अमरीका के टैरिफ का चीन पर प्रभाव

चीन की पूरी अर्थव्यवस्था और जीडीपी निर्यात पर आधारित है। चीन दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जिसकी जीडीपी का 65 प्रतिशत निर्यात से आता है। इतना बड़ा निर्यात दुनिया में कोई भी देश नहीं करता जितना बड़ा चीन करता है। अमरीका चीन के लिए सबसे बड़ा बाज़ार था। 
अमरीका के किसी भी मॉल में 85 प्रतिशत सामान चीन का ही उपलब्ध होता था। यहां तक कि क्रिसमस पर जो अमरीकी अपने घरों में क्रिसमस ट्री लगते हैं, वह भी मेड इन चीन होता है। टॉयलेट टिशू पेपर हो या फिर गाड़ियों के टायर हो दूसरे कल पुर्जे हों घरेलू उपयोग के समान हो, टूथपेस्ट हो सब कुछ अमरीका अब तक चीन से ले रहा था। उल्लेखनीय है कि जब कोविड काल में अमरीका में तमाम वस्तुओं की कमी हो गई थी, तब भी अमरीका ने यह नहीं सोचा कि किसी भी देश पर इतना निर्भर होना ठीक नहीं है। वह वीडियो भी प्रसारित हुआ था जब अमरीका के मॉल में टिशू पेपर या दूसरी चीज़ों के लिए मारपीट हो रही थी। अमरीका चीन पर इतना ज्यादा निर्भर हो गया था कि अमरीका के खुद के उद्योग लगभग तबाही के कगार पर चले गए थे। 
 अमरीका ने पहले चीन पर 125 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया था और चीन ने अमेरिका पर 84 प्रतिशत टैरिफ  लगाया था। अब अमरीका ने चीन पर टैरिफ बढ़ा कर 245 प्रतिशत कर दिया है। यह भारत के लिए बहुत अच्छा मौका है। भारत इस मौके का फायदा उठा सकता है। अगर यह टैरिफ  युद्ध लंबा चला तो चीन में हज़ारों नहीं बल्कि लाखों फैक्टरियां बंद हो सकती हैं, करोड़ों लोग बेरोज़गार हो जाएंगे।  डोनाल्ड ट्रम्प चाहे कैसे भी इंसान हों लेकिन उनकी कुर्सी की अहमियत सबसे ज्यादा है, इसमें कोई दो राय नहीं। अमरीका के राष्ट्रपति का पद दुनिया में सबसे शक्तिशाली है और उनके सही या गलत फैसलों से दुनिया हिल जाती है। इसका एक उदाहरण देखिये। ट्रम्प ने अचानक रेसिप्रोकल टैक्स पर 90 दिनों तक रोक लगा दिया है और चीन को छोड़ कर अन्य सभी देशों पर टैरिफ को 10 प्रतिशत पर फिक्स कर दिया है और इसी के साथ चीन पर टैरिफ बढ़ा कर 125 प्रतिशत कर दिया था। मात्र कुछ ही मिनटों में अमरीकी स्टाक मार्किट में 3.5 ट्रिलियन डॉलर्स जमा हो गए, मतलब भारत की अर्थव्यवस्था (4.2 ट्रिलियन डॉलर) से थोड़ा सा कम। इतना पैसा कुछ ही मिनटों में आ गया अमेरिकी सिस्टम में। अब अमरीका ने चीन पर टैरिफ बढ़ा कर 245 प्रतिशत कर दिया है।
ईरान जो परमाणु परमाणु चिल्ला रहा है, हुती, यमन आदि समुद्री जहाज़ लुटेरों के पीछे खड़ा है। ईरान के पीछे चीन खड़ा है। चीन का वाट लगने से तीनों एक साथ साध लिए जाएंगे। अब चीन और कुछ आस-पास के देशों में (जो चीन पर निर्भर हैं), को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। भारत, जो इस पूरी नूराकुश्ती का शुभ लाभकर्ता है, यहां सैंसेक्स को राकेट लगेगा। (अदिति)

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