पाकिस्तानी अत्याचारों से तंग आ गये हैं बलोच

बलोचों पर पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तानी हुकूमत की ज्यादती लगातार बढ़ती चली गई है। उसी अनुपात से बलोचों का गुस्सा पाकिस्तानी सेना और प्रशासन के प्रति बढ़ता चला जा रहा है। कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान के लोग जहां मनमाने तरीके से ईद मना रहे थे। वहीं बलोच लोग सड़कों पर पाकिस्तानी सरकार तथा वहां की सेना के जुल्मो-सित्म के खिलाफ पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करते नज़र आये। वे लोग पाकिस्तान से आज़ादी ही नहीं लापता बलोचों की तलाश की मांग कर रहे थे।
पाकिस्तानी सेना पर इल्जाम है कि उसने उनके आदमियों को लापता करवाया था, जिसका बाद में कुछ भी पता नहीं चल सका कि वे ज़िन्दा भी हैं या नहीं? इसे मानवाधिकार का उल्लंघन माना गया और विश्व भर में मानवाधिकार संगठनों ने इस अत्याचार की निंदा की है।
मामला कोई नया नहीं है। वर्ष 1947 के विभाजन के समय से ही चला आ रहा है। तभी बलोचिस्तान पाकिस्तान में शामिल नहीं होना चाहता था। लेकिन मोहम्मद अली जिन्ना के दबाव में उसे शामिल होना पड़ा। उस समय के बलोच नेता कलात खान के नेतृत्व में आज़ादी हासिल करने के लिए आन्दोलन जारी था जो बाद में काफी गतिशील रहा। शायद यही कारण है कि बलोच राष्ट्रवादियों को पाकिस्तानी सरकार और सेना ने हमेशा विद्रोही माना और जबरदस्ती की। जब सरकार और सेना ने विद्रोही मान कर कुचलना चाहा तब आक्रोश बढ़ता चला गया। अब महसूस किया जा रहा है कि जब तक सेना और आई.एस.आई. का बलोचिस्तान पर किया जाने वाला अत्याचार बंद नहीं होता तब तक उन लोगों की पाकिस्तान से अलग अपनी ज़मीन अपनी हकूमत करने की मांग पर विराम नहीं लगाया जा सकता। वे सरफरोश हो रहे हैं और तेज़ी से होते जा रहे हैं। अब उनकी मांग सीमित दायरे में न रह कर आगे तक बढ़ रही है और अमरीका तथा कई अन्य देश सजग हो रहे हैं। जब अत्याचार का सामना नहीं होता तो पलायन का रास्ता खुल जाता है। सैकड़ों ऐसे पीड़ित लोग पलायन करके विदेशों में बस रहे हैं। वे जहां-जहां जाएंगे अपने दर्द को ज़ाहिर करेंगे और अपने भाइयों के हक में आवाज़ बुलंद करेंगे। वे लगातार प्रदर्शन द्वारा विश्व समुदाय के ध्यान में अपनी पीड़ा को ला रहे हैं। असल में जब इमरान खान की सरकार अस्तित्व में थी उस समय बलोचिस्तान के हालात ज्यादा खराब हुए। अब भी ज्यादा फर्क नहीं आया। सेना के समर्थन से बनी सरकार का उनकी तरफ ध्यान कम ही है और बलोच लोगों पर अत्याचार में कोई कमी नहीं आई है। उनकी बड़ी मांग लापता हुए बलोचियों की है। भारी संख्या में उनके लापता होने के पीछे वहां की खुफिया एजेंसी को कसूरवार ठहराया जा रहा है। इतना ही नहीं, ऐसे लोग जो उनकी (लापता बलोचों की) तलाश करने की मांग करते हैं उन पर दुगना अत्याचार किया जाता है। 
बताये गये आंकड़ों के अनुसार लगभग 25000 से अधिक बलोचों का अपहरण हो चुका है इनमें से अढ़ाई हज़ार से अधिक लोगों के गोलियों से छलनी शवों के मिलने का दावा किया जा रहा है। बाकी लोगों की तलाश लगातार जारी है जोकि आसान काम नहीं है। जब पूरा पाकिस्तान ईद को बड़े समारोह की तरह मना रहा था तो बलोचियों ने जबदस्त प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में सैकड़ों महिलाएं और बच्चे अपने बिछड़े हुए स्वजनों के चित्र हाथ में लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।