देश को और मज़बूत करने का है यह समय

पहलगाम नरसंहार देश की आत्मा, अस्तित्व और संप्रभुता पर हमला है। उसे तनिक भी भुलाया नहीं जा सकता। भारत को हिंदू और मुसलमान में विभाजित कर आघात नहीं किया जा सकता। हम ऐसा आघात बर्दाश्त नहीं करेंगे, क्योंकि राष्ट्र के सवाल पर सभी समुदाय एकजुट हैं। पहलगाम नरसंहार के बाद सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी। उसमें सवाल ज़रूर उठे होंगे, लिहाजा मोदी सरकार ने खुफिया-सुरक्षा चूक को भी स्वीकार किया। जो नेता कट्टरपंथी किस्म के दिखाई देते हैं, आज वे भी सरकार के साथ हैं और प्रधानमंत्री मोदी के किसी भी फैसले का समर्थन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ के जरिए नरसंहार के पीड़ित परिवारों को आश्वस्त किया गया है कि उन्हें न्याय ज़रूर मिलेगा। हमले के दोषियों और साज़िश रचने वालों को कठोरतम जवाब दिया जाएगा। 
प्रधानमंत्री मोदी के इस आश्वासन पर भरोसा किया जाना चाहिए। हमले के तुरंत बाद आतंकियों और उनके आकाओं पर पलटवार नहीं किया जा सकता। यह भी कूटनीतिक और सामरिक रणनीति का हिस्सा है। दिल्ली से कश्मीर तक बैठकों और गहन जांच के दौर रहे। जांच में इसरो को भी शामिल किया गया है। 10 आतंकियों के घर ज़मींदोज कर दिए गए हैं। कुछ घरों में विस्फोटक भी दिखे हैं। करीब 2000 संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ जारी है। तीनों सेनाओं के प्रमुख और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बीच 40 मिनट की मुलाकात हुई।
ज़ाहिर है कि पाकिस्तान पर हमले के प्रारूपों पर विमर्श हुआ होगा। दुनिया के 40-45 देशों के राष्ट्राध्यक्षों, राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों आदि ने प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बातचीत की है और आतंकवाद के खिलाफ भारत को भरपूर समर्थन दिया है। प्रमुख मुस्लिम देश भी भारत के साथ खड़े हैं। चीन, तुर्किये सरीखे देशों ने भी पाकिस्तान को सार्वजनिक समर्थन नहीं दिया है। वे पाकिस्तान की फितरत और हकीकत जानते हैं। क्या कुछ विपक्षी दलों को ये गतिविधियां दिखाई नहीं देती हैं? यह सवालों का नहीं, राष्ट्र के तौर पर एकजुट दिखने का समय है। प्रधानमंत्री का सर्वदलीय बैठक में न आ पाना कोई बुनियादी सवाल नहीं है। बैठक में रक्षा मंत्री और गृह मंत्री थे, जो सुरक्षा और खुफिया संबंधी सवालों के प्रति पूरी तरह जवाबदेह होते हैं। क्या उनकी मौजूदगी महत्वपूर्ण नहीं थी? पहलगाम घटना को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ  जब पूरे देश में गुस्सा है। हर कोई सबक सिखाये जाने की मांग कर रहा है, लेकिन राजनीतिक गलियारों से ऐसी बातें सामने आ रही हैं जिस पर दलगत राजनीति हावी लग रही है। कहने को तो कांग्रेस सहित देश के सभी विपक्षी दलों ने पाकिस्तान के खिलाफ  कार्रवाई के मामले में हर कदम पर केंद्र सरकार को समर्थन का भरोसा दिलाया है, लेकिन कुछ नेताओं के ऐसे भी बयान आ रहे हैं, जो अलग पॉलिटिकल लाइन दिखा रहे है। पहलगाम हमले के बाद देश भर में पाकिस्तान को सबक सिखाने की मांग हो रही है। 
कुछ बड़ा होने वाला है। पहलगाम हमले के बाद से अक्सर ऐसी ही चर्चा चल रही है। पाकिस्तान के खिलाफ केंद्र सरकार ने सिंधु जल संधि और अटारी बॉर्डर को लेकर कुछ सख्त कदम भी उठाए हैं। सरहद पार से भी हर हलचल की खबर आ रही है। पाकिस्तान सरकार की तरफ से भी लगातार बयान आ रहे हैं। दिल्ली से लेकर बॉर्डर तक जगह-जगह हाई अलर्ट भी देखने को मिल रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आतंकवादियों को मिट्टी में मिलाने की घोषणा की है, लेकिन, पार्टी पॉलिटिक्स का अपना-अलग ही मिज़ाज है। शुरुआत तो रॉबर्ट वाड्रा से हुई थी, लेकिन मणिशंकर अय्यर और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी उसी रास्ते पर चल पड़ें अब तो महाराष्ट्र के कांग्रेस विधायक विजय वेट्टीवार और जम्मू-कश्मीर के सैफुद्दीन सोज भी उस लिस्ट में शामिल हो चुके हैं। 
राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे भले ही पहलगाम पर केन्द्र सरकार के हर फैसले के साथ खड़े हों, लेकिन सिद्धारमैया का कहना है कि पाकिस्तान के साथ युद्ध की कोई ज़रूरत नहीं है। हम इसके पक्ष में नहीं हैं, हमें अपनी सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने चाहिये। अपने बयान पर बवाल मचने के बाद अब सिद्धारमैया सफाई दे रहे हैं। मैंने कभी नहीं कहा कि भारत को पाकिस्तान के साथ युद्ध नहीं करना चाहिये। मैंने सिर्फ  इतना कहा कि युद्ध समाधान नहीं है, पर्यटकों को सुरक्षा दी जानी चाहिए थी, ज़िम्मेदारी किसकी है? और अब कह रहे हैं, अगर ज़रूरत पड़े तो हमें जंग करनी चाहिए, और हमें पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाना चाहिये कि वह फिर कभी ऐसी घिनौनी हरकतें करने की हिम्मत न करे।
एक किताब के विमोचन के मौके पर कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने 22 अप्रैल के पहलगाम अटैक को ‘विभाजन के अनसुलझे सवालों’ का नतीजा बताया था और, अय्यर की की सलाह थी कि हमें सवालों के जवाब खोजने चाहिये, किसी भी मुसलमान से पूछेंगे तब भी जवाब मिल ही जाएंगे। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता सैफु द्दीन सोज तो अन्यों से चार कदम आगे ही नज़र आ रहे हैं। सैफुद्दीन सोज कहते हैं, अगर पाकिस्तान कह रहा है कि पहलगाम अटैक में वह शामिल नहीं है, तो हमें उसकी बात मान लेनी चाहिये।
यह युद्ध की संभावनाओं पर सोचने और रणनीति तैयार करने का समय है। मोदी सरकार पर देशवासियों को पूरा भरोसा है। इसलिए देश से प्रेम करने वाले नागरिक सरकार से सवाल करने की बजाय उस समय का इंतजार कर रहे हैं, जब भारत पाकिस्तान को सबक लिखाएगा।

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