डेरा प्रमुख की सज़ा के दो साल पूरे

चंडीगढ़, 24 अगस्त  (राम सिंह बराड़ ) : डेरा सिरसा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को सुनारिया जेल में सजा काटते हुए दो साल पूरे हो गए हैं और रविवार से उनकी सजा तीसरे साल में प्रवेश कर जाएगी। गुरमीत राम रहीम को दो साध्वियों के साथ यौन शोषण के मामले में 25 अगस्त 2017 को दोषी ठहराया गया था और उन्हें पंचकूला सीबीआई अदालत से सीधा रोहतक जिले की सुनारिया जेल भेज दिया गया था। डेरा प्रमुख को सीबीआई कोर्ट ने सुनारिया जेल में अदालत लगाकर 20 साल की सजा सुनाई थी। तब से वे जेल में ही बंद हैं। इस सजा के बाद डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को सिरसा के पत्रकार छत्रपति हत्या मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई और अदालत ने यह भी कहा कि साध्वियों से यौन शोषण के मामले में मिली 20 साल की सजा पूरी होने के बाद छत्रपति हत्या मामले की सजा शुरू होगी। डेरा प्रमुख के जेल जाते ही यह भी चर्चा शुरू हो गई थी कि गुरमीत राम रहीम अपने स्थान पर डेरे की गद्दी परिवार के किसी अन्य सदस्य को सौंप सकते हैं लेकिन वह अपने स्थान पर परिवार के किसी अन्य सदस्य को डेरे की गद्दी सौंपने के मूड में नहीं हैं। इस दौरान डेरा प्रमुख ने 2-3 बार पैरोल लेने का भी प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। 2 साल पहले गुरमीत राम रहीम जब सुनारिया जेल आए थे तो उनके दाड़ी व सिर के सारे बाल काले थे। लेकिन जेल में दाड़ी रंगने का मौका न मिलने के कारण अब दाड़ी लगभग पूरी तरह से सफेद हो गई है और रंग भी सफेद से गहरा गेहुआं हो गया है। जेल में गुरमीत राम रहीम ने अपना समय सब्जियों की खेती करने, उनकी गुड़ाई करने, उन्हें पानी देने व सब्ज़ियों के लिए क्यारियां तैयार करने में गुजारा। उनसे हर हफ्ते अक्सर सोमवार या कभी-कभी गुरुवार को उनके परिवार के सदस्य उन्हें मिलने आते हैं। ज्यादातर उनका बेटा, बेटियां, दामाद व पुत्रवधु ही आते हैं लेकिन कभी-कभी उनकी पत्नी व उनकी माता के अलावा डेरे की सह प्रबंधक शोभा इंसां भी उन्हें मिलने आती रहती है। पहले गुरमीत राम रहीम को फोन पर परिवार से बात करने की सुविधा नहीं मिली हुई थी, लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें अन्य कैदियों की तरह यह सुविधा मिल गई थी। जेल के अंदर गुरमीत राम रहीम के लिए सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए गए हैं। उन्हें मिलने के लिए लगातार वकील आते रहते हैं। गुरमीत राम रहीम की अपने परिवार, वकीलों के साथ मुलाकात के समय या कोर्ट में वीडियो कांफ्रैंसिंग पर पेशी के दौरान पूरी जेल को सील करने के बाद उन्हें बाहर मुलाकाती कक्ष में लाया जाता है। शुरू-शुरू में गुरमीत राम रहीम के स्वास्थ्य को लेकर काफी परेशानी चलती रही। कभी उनका रक्तचाप बढ़ जाता था तो कभी शुगर बढ़ जाती थी। जेल में उन्हें कैदियों वाला सामान्य खाना मिलता है और अब जेल का खाना उसे माफिक भी आने लगा है और वजन भी 105 किलो से घटकर 90 किलो के आसपास रह गया है और रक्तचाप व शुगर लेवल भी स्थिर रहने लगा है। गुरमीत राम रहीम के जन्मदिन व रक्षाबंधन पर उनके नाम पर हजारों की तादाद में कार्ड व चिट्ठियां आती हैं और उन्हें पूरी जांच पड़ताल के बाद ही डेरा प्रमुख को दिया जाता है। डेरा प्रमुख की जांच में लगे सुरक्षा कर्मचारियों व अधिकारियों को निरंतर अंतराल के बाद बदला जाता है और उसे दिए जाने वाले जेल के खाने की भी नियमित जांच के साथ-साथ वीडियो ग्राफी भी करवाई जाती है। कुछ दिन पहले तक जब गुरमीत राम रहीम पैरोल मिलने की उम्मीद लगाए हुए था तो उन दिनों काफी बेचैन रहने लगा था लेकिन पैरोल की अर्जी खारिज होते ही एक बार फिर सामान्य कैदियों की तरह चुपचाप अपना समय गुजारने लगा है।