भारतीय सिनेमा के लॉरेल-हार्डी गोप और याकूब
गोप और याकूब लॉरेल व हार्डी का भारतीय विकल्प थे। गोप (गोप विशनदास कमलानी) आइकोनिक कॉमेडियन-एक्टर थे बॉम्बे की फिल्म नगरी में। उन्होंने अपना करियर 1933 में आयी भारत की पहली टॉकी फिल्म ‘आलम आरा’ के रिलीज़ होते ही शुरू कर दिया था, ‘इंसान या शैतान’ (1933) फिल्म में एक छोटे से रोल के साथ। निर्देशक मोती गिडवानी की इस फिल्म में छोटे से रोल के बावजूद गोप अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे।
गोप का फिल्मी करियर 1933 से शुरू होकर 1957 में उनके निधन तक कायम रहा। इस 24 वर्ष की अवधि में उन्होंने 140 से अधिक फिल्मों में काम किया। उनकी फिल्में उनके निधन के बाद भी रिलीज़ होती रहीं। गोप लीड एक्टर जितने ही विख्यात थे और उनका नाम अक्सर पहले क्रेडिट्स में शामिल किया जाता था, क्योंकि लोग सिनेमाघरों में उन्हें देखने के लिए आते थे। स्क्रीन पर गोप का सबसे पॉपुलर गीत ‘मेरे पिया गए रंगून, किया है वहां से टेलीफून ...’ फिल्म ‘पतंगा’ का है, जिसमें गोप के लिए स्वर सी रामचन्द्र ने दिए थे और निगार सुल्ताना के लिए शमशाद बेगम की आवाज़ का इस्तेमाल किया गया था।
याकूब महबूब खान केवल याकूब के नाम से विख्यात थे। याकूब की ख्याति का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अक्सर फिल्म क्रेडिट्स में उनका नाम इस तरह से लिखा जाता था- ‘और आपका पसंदीदा याकूब’। उनकी गोप व आगा के साथ ज़बरदस्त कॉमिक-जोड़ी थी और फिल्मकारों ने इस शुहरत का लाभ उठाते हुए अनेक फिल्मों में इनकी जोड़ी का इस्तेमाल किया। मोटे गोप और पतले याकूब ने दर्शकों को खूब गुदगुदाया। गोप-याकूब की जोड़ी विशेषरूप से ‘सगाई’ (1951), ‘पतंगा’ (1948) और ‘बेकसूर’ (1950) में बहुत पसंद की गई। याकूब अपने समय में पृथ्वीराज कपूर व चन्द्र मोहन जितने ही पॉपुलर थे और सबसे ज्यादा वेतन लेने वाले कलाकारों में शामिल थे।
कॉमेडियन होने के अतिरिक्त याकूब ने तीन फिल्मों का निर्देशन भी किया- ‘सागर का शेर’, ‘उसकी तमन्ना’ और ‘आइये’। ये फिल्में सागर मूवीटोन के बैनर तले बनी थीं। ‘सागर का शेर’ में याकूब के सह-कलाकारों में बिब्बो, पेसी पटेल, संकटा प्रसाद, राजा मेंहदी व डेविड शामिल थे। गोप का जन्म 11 अप्रैल, 1913 में हैदराबाद में हुआ था। गोप के आठ भाई बहन और थे। के.एस. दरयानी की मदद से वह बॉम्बे आ गये और फिल्मों में काम करने लगे। गोप ने दिलीप कुमार मधुबाला की फिल्म ‘तराना’ में खलनायक की भूमिका भी अदा की। बाद में उन्होंने कॉमिक शैली में जीवन के साथ खलनायकी भी की, लेकिन उनकी असल पहचान कॉमेडियन के रूप में ही हुई और वह भी याकूब के साथ जोड़ी बनाने पर। गोप ने 1950 के दशक में गोप प्रोडक्शंस भी शुरू किया, जिसकी कुछ फिल्मों को उनके भाई राम कमलानी ने निर्देशित किया। गोप ने एक्टर लतिका से 5 फरवरी 1949 को सिविल शादी की और 1957 में उनकी समय-पूर्व मृत्यु हो गई। वह 43 वर्ष के थे। गोप 19 मार्च, 1957 को कुंदन कुमार की फिल्म ‘तीसरी गली’ की शूटिंग कर रहे थे कि अचानक उन्हें सेट पर ही दिल का दौरा पड़ा और उनका निधन हो गया।
गोप ने हिन्दू धर्म में जन्म लिया था, लेकिन बाद में उन्होंने जेहोवा विटनेस धर्म अपना लिया। लतिका फिल्म ‘गोपीनाथ’ (1949) में राज कपूर की हीरोइन थीं। गोप के निधन के बाद वह अपने दो बेटों को लेकर इंग्लैंड में बस गईं। याकूब का जन्म जबलपुर, मध्य प्रदेश के एक पठान परिवार में 3 अप्रैल, 1903 को हुआ था। वह युवावस्था में ही अपने घर से भाग गये थे और जीविकोपार्जन के लिए कभी मोटर मैकेनिक बने तो कभी टेबल-वेटर। याकूब के पिता लकड़ी का कारोबार करते थे और चाहते थे कि बेटा भी वही काम करे। याकूब की इसमें दिलचस्पी न थी। इसलिए वह घर से भाग गये। फिर वह एक शिप एसएस मदुरा में किचन वर्कर हो गये। शिप में लंदन, ब्रसल्स, पेरिस की सैर करने के बाद वह कलकत्ता वापस आ गये और टूरिस्ट गाइड के रूप में काम करने लगे। वह 1924 में बॉम्बे आये और शारदा फिल्म कम्पनी में एक्स्ट्रा के रूप में कार्य करने लगे। शिप पर काम करते हुए याकूब ने खूब अमेरिकन फिल्में देखीं और इसी से प्रेरित होकर उन्होंने एक्टर बनने की ठानी। अपने जीवन अनुभव को उन्होंने अपनी फिल्मी भूमिकाओं में डाला और जल्द ही सबसे प्रमुख सितारों की कतार में शामिल हो गये। याकूब ने लक्ष्मीबेन से शादी की। उनका 24 अगस्त, 1958 को बॉम्बे में निधन हो गया।
हालांकि गोप व याकूब की जोड़ी बहुत चर्चित रही, लेकिन याकूब की कहानी आज भी मोटिवेशन के लिए सुनायी जाती है कि किस तरह घर से भागा हुआ लड़का जो वेटर व गाइड का काम करता था अपने दौर का इतना बड़ा कलाकार बना कि पृथ्वीराज कपूर जितनी फीस लेने लगा। याकूब ने 1940 की फिल्म ‘औरत’ में बिरजू की भूमिका निभायी थी। उनकी इस परफॉरमेंस को भारतीय सिनेमा की सबसे दमदार परफॉर्मेंस में शामिल किया जाता है। इसी ने याकूब की ज़िंदगी को पलट दिया था। बाद में बिरजू के किरदार को ‘मदर इंडिया’ में सुनील दत्त ने निभाया।
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