारा सरेआम जिस तरह का दुर्व्यवहार किया गया, वह बेहद निंदनीय है। दिल्ली में जितने वाहन चलते हैं उनसे चौड़ी सड़कें भी छोटी प्रतीत होती हैं। इतनी भीड़-भाड़ में कहीं न कहीं वाहनों का आपस में टकरा जाना एक मामूली बात है। परन्तु इसको लेकर जिस तरह का हंगामा और विवाद हुआ उसने अधिक तूल इसलिए पकड़ा क्योंकि टैम्पो ड्राइवर सरबजीत सिंह तथा उसके 15 वर्षीय बेटे को आपसी विवाद के बाद कुछ पुलिस कर्मचारियों द्वारा काबू करके जिस तरह डंडों, ठोकरों और घूंसों से मारा गया और घसीटा गया उससे इन कर्मचारियों द्वारा की गई बेरहमी स्पष्ट नज़र आती है और यह भी कि पुलिस से सुरक्षा और अनुशासन की उम्मीद की जाती है। परन्तु इसके कर्मचारी आम नागरिक के साथ जिस तरह ़गैर-पेशेवर और निर्दयी ढंग से पेश आते हैं वह देख-सुन कर रोष पैदा होना स्वाभाविक है। 
चाहे पुलिस ने अपना पक्ष पेश करते हुए यह कहा है कि टैम्पो के पुलिस की जीप से टकरा जाने के बाद ड्राइवर ने तलवार निकाल कर कर्मचारियों पर हमला किया, परन्तु उपरोक्त सरबजीत सिंह का वाहन टकराने के बाद पुलिस वालों ने उसके प्रति बहुत बुरी शब्दावली का इस्तेमाल किया, जिससे वह गुस्से में अवश्य आया, परन्तु उसके बाद वह और उसका बेटा जब दूर जाने लगे तो पुलिस ने उनका पीछा करके उनको जबरदस्ती रोका, जिस पर बात बढ़ गई। सामने आई वीडियो के अनुसार विवाद होने के समय पुलिस कर्मियों के हाथों में लाठियां थीं। ड्राइवर के कथन अनुसार उसने तलवार निकाल कर अपना बचाव करने का प्रयास किया। इस विवाद में दो पुलिस कर्मी घायल हो गए, परन्तु यह बात पुलिस वाले भी मानते हैं कि जब सरबजीत सिंह और उसके बेटे को घेरा डाल कर पकड़ लिया गया था, तो उसके बाद भी पुलिस कर्मियों ने दोनों को पीटा और सड़क पर घसीटा। उनके लिए ऐसा करना किसी भी तरह उचित नहीं था और बाद में थाने ले जाकर भी उनकी बुरी तरह मार-पीट करना और भी धक्केशाही थी। इस कारण तीन पुलिस कर्मियों को निलम्बित करने का ऐलान किया गया है और इसके बारे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह और शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने भी घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसकी केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह तथा दिल्ली के उप-राज्यपाल से निष्पक्ष जांच करवाने की मांग की है। 
चाहे पुलिस द्वारा जांच के आदेश दिये गये हैं, परन्तु पुलिस कर्मचारी इसमें एक पक्ष है, इसलिए पुलिस विभाग द्वारा निष्पक्ष और सही जांच करवाये जाने की उम्मीद नहीं की जा सकती। इसलिए इस तरह की जांच करवानी चाहिए जो पूरी तरह पारदर्शी हो। इस घटना में पुलिस कर्मचारियों द्वारा जिस तरह का अमानवीय रवैया टैम्पो ड्राइवर सरबजीत सिंह और उसके बेटे के प्रति अपनाया गया है, उसने पुलिस की साख को कम ही किया है। इसको सही ढंग-तरीके से की गई जांच से ही बहाल किया जा सकता है। पुलिस विभाग से ऐसी उम्मीद अवश्य की जाती है कि वह आम नागरिकों के साथ सभ्य ढंग से पेश आये और कानून के अनुसार ही स्थिति से निपटने का प्रयास करे। उससे समाज ऐसी उम्मीद ही रखता है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द