बढ़ता संताप
केन्द्र सरकार द्वारा पारित किए गए वक़्फ संशोधन कानून पर छिड़ा विवाद खत्म होता दिखाई नहीं दे रहा। ऐसा प्रतीत होता है कि इस कानून से उठा धुआं लपटें बनता जा रहा है। स्थान-स्थान पर इसका विरोध हो रहा है। पश्चिम बंगाल में मुर्शिदाबाद ज़िले में जो कुछ घटित हुआ है, वह घिनौना भी है और अति निंदनीय भी है। इस कानून का विरोध करते हुए एक समुदाय के लोगों द्वारा दूसरे समुदाय के लोगों पर हमले तक किए गए। कुछ मौतें भी हुई हैं। लोगों के घरों और सम्पत्तियों को भी जला दिया गया है। इस संबंध में वहां के पुलिस प्रमुख ने कड़ी चेतावनी भी जारी की और यह भी कहा कि इन दंगों के आरोपियों को कड़ी से कड़ी सज़ाएं दिलाई जाएंगी और किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की इजाज़त नहीं दी जाएगी, परन्तु इसके बावजूद लगी हुई आग लगातार सुलगती ही जा रही है।
देश के सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसे दंगों पर चिन्ता प्रकट की है। वहां के प्रदेश भाजपा नेता लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि मुख्यमंत्री ने इन दंगों को भड़काने को पूरी शह दी है, क्योंकि उनके बयान वक़्फ संशोधन कानून के विरुद्ध आते रहे हैं और यहां तक कि ममता ने यह भी बार-बार कहा है कि वह अपने प्रदेश में इस कानून को किसी भी स्थिति में लागू नहीं करने देगी। केन्द्रीय भाजपा नेता भी इस घटनाक्रम पर मुख्यमंत्री की आलोचना कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तो यहां तक कहा है कि दूसरे समुदाय के लोगों को डंडों से पूरा सबक सिखाना चाहिए। इन दंगों को लेकर भाजपा केन्द्र सरकार पर दबाव बना रही है कि वह पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू कर दे। दूसरी तरफ ममता बनर्जी ने यह आरोप लगाया है कि भाजपा और केन्द्र की सुरक्षा एजेंसियां प्रदेश को अस्थिर करने के लिए ही ऐसा माहौल पैदा कर रही हैं। इस कानून का इस सीमा तक प्रभाव पड़ा है कि सर्वोच्च न्यायालय इस संबंध में 73 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इस कानून से यह भी परिणाम निकाला जा रहा है कि एक धार्मिक समुदाय के भीतरी मामलों में हस्तक्षेप किया जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि इस कानून के आधार पर सैकड़ों वर्ष पहले स्थापित धार्मिक स्थानों की वैधता पर पुन: सवाल उठाए जाने लगेंगे।
पहले दिन की सुनवाई में तो सर्वोच्च न्यायालय ने यह बेबाक टिप्पणी भी की थी कि, क्या हिन्दू धार्मिक बोर्डों में भी मुसलमानों को शामिल किया जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि, क्या तिरुपति बोर्ड में ़गैर-हिन्दू शामिल हैं तथा सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्र से यह भी पूछा कि, क्या वह मुसलमानों को हिन्दू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की इजाज़त देने के लिए तैयार है? सर्वोच्च न्यायालय ने दूसरे दिन की सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार को जवाब देने के लिए सात दिन का समय दिया है और साथ ही नए वक़्फ कानून के तहत नई नियुक्तियां या वक़्फ सम्पत्तियों संबंधी कोई भी अहम फैसला न लेने के लिए भी कहा है। आज जिस तरह यह विवाद लगातार बढ़ता दिखाई दे रहा है, उससे तो इसके और फैलने की भी सम्भावना बनती दिखाई दे रही है, जिसे किसी भी तरह देश के हित में नहीं माना जा सकता और प्रत्येक स्थिति में यह घटनाक्रम देश के लिए हानिकारक सिद्ध होगा। भारत पहले भी अनेक संताप भुगत रहा है। यह कानून भी उन संतापों की कड़ी को और लम्बा करने में ही सहायक होगा।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द