मुसकुराने की वजह तुम हो

चिंटू जी बहुत मुस्कुराते हैं। बात बेबात। हंसना मुसकुराने जैसे उनके व्यक्तित्व में शामिल है। मुझे लगता है कि हंसना मुस्कुराना अपने आप में जैसे व्यंग्य के समान है। आप हंसे नहीं कि लोग जल भून जाते हैं। और अगर आप बिना मतलब के हंसते हैं, तो फिर अड़ोसियों-पड़ोसियों की जलने लगती है। तो चिंटू जी कुछ तो अपने व्यक्तित्व के कारण और कुछ तो पड़ोसियों को जलाने कि गरज से हमेशा हंसते खिलखिलाते आपको मिल जायेंगें। सब लोग जो-जो उनके जानने समझने वाले लोग हैं। वो उनकी हंसने और मुस्कुराने की आदत से परेशान हैं। चिंटू जी कुछ इस तरह से हंसते हैं कि उनकी हंसी की आवाज़ बहुत दूर-दूर तक सुनाई देती है।  चिंटू जी को खुश पाकर लोग बहुत चिंतित रहते हैं। दरअसल चिंटू जी की हंसी पड़ोसियों को इसरो या नासा के अंतरिक्ष कार्यक्रम की तरह अबूझ लगती है। 
हंसने के भी प्रकार हैं। आप ठठाकर हंस सकते हैं। आप बत्तीसी निकालकर भी हंस सकते हैं। आप खिलखिलाकर भी हंस सकते हैं। आप कहकहे भी लगाकर हँस सकते हैं। आप हंसते हैं, तो आपके हंसने से आपका मुखारविंद चमक उठता है।  आपका चेहरे में एक अनोखी आभा प्रकट हो जाती है। आप एक तरह से निरोगी हो जाते है। 
आज भी और पहले भी लोग आशीर्वाद के रूप में खुश रहने का आशीर्वाद देते थे। खुश रहने का जो रास्ता है। वो हंसी के पेट से होकर जाता है। आप जितना हंसेंगे उतना ही खुश रहेंगे। और जितना खुश रहेंगे। उतना ही स्वस्थ्य रहेंगे। खुश रहने से ही आपका चित्त प्रसन्न रहता है। लेकिन आपके ज्यादा जोर से हंसने से जहां आपका पेट दर्द करता है। वहीं आपको खुश देखकर दूसरों का पेट भी दर्द करने लगता है। लोग सोचने लगते हैं कि ये महाशय आखिर इतना खुश कैसे रहते हैं। जबकि आदमी नाना प्रकार की परेशानियों से ग्रसित है। एक परेशानी से निकलता नहीं कि उसे दूसरी परेशानी घेर लेती है। दरअसल आदमी एक किले में बंद है। और नाना प्रकार की परेशानियों ने उस पर हमला कर रखा है। 

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