भाईचारक सद्भावना दिखाएं
विगत कुछ दिनों से भाखड़ा-ब्यास प्रबंधकीय बोर्ड द्वारा प्रत्येक वर्ष पानी के वितरण को लेकर जो बैठकें की गईं, उनमें अब तक जो परिणाम सामने आ रहे हैं और जिस प्रकार का माहौल पैदा हो गया है, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। नदियों के पानी के वितरण को लेकर भाखडा ब्यास प्रबंधकीय बोर्ड में संबंधित राज्यों पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश तथा दिल्ली के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। विगत कई दशकों से इस वार्षिक वितरण का क्रम चलता आ रहा है। कभी भी इस हेतु ज़्यादा विवाद पैदा नहीं हुआ। संबंधित राज्यों को पानी के वितरण हेतु बनाए गए फार्मले के साथ-साथ उनकी इस संबंधी तात्कालिक ज़रूरतों को भी ध्यान में रखा जाता है। इसी संबंध में राज्यों में आपसी आदान-प्रदान भी कर लिया जाता रहा है। इन महीनों में हरियाणा में कई क्षेत्रों में पीने वाले पानी की सख्ती कमी महसूस होती है। इस बात को भी ध्यान में रखा जाता है। इस समय पानी का प्रबंध पानी का ज़रूरतों के दृष्टिगत किया जाता है।
पंजाब सरकार द्वारा इस बार हरियाणा को दिए जाने वाले पानी संबंधी कड़ा रोष व्यक्त किया गया। उसके बाद भाखड़ा ब्यास प्रबंधकीय बोर्ड के फैसले के अनुसार हरियाणा को दिये जाने वाले पानी को पंजाब सरकार ने नंगल में रोक लिया। इसके साथ ही इसे पंजाब के हितों के खिलाफ बताते हुए वहां पुलिस का पहरा बिठा दिया गया है। इसी समय केन्द्रीय गृह सचिव गोबिन्द मोहन ने कहा है कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधकीय बोर्ड तथा संबंधित राज्यों के साथ बैठक करके 8 दिन के लिए हरियाणा को अतिरिक्त पानी देकर दोनों राज्यों की बीच बने राजनीतिक गतिरोध को तोड़ा जाये, परन्तु भाखड़ा ब्यास प्रबंधकीय बोर्ड द्वारा भागीदार राज्यों के बीच दो दिन बाद दोबारा बुलाई गई बैठक का पंजाब ने तकनीकी कारण बता कर बहिष्कार कर दिया और इस बैठक को स्थगित करने के लिए कहा। इसके साथ ही दोनों राज्यों ने इस मामले पर अदालतों में जाने की घोषणा भी की है।
विगत दिवस पंजाब सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में सभी विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने इस मामले पर प्रदेश सरकार के साथ खड़े होने की घोषणा की। दूसरी ओर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी द्वारा भी बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में सभी पार्टियों ने सरकार का ही पक्ष लिया है। इनमें आम आदमी पार्टी के नेता भी शामिल हैं। इस बैठक में हरियाणा की पानी की तात्कालिक ज़रूरत पूरी करने के लिए पंजाब को पानी छोड़ने की अपील की गई है। साथ ही हरियाणा के मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि पहले क्योंकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार थी और हरियाणा में चुनाव होने वाले थे, इसलिए पंजाब सरकार ने इन राज्यों को दिये जाते पानी बारे कभी आपत्ति नहीं की।
अब क्योंकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की कुर्सी छिन चुकी है और हरियाणा में भी भाजपा प्रशासन चला रही है, इसलिए राजनीतिक मसलहतों के तहत इस आम प्रचलन वाली कार्रवाई को जान-बूझ कर तूल दिया गया है। नायब सिंह सैनी धार्मिक अकीदों में गहन विश्वास रखने वाली शख्सियत हैं और वह पूरी तरह गम्भीरता एवं परिवक्वता से प्रदेश का प्रशासन चला रहे हैं। विगत दिवस उन्होंने इस मामले संबंधी कहा था कि पंजाब गुरु साहिबान की धरती है, जो भूखे को लंगर छकाने व प्यासे को पानी पिलाने की परम्परा रखती है। हरियाणा के लिए इस पानी की ज़रूरत को रोक कर पंजाब सरकार अन्यायपूर्ण एवं धक्के वाला रवैया धारण कर रही है जिसे अमानवीय, अनुचित, ़गैर-कानूनी तथा असंवैधानिक कदम कहा जा सकता है। सोचने वाली बात यह भी है कि विगत कई दशकों से सम्बद्ध राज्यों में होने वाले पानी के वितरण को लेन-देन की भावना से ही सुलझाया जाता रहा है, परन्तु इस बार इस मामले को इस सीमा तक क्यों उछाला गया और इसे इतना गम्भीर एवं जटिल क्यों बना दिया गया? पंजाब हरियाणा का पड़ोसी राज्य ही नहीं, अपितु दोनों एक-दूसरे के भाई हैं। किसी समय इनका अधिकतर क्षेत्र एक राज्य रहा है। इस समय भी दोनों राज्यों का प्रत्येक तरह से व्यापक स्तर पर आदान-प्रदान तथा भाईचारा एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। हरियाणा में बड़ी संख्या में पंजाबी मूल के लोग रहते हैं और किसानों का बड़ा हिस्सा भी पंजाबी मूल के लोगों का है। यदि ऐसे आपसी आदान-प्रदान के मामलों को इस प्रकार तूल दिया जाता रहा तो यह इस क्षेत्र के हित में नहीं होगा।
हम पंजाब सरकार, आम आदमी पार्टी, कांग्रेस तथा अन्य सभी राजनीतिक पार्टियों तथा अन्य पक्षों यह अपील करते हैं कि उनकी ओर से तुरंत इस मामले को एक भाईचारक साझ की भावना से सुलझाया जाए ताकि दोनों प्रांत आपसी टकराव की बजाय विकास के मार्ग पर चलने को प्राथमिकता दें सकें।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द