भारत के दक्षिणी भाग की जीवनरेखा है गोदावरी

नदियां जीवनदायिनी होती हैं। नदी किनारे ही इंसान जन्मा है और नदियों के किनारे ही दुनिया की सभी सभ्यताएं व संस्कृतियां फली-फूली हैं। धरती में नदियों के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। लेकिन जलवायु परिवर्तन, बढ़ती आबादी और नदियों के प्रति आम लोगों की उदासीनता के चलते धरती में जल संकट तो गहराया ही है, अब नदियों के अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इसलिए नदियों का न केवल संरक्षण ज़रूरी है बल्कि हमें अपनी नई पीढ़ियों को इनके प्रति संवेदनशील भी बनाना ज़रूरी है ताकि इनका अस्तित्व बचा रहे और धरती में इंसानी सभ्यता और संस्कृति भी हमेशा की तरह फलती फूलती रहे। इन दूरगामी मानवीय उद्देश्यों की पूर्ति हेतु नदी गाथा मासिक कालम के तहत प्रस्तुत है, इस बार भारत की गंगा के बाद दूसरी सबसे लंबी नदी गोदावरी की गाथा।
महाराष्ट्र में नासिक शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित त्रयंबकेश्वर की ब्रह्मगिरि पहाड़ियों से निकलने वाली गोदावरी नदी को दक्षिण गंगा या भारत के दक्षिण भाग की जीवनरेखा भी कहते हैं। इसका उद्गम स्थल त्रयंबकेश्वर, एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग स्थल है। गोदावरी नदी सबसे बड़ी प्रयाद्वीपीय नदी प्रणाली है। इसका बेसिन उत्तर में सतमाला पहाड़ियों, दक्षिण में अजंता श्रेणी और महादेव पहाड़ियों, पूर्व में पूर्वी घाट और पश्चिम में पश्चिमी घाट से घिरा हुआ है। इसका जलग्रहण क्षेत्र 3,12,812 वर्ग किलोमीटर है, जोकि भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 10 प्रतिशत है। यह महाराष्ट्र, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के अलावा मध्य प्रदेश, कर्नाटक और पुड्डूचेरी के मध्य क्षेत्र के छोटे से हिस्से से होकर भी बहती है तथा बंगाल की खाड़ी में जाकर समुद्र में गिरती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियों में इंद्रावती, मंजीरा, प्रणहिता, प्रवरा, पूर्णा और साबरी हैं। गोदावरी नदी की लंबाई 1465 किलोमीटर है यह गंगा (2,525) के बाद भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है। गोदावरी के तट पर बसे नासिक शहर में भी उज्जैन, हरिद्वार और प्रयाग की तरह कुंभ मेला लगता है। गोदावरी के किनारे स्थित प्रमुख शहरों में नासिक, राजामुंदरी, पैठण, नांदेड़, निजामाबाद, रामागुंडम, भद्राचलम, कोव्वूर, नरसापुरम के अलावा धर्माबाद (महाराष्ट्र) और सिरोनचा (तेलंगाना) नगर भी हैं। 
गोदावरी नदी का वैसा ही धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है जैसे गंगा, कावेरी और नर्मदा नदियों का है। गोदावरी के उद्गम स्थल पर प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग त्रयंबकेश्वर के अलावा इसके तट पर नासिक, राजामुंदरी और भद्राचलम में हर 12 सालों में भव्य पुष्कर स्नान मेले लगते हैं। गंगा और यमुना की तरह ही गोदावरी नदी के बारे में भी यह मान्यता है कि इस पर नहाने से पापों से मुक्ति मिलती है। गोदावरी का वर्णन भी संस्कृति, साहित्य और वेदों व पुराणों में मिलता है। कालिदास और तुलसीदास जैसे महान कवियों ने इसका वर्णन किया है। इस नदी के किनारे बसे क्षेत्र अपने कई सांस्कृतिक उत्सवों, विशिष्ट नृत्यों, गीत और भक्ति परंपराओं के लिए जाने जाते हैं। संत तुकाराम और संत रामदास जैसे पश्चिम भारत के महान संत गोदावरी नदी क्षेत्र में ही सक्रिय रहे हैं। गोदावरी नदी का बेसिन क्षेत्र भारत के सबसे बड़े बेसिनों में से एक है। 
गोदावरी नदी केवल एक जलधारा नहीं हैं बल्कि भारत के दक्षिणी भाग की जीवनरेखा है। गंगा, यमुना की तरह ही धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखने वाली गोदावरी नदी वह महान पुल है, जो द्रविड़ और आर्य परंपराओं को आपस में जोड़ता है। इसके तट पर बसी सभ्यताएं, मंदिर, तीर्थ और सांस्कृतिक आयोजन भारतीय जनजीवन की गहराई को दर्शाते हैं। एक नहीं बल्कि कई धर्मों के लिए गोदावरी महत्वपूर्ण और पवित्र नदी है। इसके तट पर बसा पैठण नगर संत एकनाथ की कर्मभूमि है, यह नाथ सम्प्रदाय की सांस्कृतिक विरासतों और पैठण सिल्क साड़ियों के लिए जाना जाता है। जबकि इसी के किनारे स्थित नांदेड़ शहर में सिक्खों का पवित्र गुरुद्वारा हजूर साहिब स्थित है। इसलिए यह सिक्ख धर्म के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। गोदावरी के ही तट में निजामाबाद जैसा ऐतिहासिक और शैक्षणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण शहर स्थित है। गौरतलब है कि निजामाबाद के आसपास से गोदावरी की सहायक नदियां बहती हैं। इसी तरह रामागुंडम भी तेलंगाना का एक औद्योगिक केंद्र है, जो गोदावरी नदी के तट पर स्थित है और भद्राचलम वह प्राचीन और पवित्र शहर है, जो धार्मिक पर्यटन के लिए मशहूर है। राजामुंदरी या राजा महेंद्रवरम शहर भी गोदावरी के तट पर ही बसा आंध्र प्रदेश का महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक शहर है। जो अपने गोदावरी पुष्कर मेले के साथ-साथ आंध्र साहित्य और सिनेमा का भी केंद्र है। भारत के तीसरे सबसे बड़े बेसिन से जल निकासी करने वाली गोदावरी नदी राजामुंदरी के नीचे एक बहुत बड़ा डेल्टा बनाकर बंगाल की खाड़ी में विलीन हो जाती है। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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