सिक्किम में छुपी हुई जन्नत है डेमाजोंग
अक्सर ऐसा भी होता है कि आप किसी जगह का नाम सुनते हैं और वहां जाने से पहले ही आपको उस जगह से प्यार हो जाता है। मैंने स्कूल के दिनों में गंगटोक का नाम पहली बार सुना था, जब हमें राज्यों की राजधानियों के नाम सिखाये जा रहे थे। तभी से मेरे मन में था कि एक दिन मैं वहां जाऊंगा। मैं खुशकिस्मत हूं कि पिछले एक दशक के दौरान मुझे अनेक बार सिक्किम जाने का अवसर मिला।
हाल ही में मैं विभिन्न देशों के दस व्यक्तियों के समूह में सिक्किम की दस दिन की यात्रा पर था। इस समूह में लगभग सभी आयु वर्ग के लोग शामिल थे और सभी फूड व नये अनुभवों के लिए प्रेरित थे। सिक्किम छोटा-सा राज्य अवश्य है, लेकिन इसकी विविधता अविश्वसनीय तौर पर आश्चर्यजनक है। हम स्थानीय परिवारों के साथ ठहरे और कुछ समय के लिए उनके जीवन को जिया।
मैं हमेशा से मानता हूं कि फूड ही एक ऐसी चीज़ है जो हम सबको जोड़े रखता है। यह संस्कृति का व्यक्तिगत और अटूट हिस्सा है- जो परिवार, रिश्तेदारी, दोस्ती, प्रेम व सम्मान के गीत गाता है। इससे फर्क नहीं पड़ता अगर आप संस्कृति या उसके लोगों को नहीं जानते। संबंध स्थापित करने के लिए केवल एक भोजन साथ करने की आवश्यकता पड़ती है। कोई अगर आपके लिए खाना बनाने हेतु समय निकालकर प्रयास करता है तो आप उससे कैसे दूरी बनाये रख सकते हैं?
पश्चिम सिक्किम में एक नेपाली घर। छोटा सा गांव दारप वास्तव में पर्यटन नक्शे पर नहीं है। पहाड़ों में बसा यह गांव ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी कहानी की पुस्तक से निकालकर इसे यहां रख दिया गया हो। इसमें सीढियां ऊपर तक ले जाती हैं और फिर पूरे गांव में। यहां काली इलायची, के खेत हैं और गार्डन डहलिया, गेंदे, ़फर्न व अन्य सजावटी फूलों से खिले हुए हैं। यहां के नेपाली परिवार खुशमिजाज हैं और दैनिक भोजन तैयार करने में आपको अपनी रसोई में आमंत्रित करने में उन्हें आनंद आता है। अधिकतर गांवों की तरह यहां भी खाना पहले सिरे से ही तैयार किया जाता है, स्थानीय चीज़ों का इस्तेमाल करते हुए जो मौसम के साथ बदल जाती हैं। नकिमा यहां का विशेष है जोकि जंगली फूलों से तैयार की गई सब्ज़ी है।
दक्षिण सिक्किम और भोटिया, उबड़-खाबड़ सड़क पर कई घटे के सफर के बाद हम दक्षिण सिक्किम के एक भोटिया घर में पहुंचे। यह तिब्बती मूल के हैं। इन घरों में रसोई मकान का केंद्रीय कमरा होती है। लकड़ियों पर खाना पकता है, इसलिए धुआं बाहर निकालने के लिए चिमनी छत से लटकी रहती है और खाना बनाने में पूरा परिवार शामिल होता है। केव्सिंग की इस छोटी सी बस्ती के लिए मेरे दिल में विशेष जगह है, विशेषकर इसलिए कि यहां से विशाल कंचनजंगा का शानदार नज़ारा मिलता है।
उत्तर सिक्किम में चांग व लेपचा। सिक्किम में सबसे जादुई जगह द्जोंगु है और ऐसी अनेक जगह हैं। यह राज्य के मूल निवासी लेपचा का घर है और यह अत्यधिक प्राकृतिक है। साफ नीली नदियां, इसी रंग का आसमान और रास्ते जो सुंदर जंगलों तक लेकर जाते हैं। लेपचा सर्वश्रेष्ठ चांग बनाने के लिए विख्यात हैं, जोकि फर्मेंट किये गये चावलों या रागी अनाज से तैयार की गई स्थानीय ड्रिंक है। यह कूल, हल्की व ताजगीभरी है और नशे में धुत कर देती है क्योंकि इसे लोग ज़रुरत से ज्यादा पी जाते हैं।
एक रात गंगटोक में। गांवों की धीमी ज़िंदगी का आदर्श अंत यही था कि राजधानी गंगटोक की उत्साहभरी ज़िंदगी का आनंद लिया जाये। हमेशा की तरह मेरे पास सूची है कि मुझे कहां खाना, खाना है। शफालय खाये बिना सिक्किम छोड़ने का कोई इरादा न था। यह मीट से भरा ब्रेड है। फिर मोमोस, लाफिंग (कोल्ड नूडल डिश) और अब विख्यात हो चुके दैले फ्राइज का स्वाद भी तो लेना था। इससे भी महत्वपूर्ण बाज़ार की दुकानों से घर ले जाने के लिए चीज़ें खरीदना। हमेशा की तरह मैंने अतिरिक्त बैग खरीदा ताकि सभी चीज़ों को रख सकूं।
घर लौटने पर मुझे एहसास हुआ कि सिक्किम का फूड उसके नागरिकों जैसा ही है- साधारण लेकिन फिर भी विशिष्ट, पसंद करने योग्य, रंगीन और जिसे भुलाया नहीं जा सकता। पूर्वी हिमालय के इस सुंदर पहाड़ी राज्य का सिक्किम नाम एकदम दुरुस्त है डेमाजोंग, छुपी हुई जन्नत। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर