कानून के भगौड़े जालसाज़
मानवीय लालसा और लालच किस सीमा तक बढ़ जाते हैं इसका उदाहरण विगत वर्षों में घटित तीन मामलों के साथ दिया जा सकता है। ऐसे व्यक्ति जिनका कारोबार करोड़ों-अरबों रुपए में हो, जो धरती पर बसते स्वर्गों के झूले ले रहे हों, जिनका कारोबार देश में ही नहीं, विदेशों तक भी फैला हो, यदि ऐसे मनुष्य लालसा नहीं छोड़ सकते तो यही कहा जा सकता है कि मानवीय लालसा का कोई अंत नहीं। पिछले कई वर्षों में कुछ अरबपति व्यक्तियों द्वारा भारतीय बैंकों से धोखाधड़ी की गई। फिर वे भारत से भाग कर विदेश चले गए और फिर भिन्न-भिन्न देशों में स्थान-स्थान पर भटकते रहे हैं, परन्तु अपने पूरे यत्नों के बावजूद वे वहां अपना कोई स्थायी ठिकाना बना पाने में सफल नहीं हो सके। उन्होंने विदेशों में महंगे से महंगे वकील करके बचने का यत्न ज़रूर किया परन्तु अंतत: अब ये भारतीय कानून के शिकंजे में फंसते दिखाई दे रहे हैं।
इनके नाम हैं, मेहुल चोकसी, नीरव मोदी और विजय माल्या। मेहुल चोकसी को चाहे अब तक भारत तो नहीं लाया जा सका परन्तु उसके बारे में पुख्ता समाचार ये मिले हैं कि भारतीय एजेंसियों के यत्नों के कारण उसे बैल्जियम में गिरफ्तार कर लिया गया है। चाहे वह अभी भी शिकंजे से निकलने का यत्न कर रहा है परन्तु अब उसे भारत लाना लगभग तय है। उस पर धोखाधड़ी, बेईमानी, भ्रष्टाचार और मनी लांड्रिंग के कई मामले दर्ज हैं। वह भारत की बड़ी हीरा कम्पनी गीतांजली ग्रुप का मालिक था। वह इन मामलों से बचता बचाता जनवरी, 2018 में देश से भाग गया था और फिर कैरेबियाई द्वीप समूह के देश एन्टीगुआ में रहने लगा था। वहां उसने भारी निवेश करके वहां की नागरिकता भी ले ली थी। वहां से वह यूरोप के देश बैल्जियम में भाग गया और वहां रहने के लिए उसने फज़र्ी दस्तावेज़ भी बना लिए थे, क्योंकि उसकी पत्नी पहले ही वहां की नागरिक थी। वह 13 हज़ार करोड़ के बैंक घोटाले में फंसा हुआ था। उसका भतीजा नीरव मोदी भी हज़ारों करोड़ रुपये के बैंक फ्राड के बाद विदेश भाग गया था और उसने भी बैल्जियम की नागरिकता ले ली थी। वह भी अरबों का मालिक होते हुए बैंकों से करोड़ों की ठगी करके भाग गया था और बाद में देश-विदेश में भटकता रहा। भारतीय एजेंसियों के सतत् यत्नों से वर्ष 2019 में उसे लंदन में गिरफ्तार कर लिया गया था, परन्तु वह किसी न किसी तरह छूट गया और फिर दुबाई, हांगकांग, सिंगापुर और लंदन भागते हुए कानूनी गिरफ्त से बचने का यत्न करता रहा। ब्रिटेन में दिसम्बर, 2022 में भारतीय एजेंसियों द्वारा किए गए मुकद्दमों में वह अंतिम अपील भी हार गया था। अब वह वहां जेल में बंद है, जिसे भारत लाने के लिए सरकार द्वारा आखिरी लड़ाई लड़ी जा रही है।
ऐसा ही मामला विजय माल्या का है, जो भारत में अरबों का मालिक था। दो बार अपनी विशेष पहुंच के कारण वह राज्यसभा का सदस्य भी बना था। भारत की प्रसिद्ध शराब कम्पनी यूनाइटिड स्पिरटस का वह चेयरमैन था। इसके अतिरिक्त अनेक बड़ी-बड़ी परियोजनाओं में भी उसका हिस्सा था। किसी समय खाद बनाने का वह बादशाह माना जाता था और विमान सेवाओं में भी उसकी धाक थी और वह किंगफिशर एयरलाइन्ज़ का भी मालिक था। भारत में वह मस्ती और ऐश भरी ज़िन्दगी जीने का शौकीन था, परन्तु वर्ष 2017 में किंगफिशर एयरलाइन्ज़ पर अरबों का ऋण चढ़ने के बाद वह भारत से भाग गया था। उसने भी ब्रिटेन में रहते हुए बचने के लिए बड़े यत्न किए। उसके भारत प्रत्यर्पण के विरुद्ध अपील वर्ष 2020 में रद्द हो गई थी। माल्या फिर भी वहां पर कई और आधार बना कर भारत को अपना प्रत्यर्पण रोकने के यत्न करता रहा, परन्तु समय के व्यतीत होने से अब उसका भी वहां टिके रहने का आधार बेहद कमज़ोर हो चुका है। इन तीनों अरबोपति भगौड़ों की वापसी ऐसे उच्च स्तर के कांड करने वाले व्यक्तियों के लिए एक उदाहरण सिद्ध होगी और इन मामलों के हवाले से भारतीय लोग मानवीय लालसा के शिखर का अंत भी देख सकेंगे। आज भी हज़ारों और भगौड़े अनेक तरह की धोखेबाज़ी के बाद विदेशों में भटकते फिर रहे हैं। सरकार को अपने निरन्तर यत्नों से ऐसे धोखेबाज़ों को काबू करके कानून के अनुसार कड़ी सज़ाओं के भागी बनाना चाहिए।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द