हार के डर से संविधान बदलने का भ्रम फैलाता विपक्ष

 

लोकसभा चुनाव के दो चरणों का मतदान हो चुका है। अभी पांच चरणों का मतदान शेष है। चुनाव प्रचार के दौरान विपक्षी नेताओं के भाषणों और मीडिया के कैमरों के सामने दिए विपक्ष के बयानों में हार की हताशा साफ तौर पर झलक रही है। विपक्षी नेता हार की हताशा, निराशा और कष्ट को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन किसी न किसी तरह उनकी हताशा बाहर झांकने लगती है। विपक्षी नेताओं की लम्बी सूची है जो हार के डर से इस बात का भ्रम फैला रहे हैं कि अगर नरेन्द्र मोदी दोबारा जीत गये तो वह संविधान बदल देंगे। असल में जब से प्रधानमंत्री मोदी ने 400 पार का नारा दिया है, उसके बाद से ही विपक्षी दलों के ज्यादातर नेताओं ने यह नैरेटिव बनाने की कोशिश शुरू कर दी कि अगर नरेन्द्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने तो देश में लोकतंत्र खत्म हो जाएगा, इसके बाद देश में चुनाव नहीं होंगे।।
केरल में राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा और आरएसएस संविधान को खत्म करने की फिराक में हैं। कांग्रेस और उसके सहयोगी दल इस बार संविधान को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। औरंगाबाद की रैली में ओवैसी ने कहा कि भाजपा सत्ता में वापिस आई तो संविधान बदल सकती है। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मोदी बार-बार चार जातियों की बात इसीलिए करते हैं क्योंकि संविधान को बदलकर वह आरक्षण को खत्म करना चाहते हैं। शिवसेना (उद्धव) नेता उद्धव ठाकरे ने भी कहा कि अगर-मगर की कोई बात ही नहीं हैं अगर भाजपा तीसरी बार सत्ता में आई तो मोदी संविधान बदल देंगे।
समाजवादी पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव ने कहा कि भाजपा गरीबों को मुफ्त राशन इसलिए बांट रही है कि वे सरकार से सवाल न पूछ सकें। वे संविधान बदलें, आरक्षण खत्म करें, लेकिन लोग इस डर से कि कहीं राशन न बंद हो जाए, चुप रहें। इसीलिए मुफ्त राशन की आदत लोगों में डाली जा रही है। राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि अगर मोदी सचमुच संविधान नहीं बदलना चाहते तो अपनी पार्टी के उन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करते जो संविधान बदलने की बात कर रहे हैं।
गत 16 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी ने बंगाल और बिहार की चार रैलियों में विपक्षी दलों के उन आरोपों पर जवाब दिया। मोदी ने कहा कि वह तो क्या, भाजपा तो क्या, बाबा साहिब का संविधान तो अब खुद बाबा साहिब अम्बेडकर भी नहीं बदल सकते। प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों के अधिकारों का रक्षा कवच है। संविधान देश की प्रगति को दिशा देने वाली शक्ति है। संविधान के साथ खिलवाड़ तो कांग्रेस ने किया, भाजपा ऐसा कभी नहीं कर सकती। मोदी ने कहा कि अब हार की हताशा में डूबे लोग देश में भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं कि भाजपा लोगों को डराने का षड्यंत्र कर रही है। अफवाहें फैला रहे हैं कि मोदी आया तो संविधान खत्म कर देगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने 16 अप्रैल को पूर्णिया की रैली में कहा कि उनकी सरकार ने तो संविधान को सर्वोपरि रखा है। उन्होंने कहा कि जो लोग संविधान को खत्म करने की अफवाह फैला रहे हैं, हकीकत में उन्हीं पार्टियों ने 1975 में इमरजेंसी लगा कर संविधान को सस्पेंड किया था। विपक्षी दलों के नेताओं को जेल में डाला था। मोदी ने कहा कि पिछले 30 साल में भाजपा केंद्र से लेकर कई राज्यों में सत्ता में रही, लेकिन पार्टी ने संविधान पर कभी आंच नहीं आने दी। विपक्ष के लिए संविधान राजनीति का हथकंडा है लेकिन उनके लिए संविधान विकसित भारत बनाने का मार्गदर्शक है।विपक्ष, खासकर जब कांग्रेस के नेता संविधान बदलने की बात करते हैं तो वे अपनी पार्टी के शासन को भूल जाते हैं। कांग्रेस के सत्ता काल में संविधान के साथ तरह-तरह की छेड़छाड़ की गई। कुछ में वह कामयाब रही, कुछ में नाकामयाब। कांग्रेस ने संसद की अवधि भी पांच से बढ़ा कर छह साल कर दी और संविधान में बदलाव का प्रस्ताव लाया गया था जिसमें इंदिरा गांधी को ताउम्र प्रधानमंत्री बनाने और न्यायपालिका को सरकार की नीतियों के साथ चलने का प्रस्ताव लाया गया था। 
इलाहाबाद हाईकोई के टिप्पणी के बाद इंदिरा गांधी ने अपने पद से इस्तीफा देने के बजाय आपातकाल की घोषणा करवा दी और सत्ता की बागडोर सीधे अपने हाथों में ले ली थी। बिना किसी अदालती कार्यवाही के संसद से विपक्षी सदस्यों को हिरासत में ले लिया गया था। एक लाख से ज़्यादा लोगों को जेल में डाल दिया गया था। इतिहास साक्षी है जब-जब संविधान पर हमला हुआ है, जिसने भी ऐसा किया है उसे, देश की जनता ने नकारा है। 
कांग्रेस ने अपने शासन काल में संविधान की भावना के खिलाफ बहुत बार काम किया। कांग्रेस ने राष्ट्रपति शासन लगाने की धारा 356 को खिलौना बना दिया था। जब भी उनको मुख्यमंत्री पसंद नहीं आता तो उसे हटा दिया। देश में अब तक 124 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया है। इसमें आठ बार जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री काल में लगाया गया तो इंदिरा गांधी के कार्यकाल में 50 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया। 1980 में केवल तीन दिनों के भीतर ही नौ राज्यों में बहुमत वाली सरकारों को बर्खास्त किया गया था।  (युवराज)