कैसी है पृथ्वी की बनावट ?

साथियो! हमारी पृथ्वी की बनावट कैसी है? आओ, यही कुछ तुम्हें बताते हैं। यूं तो पृथ्वी की आकृति देखने में समतल लगती है, परन्तु वास्तव में यह गोला है। यह भूमध्य रेखा के पास थोड़ी फैली हुई या उभरी हुई है और ध्रुवों की ओर थोड़ी पिचकी हुई है। पृथ्वी की परिधि 25000 मील के लगभग है। भूमध्य रेखा पर इसका व्यास 7926 मील है परन्तु ध्रुवों पर यह व्यास केवल 7900 मील पिचके होने के कारण रह जाता है। इसके धरातल का क्षेत्रफल 19 करोड़ 70 लाख वर्ग मील है। पृथ्वी के धरातल पर कहीं पहाड़ है, कहीं पठार, कहीं मैदान, तो कहीं झील, कहीं नदी व कहीं दलदल। प्रारम्भ में यह एक गर्म गैस का गोला था, जो धीरे-धीरे ठंडा पड़ता गया। इसलिए इसके धरातल पर सिकुड़न पड़ गई और पहाड़ तथा गड्ढे बन गये। गड्ढे पानी से भरने के बाद समुद्र बन गये। नदियों के पानी ने इन समुद्रों को खारी बना दिया। हां, बनावट की दृष्टि से यह विशाल पृथ्वी चार भागों में बंटी हुई है। जैसे : पृथ्वी के स्थल भाग का कुल क्षेत्रफल 29 प्रतिशत है। उत्तरी गोलार्द्ध में यह भाग अधिक है और दक्षिणी गोलार्द्ध में कम। इसके बाहरी आवरण को भूपटल कहते हैं, जो ठोस तथा कठोर है। इसकी मोटाई लगभग 50 मील है। इसमें सदा कई तरह के परिवर्तन होते रहते हैं। पृथ्वी के भीतरी भाग को जो किसी ने देखा नहीं है, परिमाण मण्डल कहते हैं। ज्वालामुखी पर्वतों से निकले लावा से यह विदित होता है कि गर्त में पाये जाने वाले पदार्थ भारी हैं। जैसे निकिल तथा लोहा-गर्त के पदार्थ गर्भ हैं और पिघली अवस्था में हैं। धरातल पर 71 प्रतिशत भाग में जल भरा हुआ है। इस समस्त जल भाग को जिसमें महासागर आते हैं, जल मण्डल कहते हैं। पृथ्वी के धरातल के चारों ओर जो वायु 200 मील की ऊंचाई तक भरी हुई है, उसे वायुमंडल कहते हैं।