सभी संकेत तो पाक को सबक सिखाये जाने वाले हैं !

आतंक सीमा पार कर गया है, इसलिए उसके परिणामों को भी सीमा ही पार करनी होगी। पंक्तियों के बीच की इबारत पढ़ने से कुछ संकेत अवश्य मिल रहे हैं। पश्चिमी सीमा पर भारतीय वायु सेना (आईएएफ) लम्बी दूरी की लड़ाकू उड़ानें भर रही है और अपने वायु रक्षा नेटवर्क को हाई अलर्ट पर रखे हुए है। विशेषकर इसलिए कि पिछले दस दिन से पाकिस्तानी सेना एलओसी (नियंत्रण रेखा) पर अनेक जगह छोटे हथियारों से अकारण ही फायरिंग कर रही है। पहलगाम आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में पाकिस्तान को सख्त सबक सिखाने के लिए चूंकि भारत ने अपने सभी विकल्प खुले रखे हैं, इसलिए 4 मई 2025 को नई दिल्ली में अपने लोक कल्याण मार्ग निवास पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एयर चीफ मार्शल एपी सिंह के साथ स्थिति की समीक्षा की। इस बैठक से एक दिन पहले नेवी चीफ एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने भी प्रधानमंत्री को अरब सागर में ऑपरेशनल स्थिति के बारे में बताया था, जहां प्रतिद्वंद्वी नौसेनाएं एक-दूसरे के बहुत करीब एकाधिक गोलीबारी व अन्य ड्रिल्स के साथ छाया युद्ध में लगी हुई हैं। गौरतलब है कि 29 अप्रैल, 2025 को प्रधानमंत्री ने देश की सेना को ‘पूर्ण ऑपरेशनल आज़ादी’ प्रदान कर दी थी कि वह आतंकवाद के विरुद्ध अपनी प्रतिक्रिया का ‘तरीका, निशाने व समय’ स्वयं तय करे। 
यहां यह बताना आवश्यक है कि नियंत्रण रेखा पर अनेक क्षेत्रों जैसे कुपवाड़ा, बारामूला, पूंछ, राजौरी, मेंधड़, नौशेरा, सुंदरबल व अखनूर में पाकिस्तानी सेना सीज़फायर का अकारण ही उल्लंघन करते हुए राइफल्स, लाइट व मीडियम मशीनगनों से फायरिंग कर रही है, जिसका भारतीय सेना मुंहतोड़ जवाब दे रही है। भारत व पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को मद्देनज़र रखते हुए आईएएफ निरंतर कॉम्बैट एयर पैट्रोल (सीएपी) कर रही है और उसने पश्चिमी सीमा के एयरबेसों पर ऑपरेशनल रेडीनेस प्लेटफॉर्म्स (ओआरपी) की संख्या में भी वृद्धि कर दी है। आमतौर से एक ओआरपी में दो से तीन पूर्णत: सशस्त्र फाइटर्स एयरबेस के रनवे के निकट ब्लास्ट पेंस में 24 घंटे तैयार खड़े रहते हैं कि अलार्म बजते ही तुरंत टेक-ऑफ कर जाएं। अब आईएएफ के पास 4.5 जनरेशन के राफेल भी हैं, जो बालाकोट एरियल स्ट्राइक (फरवरी 2019) के समय उसके पास नहीं थे। ओमनी-रोल राफेल में लम्बी दूरी के हथियार होते हैं, जैसे 300-किमी से अधिक की रेंज के ‘स्कैल्प’ (हवा से ज़मीन पर वार करने वाले क्रूज मिसाइल) और उच्चकोटि के मीटीअर (हवा से हवा में वार करने वाली मिसाइल, जिनकी मारक दूरी 120 से 150 किमी है) दुश्मन के जेट्स को नेस्तोनाबूद करने के लिए काफी हैं। 
अगर पाकिस्तान कोई दुस्साहस करने की हिमाकत करता है, तो भारतीय थल सेना, वायु सेना व नौसेना युद्ध के लिए भी पूरी तैयारी में है। क्या युद्ध होगा? इस संदर्भ में नई दिल्ली की तरफ से कोई स्पष्ट बयान तो नहीं आया है, लेकिन कुछ संकेतों को समझना आवश्यक हो जाता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि जो लोग पहलगाम आतंक के दोषी हैं, उन्हें ‘मुंहतोड़ जवाब’ दिया जायेगा और ‘मोदी के नेतृत्व में आपकी जो इच्छा है, वो होकर रहेगी’। इससे ज़ाहिर होता है कि पाकिस्तान के विरुद्ध सभी सैन्य विकल्प खुले हुए हैं ताकि जो लोग पर्दे के पीछे रहकर हरकतें करा रहे हैं, उन्हें सबक सिखाया जा सके। सिंह के अनुसार, ‘देश का रक्षा मंत्री होने के कारण यह मेरी ज़िम्मेदारी है कि मैं अपने सैनिकों के साथ कार्य करते हुए सुनिश्चित करूं कि देश की सीमाएं सुरक्षित रहें। सशस्त्र बलों के साथ काम करते हुए यह मेरी ज़िम्मेदारी है कि जो लोग हमारे देश पर बुरी नज़र रखते हैं, उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया जाए।’ इसी सिलसिले में विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बयान को समझना भी आवश्यक है। यूरोप, जो खुद युद्ध में फंसा हुआ है (रूस बनाम यूक्रेन), भारत को संयम के उपदेश दे रहा है। इस पर जयशंकर का कहना है, ‘जब हम दुनिया की ओर देखते हैं तो हम पार्टनर्स की तलाश करते हैं, उपदेशकों की नहीं... जो अपने घर (यूरोप) को तो देखते नहीं, लेकिन बाहर उपदेश देते हैं। अगर हमें पार्टनरशिप बनानी है तो कुछ समझ, संवेदनशीलता, साझा हित और यह एहसास कि दुनिया किस तरह से काम करती है, अवश्य होना चाहिए।’ 
जयशंकर कह रहे हैं कि हमें बर्दाश्त करने के उपदेश मत दो बल्कि आतंक के विरुद्ध जंग में हमारे साथी बनो, हमसे सहयोग करो। बयानों से अलग जो कदम उठाये जा रहे हैं, वे भी अर्थहीन नहीं हैं। आर्डिनेंस फैक्टरियों में से अधिकतर ने अपने कर्मचारियों की लम्बी छुट्टियों को रद्द कर दिया है। अगले दो माह तक एक कर्मचारी अधिकतम दो दिन की ही छुट्टी ले सकता है। हालांकि अधिकारियों ने कहा है कि इस निर्णय का संबंध पहलगाम से नहीं है बल्कि टारगेट्स को पूरा करने से है, लेकिन इस फैसले के समय से सहज ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यह इसलिए लिया गया ताकि आशंकित युद्ध के समय गोला बारूद की किसी भी सूरत में कमी न पड़ जाये। आजकल वैसे भी युद्ध लम्बे खिंच रहे हैं। रूस-यूक्रेन और मध्य-पूर्व एशिया में युद्धों को चलते हुए कई साल हो गये हैं। गौरतलब है कि फिरोजपुर कैंट में 30 मिनट के ब्लैकआउट ड्रिल का आयोजन कराया गया। यह युद्ध का संकेत नहीं है तो और क्या है? हालांकि पाकिस्तान ने भारत को उकसाते हुए अब्दाली मिसाइल का परीक्षण किया है व अकारण नियंत्रण रेखा पर फायरिंग भी कर रहा है, लेकिन उसकी आर्थिक व सैन्य क्षमता युद्ध करने लायक नहीं है। वह सिर्फ गीदड़ भकियां ही दे रहा है। नई दिल्ली को जो सैन्य एक्शन लेना है, वह तो लिया ही जाये, लेकिन साथ ही भारत को चाहिए कि वह अपने बड़े बाज़ार का फायदा भी उठाये। पहलगाम का यही सबसे अच्छा उत्तर होगा।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

#सभी संकेत तो पाक को सबक सिखाये जाने वाले हैं !