अब रूस व अमरीका से निकटता बढ़ा रहा बांग्लादेश

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार डॉ. मोहम्मद यूनुस इस समय दो महाशक्तियों समेत दुनिया के प्रमुख देशों से सफलतापूर्वक सम्पर्क साधकर अपनी कूटनीति जारी रखे हुए हैं। इस साल मार्च के आखिरी हफ्ते में बीजिंग की अपनी यात्रा के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से पूरा समर्थन हासिल करने में बड़ी सफलता मिलने के बाद डॉ. यूनुस ने गत 17 अप्रैल को दो महत्वपूर्ण विदेशी प्रतिनिधिमंडलों का स्वागत किया—एक पाकिस्तान के और दूसरा अमरीकी सरकार के। रूसी नौसेना का तीसरा सैन्य प्रतिनिधिमंडल चार दिवसीय यात्रा पर चटगांव में है। हाल के दिनों में ढाका में कूटनीतिक गतिविधियों की ऐसी हलचल कभी नहीं देखी गयी। 
सबसे महत्वपूर्ण यात्रा अमरीकी प्रतिनिधिमंडल की है, जिसका नेतृत्व विदेश विभाग में दक्षिण एशिया मामलों की उप-सचिव निकोलचुलिक कर रही हैं। इस वर्ष 20 जनवरी को राष्ट्रपति के पदभार संभालने के बाद ट्रम्प-2 शासन से यह पहला उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल था। इससे पहले ट्रम्प ने इस वर्ष फरवरी में यह आभास दिया था कि वह बांग्लादेश के मामले में अपने मित्र नरेंद्र मोदी के विचारों को मानेंगे, लेकिन इंटेल प्रमुख तुलसी गबार्ड की रिपोर्ट और पिछले महीने डॉ. यूनुस की बीजिंग यात्रा के बाद हुई चीन-बांग्लादेश की दोस्ती से स्थिति बदल गयी है।
अमरीका का दक्षिण एशिया विभाग बांग्लादेश पर अपनी भावी नीति के बारे में अपने राजनीतिक और आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए अपना आकलन कर रहा है और ट्रम्प के प्रिय मित्र नरेंद्र मोदी के विचारों को ज्यादा महत्व नहीं दे रहा है। अमरीका भी बांग्लादेश में चुनाव के बाद अपने अनुकूल नयी सरकार बनाने में उतना ही इच्छुक है, जितना चीन कोशिश कर रहा है। अमरीका जानता है कि चीन ढाका में राजनीतिक खेल में बहुत आगे है और सभी प्रमुख राजनीतिक दलों में उसके समर्थक हैं।
डॉ. यूनुस से बातचीत के अलावा प्रतिनिधिमंडल ने सभी प्रमुख पार्टियों, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी), जमात और छात्र संगठन नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) की नयी गठित पार्टी से बातचीत की। बीएनपी ने इस साल दिसम्बर से पहले चुनाव कराने की मांग की जबकि जमात अगले साल की शुरुआत में चुनाव चाहती थी। केवल एनसीपी ने कहा कि चुनाव उनके प्रस्तावित सुधार उपायों जैसे चुनावी कानूनों और संविधान में बदलाव के लागू होने के बाद कराये जाने चाहिए। 
अभी तक इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि अमरीकी प्रतिनिधिमंडल अवामी लीग के किसी समूह से मुलाकात करेगा, लेकिन ढाका में अमरीकी दूतावास के अधिकारी अवामी लीग के कुछ नेताओं के सम्पर्क में हैं। यह आश्चर्य की बात नहीं होगी कि अमरीकी दल के ढाका से रवाना होने से पहले अवामी लीग के नेताओं के साथ एक मुलाकात आयोजित की जाये। 
जहां तक पाकिस्तान का सवाल है, विदेश कार्यालय परामर्श (एफ ओसी) में भाग लेने के लिए पाकिस्तान की विदेश सचिव अमीना बलूच की यात्रा द्विपक्षीय संबंधों की स्थापना की तेज़ गति को जारी रखने का ही एक तरीका है, जो पिछले साल 5 अगस्त को हसीना सरकार के गिरने और 8 अगस्त को डॉ. यूनुस के अंतरिम प्रमुख बनने के तुरंत बाद शुरू हुआ था। एफ ओसी 15 साल बाद होने वाली कूटनीतिक बातचीत है। इसका मतलब यह है कि हसीना के पिछले 15 साल के शासन के दौरान पाकिस्तान के साथ ऐसी कोई बैठक नहीं हुई थी।
स्टेट गेस्ट हाउस पद्मा में आयोजित एफ ओसी में विदेश सचिव मोहम्मद जशीमुद्दीन ने बांग्लादेश की ओर से नेतृत्व किया जबकि अमीना बलूच ने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। सभी द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की गयी और दोनों पक्षों ने संबंधों को उच्च स्तर पर ले जाने का फैसला किया। पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री इशाकडार जो विदेश मंत्री भी हैं, 27-28 अप्रैल को डॉ. यूनुस के साथ चर्चा करने के लिए ढाका का दौरा करने वाले हैं। 
पिछले आठ महीनों में डॉ. यूनुस ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ दो बार द्विपक्षीय वार्ता की है—पहली बार पिछले साल सितम्बर में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में और फिर दिसम्बर में काहिरा में डी-8 बैठक में। बांग्लादेश के लिए चटगांव बंदरगाह पर रूसी नौसेना के प्रतिनिधिमंडल की वर्तमान यात्रा कूटनीतिक रूप से भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। रूस बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य में कोई महत्वपूर्ण खिलाड़ी नहीं रहा है, जहां लड़ाई मुख्य रूप से चीन और अमरीका के बीच है, जहां भारत, जो पहले बड़ा भाई था, पीछे से लड़ाई को देख रहा था, अमरीका की चालों पर कम उम्मीदें लगा रहा था। डॉ. यूनुस ने रूसियों को आमंत्रित करके उन्हें बहुत महत्व दिया है। रूसी जहाज़ चार दिवसीय सद्भावना यात्रा पर हैं। उनके आगमन पर उनका भव्य स्वागत किया गया। तीन रूसी युद्धपोतों की यात्रा सहित रूसी नौसेना प्रतिनिधिमंडल की इस यात्रा से पहले बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-ज़मान ने मास्को का दौरा किया और रूसी रक्षा मंत्रालय के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ उनकी बातचीत हुई। 
वर्तमान में बांग्लादेश 80 प्रतिशत से अधिक रक्षा उपकरण चीन से आयात करता है। यह रक्षा आपूर्ति हसीना सरकार के दिनों से जारी है क्योंकि चीन ने तब उत्पादों के लिए सस्ती कीमतों की पेशकश की थी। रूस बांग्लादेश को अनुकूल कीमतों पर आपूर्ति करने में रुचि रखता है। बांग्लादेश अपनी सैन्य आपूर्ति में विविधता लाना चाहता है ताकि पाकिस्तान और रूस दोनों को कुछ छोटा हिस्सा मिल सके। 
रूस को लुभाने का एक और पहलू भी है। वर्तमान में भारत, जो पहले रूस से हथियारों के आयात पर बड़े पैमाने पर निर्भर था, ने अब अपनी खरीदारी की टोकरी को अमरीका की ओर मोड़ दिया है। रूस परेशान है, हालांकि कूटनीतिक रूप से वह भारत के प्रति दोस्ताना भाव दिखा रहा है। रूस से रक्षा उपकरणों की खरीद शुरू करके ढाका को उम्मीद है कि वह नयी दिल्ली के साथ मौजूदा मुद्दों के संबंध में मास्को को अपने पक्ष में प्रभावित कर सकेगा। (संवाद)

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