पाकिस्तान के नेता हैं बिगड़ी बिसात के पिटे मोहरे

भारत में कश्मीर पर से धारा 370 क्या हटाई कि पाकिस्तान को लगा कि जैसे उस पर कहर टूट पड़ा। गोली-बंदूक और दहशत को अपना इमान बनाए बैठी पाकिस्तान की लीडरशिप परेशानी के ऐसे दौर से गुज़र रही है जैसी पहले न देखी न सुनी। हालांकि सारा संसार पाकिस्तान को आतंकवाद का बड़ा अड्डा समझ रहा है। भारत की गुप्तचर एजेंसियों और गृह तथा विदेश मंत्रालयों द्वारा जुटाई गई कई खूफिया सूचनाएं यह सिद्ध कर रही हैं कि पाकिस्तान की लीडरशिप आज बौखला कर बचकाना बयान दिए जा रही है, जिससे ऐसा लगता है कि अंधेर नगरी और वहां पर चौपट राज है। तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी, इमरान खान के नेतृत्व में रास्ता भटक चुकी है जिससे पाकिस्तान के कट्टरवादी लोग तो ताली पीट सकते हैं परन्तु साधारण पाकिस्तानी जनता इसे मंजूर नहीं करती। वह समझती है कि खाक और खून का खेल बहुत हो चुका, इससे पाकिस्तान का भला होने वाला नहीं। जबकि भारत दिन प्रतिदिन विकास और उन्नति के पथ पर अग्रसर है। वहां पर वज़ीर-ए-आज़म, वज़ीर-ए-खारजा, रेल मंत्री, गृह मंत्री इत्यादि सभी दांत पीस कर और मुक्का तान कर भारत के विरुद्ध बोल रहे हैं।यह भी हकीकत है कि पाकिस्तान पर 72 साल के काल में लगभग चालीस वर्ष तक फौजी तानाशाही की हकूमत रही है। फौजी शासन कभी भी अमन, शांति और भाईचारे की बात नहीं सोच सकता। जंगी जुनून अयूब खां हों अथवा याहिया खान, ज़िया-उल-हक हो अथवा परवेज़ मुशर्रफ सभी खून और खून के सिवा न कुछ सोच सके न ही पाकिस्तान के लोगों को कुछ सोचने की मोहलत दी। इससे कश्मीरी जनता आई.एस.आई. द्वारा प्रायोजित आतंकवाद का शिकार होती रही। आग से आग बुझाती रही पाकिस्तान लीडरशिप भारत को परेशान करने के यत्न में अपनी उंगलियां भी जलाती रही। इमरान सरकार सीमाओं पर अकारण छेड़छाड़ और गोलीबारी करके सीमाओं के करीब रहते भारतीय लोगों को ख़ौफ में जीने पर विवश कर रही है। पाकिस्तान में कानून व्यवस्था की दयनीय हालत बारे तहरीक-ए-इंसाफ के एक पूर्व विधायक बलदेव कुमार सिंह ने भारत में आकर जो बात बताई, उससे पाकिस्तान की साधारण जनता की मुसीबतों के बारे में सुन कर हिन्दोस्तानी समाज में एक चिंता जागी कि पड़ोस में रहते लोग कैसी मुश्किल से गुज़र रहे हैं। पूरा पाकिस्तान समाज दयनीय स्थिति में पड़ा है। महंगाई के कारण भूखमरी का शिकार होने की कगार पर आ गया है। विकास के नाम पर विनाश को पहल देती वहां की लीडरशिप आंखें मूंदे यह सब देख रही है। पाकिस्तान की हालत यह है कि वहां अहमदीया विचारों का समर्थन करने वाले मुस्लिम भी ़गैर-मुस्लिम करार दिये जा चुके हैं, जो उनकी दर्जनों मस्जिदें या तो सील कर दी गई या गिरा दी गई। हालांकि पाकिस्तान का नामवर विदेश मंत्री ज़फर-उल्ला इसी सम्प्रदाय से था। शिया भी मौत की दहलीज़ पर खड़े दिखाई देते हैं। नमाज़ अदा करते हुए शिया लोगों को मौत के घाट अक्सर उतारा जाता देखा गया है। सुन्नी विचारधारा के कट्टरवादी लोग किसी भी अन्य विचार धारा को मानने वाले मुसलमानों को सहन नहीं कर रहे। अब कहा तो जाता है कि चिड़ी की चोंच का चौहदवां हिस्सा यानि छोटा-सा देश पाकिस्तान दहशतगर्दी के सहारे अपनी घृणा को पाल-पोस रहा है। ऐसे में पाकिस्तान के गृह मंत्री ने एक टी.वी. चैनल पर आकर जब यह कहा कि संसार भर में पाकिस्तान को कहीं भी समर्थन नहीं मिला। यह खेद की बात है कि सारे मुस्लिम देश भी भारत के विचार का खुल कर समर्थन कर रहे हैं। विदेश मंत्री कुरैशी ने तो जिनेवा में यहां तक कह दिया कि जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है, ऐसे में पाकिस्तान किसके दम पर भारत का विरोध कर रहा है, क्यों अपने देश के लोगों को गरीबी, बेरोज़गारी, महंगाई और अशिक्षा जैसे महत्त्वपूर्ण मुद्दों से भटकाने के लिए कश्मीर-कश्मीर चीख रहा है। जबकि सिंध में ‘जीये सिंध’ का संघर्ष अभी भी ज़िंदा है। मुहाजर अभी भी अपने अधिकारों के लिए जूझ रहे हैं और बलोचिस्तान तथा फ्रंटियर के लोग आज़ादी के लिए सड़कों पर उतरे हुए हैं। अब तो यह नारा पाकिस्तान की फिज़ायों में गूंजता सुनाई देता है। यह जो दहशतगर्दी है इसके पीछे वर्दी है। भाव यह कि पाकिस्तानी फौज ने दहशतगर्दी को हवा ही नहीं दी, बल्कि एक वर्दी के बगैर वाली आत्मघाती फौज ही खड़ी कर ली है, जिसका एक हिस्सा बैट भी कहलाता है जिसका अर्थ है ‘बार्डर एक्शन टीम’। यह ज़ुल्म की इंतहा करने वाली टीम है। भारत के एक सैनिक हेमराज का सिर काट कर यही टीम ले गई थी। क्या इन लोगों के भरोसे पाकिस्तान की बिगड़ी बिसात पर इमरान खान और उसके हमनवा भारत से लोहा ले पाएंगे।
अब दुनिया से कुछ छिपा नहीं। हम जानते हैं कि पाकिस्तान को सऊदी अरब और अमरीका अघोषित तरीके से अथवा पौशीदा ढंग से धन दे रहा है और देगा भी। भारत सब बातें जानता है और इन देशों की मजबूरी को भी समझता है। भारत चाहता है कि पाकिस्तान की मासूम जनता जो कट्टरवाद शासन के पिटे मोहरों के दरम्यान फंसी है, उसे राहत मिले। परन्तु ऐसा होगा कैसे? दहशतगर्दी की दीवार जब पाकिस्तान ने स्वयं खड़ी की है, उसे गिराएगा कौन? बहुत से प्रश्न पाकिस्तान की जनता के दिलों में उठते होंगे परन्तु उनके उत्तर नहीं मिलेंगे।