मानव सभ्यता को बचाने के लिये पृथ्वी का संरक्षण ज़रूरी

प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, जलवायु परिवर्तन से निपटने और जैव विविधता संकट को रोकने के लिए कार्रवाई का एक क्त्रांतिकारी आह्वान है पृथ्वी दिवस जो पूरे विश्व में 22 अप्रैल को मनाया जाता है। पृथ्वी या सृष्टि के संरक्षण और स्थिरता के लिए जागरूकता पैदा करना इसलिये आवश्यक हो गया कि जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और वनों की कटाई के कारण प्रकृति एवं पर्यावरण पर गहरे संकट है। वर्ष 2025 में इस दिवस की थीम है ‘हमारी शक्ति, हमारा ग्रह’, जो यह स्पष्ट करता है कि जलवायु परिवर्तन और हमारे पर्यावरण के दुरुपयोग से निपटने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा की तत्काल आवश्यकता है। हमारे स्वास्थ्य, हमारे परिवारों, हमारी आजीविका और हमारी धरती को एक साथ संरक्षित करने का समय आ गया है। पृथ्वी दिवस आधुनिक पर्यावरण आंदोलन की वर्षगांठ का प्रतीक है, जो पहली बार सन् 1970 में मनाया गया था। इसका उद्देश्य लोगों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील एवं पृथ्वी के संरक्षण के लिये जागरूक करना है। दुनिया में पृथ्वी के विनाश, प्रकृति प्रदूषण एवं जैविक संकट को लेकर काफी चर्चा हो रही है।
190 से अधिक देशों को पृथ्वी दिवस में शामिल करते हुए एक वैश्विक आंदोलन बन गया है जो प्लास्टिक प्रदूषण, नवीकरणीय संसाधन, ग्लोबल वार्मिंग और टिकाऊ जीवन जैसी प्रमुख पर्यावरणीय चिंताओं की ओर ध्यान आकर्षित करता है। वृक्षारोपण, सफाई अभियान, शैक्षिक अभियान और वकालत वैश्विक स्तर पर सरकारों, संगठनों, स्कूलों और समुदायों द्वारा की जाने वाली गतिविधियों में से हैं। इसका उद्देश्य लोगों को पर्यावरण की दृष्टि से अधिक सही निर्णय लेने तथा पृथ्वी के अनुकूल नीतियों के पक्ष में खड़ा करता है और इस बात पर जोर देता है कि आपकी उम्र चाहे जो भी हो या आप कहीं भी रहते हों, आप पृथ्वी को अधिक स्वस्थ और टिकाऊ बनाने में योगदान दे सकते हैं और ऐसा करते हुए शांति की स्थापना एवं शांतिपूर्ण जीवन को सुदृढ़ बना सकते हैं। इस दिवस के माध्यम से ऐसे विचारों एवं जीवनशैली को संगठित करना है जिससे पर्यावरण नीति निर्माता सरकारों को प्रेरित करें ताकि पर्यावरणीय स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए कानूनों और प्रथाओं में बदलाव हो सके एवं वैज्ञानिक नवाचारों और हरित प्रौद्योगिकियों के विचार को बल देते हुए पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने और भविष्य में स्थिरता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा सके।
आज विश्व भर में हर जगह प्रकृति का दोहन एवं शोषण जारी है। जिसके कारण पृथ्वी पर अक्सर उत्तरी ध्रुव की ठोस बर्फ का कई किलोमीटर तक पिघलना, सूर्य की पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी तक आने से रोकने वाली ओजोन परत में छेद होना, भयंकर तूफान, सुनामी और भी कई प्राकृतिक आपदाओं का होना आदि ज्वलंत समस्याएं विकराल होती जा रही है, जिसके लिए मनुष्य ही जिम्मेदार हैं। ग्लोबल वार्मिग के रूप में जो आज हमारे सामने हैं। ये आपदाएं पृथ्वी पर ऐसे ही होती रहीं तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी से जीव-जन्तु व वनस्पति का अस्तिव ही समाप्त हो जाएगा। जीव-जन्तु अंधे हो जाएंगे। लोगों की त्वचा झुलसने लगेगी और कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ जाएगी एवं अनेक नयी-नयी व्याधियां रह-रहकर जीवन संकट का कारण बनती रहेगी। इसीलिये विश्व पृथ्वी दिवस की आज ज्यादा प्रासंगिकता एवं उपयोगिता है। यह दीर्घकालिक परिवर्तन को संभव बनाने की दिशा में काम करेगा क्योंकि यह पर्यावरण जागरूकता की संस्कृति को विकसित करता है और वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों को पृथ्वी का सक्रिय संरक्षक बनने के लिए सशक्त बनाता है।
जिस पृथ्वी को हम मां का दर्जा देते हैं उसे हम खुद अपने ही हाथों दूषित करने में कैसे लगे रहते हैं? आज जलवायु परिवर्तन पृथ्वी के लिए सबसे बड़ा संकट बन गया है। अगर पृथ्वी के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लग जाए तो मानव जीवन कैसे सुरक्षित एवं संरक्षित रहेगा? पृथ्वी है तो सारे तत्व हैं, इसलिये पृथ्वी अनमोल तत्व है। इसी पर आकाश है, जल, अग्नि, और हवा है। इन सबके मेल से प्रकृति की संरचना सुन्दर एवं जीवनमय होती है। अपने-अपने स्वार्थ के लिए पृथ्वी पर अत्याचार रोकना होगा और कार्बन उत्सर्जन में कटौती पर ध्यान केंद्रित करना होगा। अतिशयोक्तिपूर्ण ढं़ग से औद्योगिक क्रांति पर नियंत्रण करना होगा, क्योंकि उन्हीं के कारण कार्बन उत्सर्जन और दूसरी तरह के प्रदूषण में बढ़ोतरी हुई है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कई प्रजाति के जीव-जन्तु, प्राकृतिक स्रोत एवं वनस्पति विलुप्त हो रहे हैं, जिससे पृथ्वी असंतुलित हो रही है। विलुप्त होते जीव-जन्तु और वनस्पति की रक्षा के लिये विश्व-समुदाय को जागरूक करने के लिये ही इस दिवस को मनाया जाता है। 
आज पॉलीथीन पृथ्वी के लिये सबसे बड़ा सिरदर्द बन गई है। इसके नष्ट न होने के कारण भूमि की उर्वरक क्षमता खत्म हो रही है। इनको जलाने से निकलने वाला धुआं ओजोन परत को भी नुकसान पहुंचाता है जो ग्लोबल वार्मिग का बड़ा कारण है। देश में प्रतिवर्ष लाखों पशु-पक्षी पॉलीथीन के कचरे से मर रहे हैं। हमें वर्षा के जल को पुन: उपयोग में लाने वाली प्रणाली को विकसित करना होगा। 

#मानव सभ्यता को बचाने के लिये पृथ्वी का संरक्षण ज़रूरी