पाकिस्तान का कबूलनामा
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले के बाद भारत की ओर से धारण किए गए कड़े रवैये के कारण पाकिस्तान के भीतर बड़ी हलचल पैदा हुई दिखाई देती है। विश्व भर के देशों में किसी को यह सन्देह नहीं है कि पाकिस्तान आज आतंकवादियों का गढ़ बन चुका है। समय-समय पर इस बात को पाकिस्तान के वरिष्ठ नेता और सैन्य जनरल भी स्वीकार करते रहे हैं। विगत दिवस वहां के रक्षा मंत्री ़ख्वाज़ा आस़िफ ने टैलीविज़न को दिए एक साक्षात्कार के दौरान स्पष्ट शब्दों में कहा कि उनका देश लगभग तीन दशकों से अपने देश में तरह-तरह के आतंकवादियों का पोषण करता आया है। साथ ही उसने यह भी कहा कि वह अमरीका, ब्रिटेन और अन्य कई पश्चिम देशों के लिए यह नापाक काम करता रहा है और इन संगठनों को प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता भी देता रहा है।
इसके बाद वहां की मौजूदा सरकार की भागीदार पाकिस्तान पीपल्ज़ पार्टी के प्रधान और वहां के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने भी स्पष्ट रूप में माना है कि पाकिस्तान में आतंकवादियों को शरण मिलती रही है और इसके इन संगठनों के साथ संबंध रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आज यह बात किसी से भी छुपी नहीं है। बिलावल ने यह भी कहा कि ऐसी नीति के कारण ही देश का बहुत भारी नुक्सान हुआ है। उन्होंने कहा कि नि:संदेह यह इतिहास का एक दुर्भाग्यपूर्ण हिस्सा है। यहीं बस नहीं, पहले भी पाकिस्तान के जनरल और बड़े-छोटे नेता ऐसा बयान देते रहे हैं। पाकिस्तान के स्वर्गीय राष्ट्रपति और उससे पहले रहे सैन्य प्रमुख जनरल मुशर्रफ ने भी यह माना था कि उसकी सेना भारतीय कश्मीर में आतंक पैदा करने के लिए प्रशिक्षित हथियारबंद मुजाहिद्दीन को में भेजती रही है। उसने यह भी माना था कि वर्ष 2001 के बाद अ़फगानिस्तान में करज़ई सरकार का तख्ता पलटने के लिए भी योजनाएं पाकिस्तान में ही बनी थीं। अब यह तथ्य भी पूरी तरह स्पष्ट हो गए हैं कि पाकिस्तान में मुजाहिद्दीनों द्वारा वर्ष 2001 में भारतीय संसद पर हमला, जुलाई 2006 में मुम्बई में गाड़ियों में बम धमाके और वर्ष 2008 में जो मुम्बई पर हमला किया गया था। वे भी पाकिस्तान की शह प्राप्त आतंकी संगठनों के ही कृत्य थे। अमरीका की ख़ुिफया एजेंसियों ने यह दावा भी किया था कि 7 जुलाई, 2008 को अ़फगानिस्तान की राजधानी काबुल में भारतीय दूतावास पर पाकिस्तान का संरक्षण प्राप्त तालिबान द्वारा ही हमला किया गया था।
अकेले भारत ही नहीं, ऐसे हमलों का शिकार रूस, चीन, इज़रायल, अमरीका, ब्रिटेन और यूरोप के अन्य देश भी होते रहे हैं। परवेज़ मुशर्रफ ने भारत पर हमला करने वाले इन मुजाहिद्दीन नेताओं को कश्मीर के स्वतंत्रता सेनानी कहा था। उनमें हाफिज़ सईद, ज़की-उर-रहमान लखवी को उसने अपने हीरो बना कर पेश किया था। इसके साथ ही उसके हीरो में हक्कानी, ओसामा-बिन-लादेन, अल-जवाहरी आदि भी शामिल थे। पाकिस्तान ने आतंकवाद के मामले पर हमेशा दोगली नीति अपनाये रखी है। अ़फगानिस्तान से भाग कर तालिबानी नेता ओसामा-बिन-लादेन पाकिस्तान में छुपा रहा। वहां के वरिष्ठ नेताओं और जरनैलों ने लगातार उसके अपने देश में न होने के बयान दिए थे, जिनमें पाकिस्तान का राष्ट्रपति ज़रदारी भी शामिल था, परन्तु लादेन को अमरीकी सैनिकों ने पाकिस्तान के एबटाबाद में ही ढूंढ कर हमला करके मार दिया था। वर्ष 2020 में उस समय के प्रधानमंत्री इमरान खान ने उसे शहीद करार दिया था। पाकिस्तान में इन आतंकवादी संगठनों द्वारा लगातार सार्वजनिक रैलियां की जाती हैं, जिनमें ये नेता भारत के विरुद्ध ज़हर उगलते रहे हैं। पाकिस्तान सरकार इन रैलियों का स्वयं प्रबन्ध करती रही है। इसीलिए लगातार अपने ऐसे कृत्यों के कारण पाकिस्तान आज अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अकेला पड़ा दिखाई देता है। वर्ष 2016 में इस्लामाबाद में सार्क देशों की होने वाली बैठक को स्थगित करना पड़ा था, क्योंकि तब 4 देशों भारत, अ़फगानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान ने उसमें भाग लेने से इन्कार कर दिया था।
2022 तक यह देश आतंकवादियों का संरक्षणकर्ता होने के कारण अन्तर्राष्ट्रीय फाइनैंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ग्रे सूची में रहा है। ऐसे देश को अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा आर्थिक सहायता नहीं दी जाती। ऐसी संस्थाओं में अन्तर्राष्ट्रीय मॉनीटरिंग फंड, वर्ल्ड बैंक, एशियन डिवैल्पमैंट बैंक और यूरोपियन यूनियन के देश शामिल हैं। अब पुन: इसे इसी सूची में रखने की मांग ज़ोर पकड़ रही है। इससे पहले अपनी पहली पारी में राष्ट्रपति होते डोनाल्ड ट्रम्प ने अमरीका द्वारा इसे दी जाती सैन्य सहायता बंद करने की घोषणा कर दी थी। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शऱीफ ने भी मुम्बई हमलों में पाकिस्तान के शामिल होने का आरोप लगाया था। जुलाई 2019 में उस समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी अमरीका की यात्रा के दौरान यह माना था कि उसके देश में उस समय 30 से 40 हज़ार हथियारबंद आतंकवादी विचरण कर रहे हैं, जो पाकिस्तान में सार्वजनिक रूप में फंड प्राप्त करते हैं। अब जब कि पाप का भरा यह प्याला छलकने लगा है तो दिशाहीन हुए पाकिस्तानी जरनैल और राजनीतिक नेता अपना अस्तित्व बचाने के लिए भारत को धमकियां देने लगे हैं। ऐसी स्थिति पैदा होने से पाकिस्तान के भविष्य पर आज बड़ा प्रश्न-चिन्ह लगा हुआ दिखाई देता है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द