कांग्रेस नेताओं के बड़बोलेपन में झलकती मानसिकता 

कांग्रेस नेताओं द्वारा बड़बोलेपन में दिये गये बयान पार्टी को नुकसान पहुंचाते हैं लेकिन क्या यह सिर्फ उनका बड़बोलापन होता है या सोच समझ कर दिया गया बयान होता है, यह सबसे बड़ा सवाल है। सवाल यह भी है कि कांग्रेस इन नेताओं को रोक क्यों नहीं पाती है। जब किसी कांग्रेस नेता के बयान से पार्टी को नुकसान होने की आशंका होती है तो पार्टी उसके बयान को उसका निजी बयान करार देती है और कई बार उसे पार्टी से निलंबित भी कर दिया जाता है। ऐसा भी कई बार होता है कि वो नेता पार्टी से इस्तीफा दे देता है या अपने पद को छोड़ देता है। अभी ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने भी अपने बयान के कारण पार्टी पद से इस्तीफा दिया है लेकिन पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया है। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि ऐसे नेताओं को कुछ ही दिनों बाद दोबारा पद सौंप दिया जाता है। 
सवाल यह भी उठता है कि ज्यादातर समय कांग्रेस इन नेताओं के बयान का समर्थन नहीं करती है लेकिन विरोध भी नहीं करती है। एक तरफ तो पार्टी इन नेताओं के बयान को उनका निजी बयान करार देती है और दूसरी तरफ वो उनके तथाकथित बयान के खिलाफ बयान भी जारी नहीं करती है। ऐसा लगता है कि ये नेता पार्टी की दबी छुपी इच्छा या सोच और विचारधारा को बाहर ला देते हैं, जिससे पार्टी को चुनावों में नुकसान होने की आशंका होती है तो पार्टी उनके बयान से किनारा कर लेती है। ये भी अजीब है कि चुनावों के समय कांग्रेस नेताओं के ऐसे बयानों की बाढ़ आ जाती है। यह अलग बात है कि कई बार उनकी हैसियत को देखते हुए मीडिया और भाजपा उनकी अनदेखी कर देती है। ऐसा नहीं कि इन नेताओं की जुबान फिसल जाती है और ये नेता कांग्रेस की नीति और विचारधारा के विपरीत बयान दे देते हैं। ये लोग कांग्रेस की असली विचारधारा और नीति को अपने बयानों से अपने लक्षित मतदाताओं तक पहुंचाते हैं। इनके बयानों से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए पार्टी उनके बयानों से अलग हो जाती है लेकिन अपने मनपसंद मतदाताओं तक बात पहुंचा देती है। समस्या कांग्रेस के इन बयानवीरों की नहीं है बल्कि समस्या तो कांग्रेस की सोच, विचारधारा, नीतियों और कार्यक्रमों में है, जिसे ये बयानवीर जाहिर करते रहते हैं। अगर समस्या सिर्फ इन बयानवीरों की होती तो कांग्रेस इनसे छुटकारा पाकर बच सकती थी लेकिन कांग्रेस सच्चाई को जानती है इसलिए नुकसान होने के बावजूद वो इन बयानवीरों को रोक नहीं पाती है। 
 कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने एक वीडियो में पाकिस्तान को सम्मान देने और उसके साथ बातचीत करने को कहा है। उन्होंने कहा है कि दस वर्षों से पाकिस्तान से बात नहीं की जा रही है, उसके पास परमाणु बम है। वो कहना चाहते हैं कि परमाणु बम से डरकर भारत पाकिस्तान से दोस्ती कर ले। अब सवाल यह है कि क्या उन्होंने कांग्रेस की नीति के विरुद्ध बयान दिया है। पाकिस्तान ने 26/11 का मुंबई हमला करके भारत को चुनौती दी थी लेकिन पाकिस्तान के परमाणु बम से डरकर ही कांग्रेस ने पाकिस्तान के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। पाकिस्तान के समर्थन में बयान देने वाले मणिशंकर इकलौते कांग्रेस नेता नहीं हैं और भी कई नेता ऐसे ही बयान देते रहते हैं। अभी कुछ ही दिनों पहले कांग्रेस के गठबंधन सहयोगी नेशनल कांफ्रैंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने भी पाकिस्तान के समर्थन में बयान दिया था, जिसका कांग्रेस की तरफ से कोई विरोध नहीं हुआ। क्या यह सच नहीं है कि कांग्रेस अपनी मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के कारण पाकिस्तान का विरोध करने से बचती है।
कांग्रेस नेता पित्रोदा ने भारत की आबादी की विविधता को विदेशी नस्लों से जोड़ने वाला बयान दिया है। उनका कहना है कि दक्षिण वाले अफ्रीकी, पूरब वाले चीनी, पश्चिम वाले अरबी और उत्तर वाले अंग्रेजों जैसे दिखाई देते हैं। सिर्फ रंग के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों के भारतीयों को विदेशी नस्ल का बता देना बेहद आपत्तिजनक है। कांग्रेस लगातार देश को धर्म, जाति और क्षेत्र के आधार पर बांटने की कोशिश कर रही है और अब उसके एक नेता ने रंग के आधार पर बांट दिया है। देखा जाये तो पित्रोदा कांग्रेस की नीति को ही आगे बढ़ा रहे हैं।
पित्रोदा ने पिछली बार दिल्ली दंगों पर बयान दिया था, हुआ तो हुआ लेकिन तब उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं हुई। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि कांग्रेस ने दिल्ली दंगों के अपराधियों के खिलाफ समय पर जांच कर कार्यवाही नहीं की थी। राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ कैसी भाषा का इस्तेमाल करते हैं, पूरा देश देख रहा है। कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की बेटी ने उ.प्र. की एक जनसभा में मुसलमानों को वोट जिहाद करने की अपील की। क्या यह अपील सिर्फ धर्म के आधार पर एक पार्टी का विरोध करने और दूसरी पार्टी को समर्थन देने की कोशिश नहीं है और इसे मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए?
महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा है कि मुंबई हमले के दौरान जान गंवाने वाले पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे को अजमल कसाब ने नहीं बल्कि संघ की विचारधारा वाले एक पुलिस अधिकारी ने गोली मारी थी। उनके इस बयान के समर्थन में कांग्रेस के बड़े नेता शशि थरूर ने कहा है कि इसकी जांच होनी चाहिए। सवाल यह है कि जब केन्द्र और राज्य दोनों जगह कांग्रेस की सरकार थी और मामले की जांच भी हुई तो अब ये सवाल क्यों उठाया जा रहा है। वास्तव में कांग्रेस पाकिस्तान को बचाना चाहती है और हिन्दू आतंकवाद का हौव्वा खड़ा करना चाहती है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह वही कांग्रेस है जिसके नेता राहुल गांधी बालाकोट एयर स्ट्राइक का सबूत मांग रहे थे और मोदी सरकार पर खून की दलाली का आरोप लगा रहे थे। वास्तव में बयानवीर ही कांग्रेस को नुकसान नहीं पहुंचा रहे बल्कि कांग्रेस भी गलत रास्ते पर चल पड़ी है और लगातार गड्ढे में गिरती जा रही है। वो समझ रही है कि वो सही रास्ते पर है क्योंकि उसकी आंखों पर वामपंथ, समाजवाद, हिन्दू विरोध और मुस्लिम तुष्टिकरण की पट्टी पड़ी हुई है। जब तक कांग्रेस यह पट्टी नहीं उतारेगी, वो गड्ढे में और गिरती जायेगी।