‘ब्रिक्स’ में भारत की सफलता

इस बार ब्राज़ील में हुए ‘ब्रिक्स’ सम्मेलन में भारत को बड़ी सफलता मिली है। इसके संयुक्त घोषणापत्र में अधिक ज़ोर 22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले, जिसमें 26 लोग मारे गये थे, की विस्तारपूर्वक निंदा की गई है। संयुक्त घोषणापत्र में कहा गया है, ‘हम किसी भी रूप में आतंकवाद की सख्त निंदा करते हैं, चाहे किसी भी उद्देश्य के लिए किया गया हो, कभी भी, किसी भी, कहीं भी और किसी के भी द्वारा यह कार्रवाई की गई हो।’ इसके साथ ही इसमें यह भी दर्ज किया गया है, ‘आतंकवादियों का सीमापार आवागमन, आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले और उनको सुरक्षित पनाहगाह देने वालों का मुकाबला करने के लिए हम अपनी प्रतिबद्धता प्रकट करते हैं।’ सख्त शब्दावली में इस घोषणापत्र में इस बात पर भी ज़ोर दिया गया है, ‘आतंकवाद को किसी भी धर्म, सभ्यता या जाति समूह के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए और इसमें शामिल सभी लोगों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।’
चाहे इस बार ब्राज़ील में हुए ‘ब्रिक्स’ के 17वें शिखर सम्मेलन में अपने-अपने कारणों के दृष्टिगत चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन उपस्थित नहीं हुए परन्तु पुतिन ने अपने देश के पड़ोसी यूक्रेन के साथ युद्ध जारी होने के कारण कैमरे द्वारा ही इसमें भाग लिया। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस शिखर सम्मेलन में विशेष मेहमान के तौर पर बुलाये जाने के कारण चीनी राष्ट्रपति द्वारा ऐसा रुख अपनाने की भी समझ आती है। ‘ब्रिक्स’ संगठन आज प्रत्येक पक्ष से महत्वपूर्ण बना नज़र आता है। लगभग 16 साल पहले साल 2009 में रूस में इसका पहला सम्मेलन बुलाया गया था, जिसमें ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका को शामिल किया गया था। बाद में मिस्र, इथोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात इसके सदस्य बने। प्रत्येक वर्ष इन सदस्य देशों के शीर्ष नेताओं का शिखर सम्मेलन होता है। पूरे वर्ष की अवधि के दौरान लगातार इन सदस्य देशों की अलग-अलग समितियां विस्तारपूर्वक विचार-विमर्श के लिए भी आपस में तालमेल बनाए रखती हैं। इन अलग-अलग बैठकों में इन राष्ट्रों के विदेश मंत्री, वित्त मंत्री, व्यापार से संबंधित मंत्री, ऊर्जा मंत्री आदि शामिल होते रहते हैं। इसके अतिरिक्त तकनीकी, सांस्कृतिक, शैक्षणिक तथा स्वास्थ्य से संबंधित क्षेत्रों के बारे भी इन देशों के आपसी समूह बने हुए हैं, जो समय-समय पर उपरोक्त मामलों पर विचार-विमर्श करते रहते हैं। विश्व भर में अलग-अलग क्षेत्रों तथा देशों के संगठन बने हुए हैं, जिनमें जी-7, जी-20 आदि भी प्रमुख संगठन हैं, परन्तु ‘ब्रिक्स’ देशों में आज विश्व भर की लगभग आधी आबादी रहती है। इसका क्षेत्रफल 25 प्रतिशत से भी अधिक है और इसकी आर्थिक शक्ति भी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर 35 प्रतिशत से अधिक है। आज ‘ब्रिक्स’ देशों के 1200 सैटेलाइट अंतरिक्ष में अलग-अलग उद्देश्यों के लिए खोज तथा अन्य कार्यों के लिए कार्यशील हैं। ‘ब्रिक्स’ देशों के समक्ष आज कई गम्भीर मामले खड़े हैं। घोषणा-पत्र में ईरान पर हमले की भी निंदा की गई है और अमरीका द्वारा जो एकतरफा नई कर (टैरिफ) नीति अपनाई गई है, उसका भी विशेष रूप से ज़िक्र किया गया है। पश्चिम  एशिया में इज़रायल की कार्रवाई की कड़ी आलोचना की गई है, परन्तु साथ ही लड़ाई खत्म करने के लिए हमास द्वारा पकड़े गए बंधकों को भी रिहा करने तथा संबंधित पक्षों को शांति के लिए पुन: बातचीत शुरू करने की अपील की गई है।
चाहे ‘ब्रिक्स’ देश विश्व भर में चल रहे युद्धों को खत्म करने का कोई ठोस प्रयास तो नहीं कर सकते, परन्तु अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इसके घोषणा-पत्र को दृष्टिविगत नहीं किया जा सकता। आगामी वर्ष यह सम्मेलन भारत में हो रहा है, जिसके लिए भारत की अंतर्राष्ट्रीय ज़िम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। ऐसे मंच पर भारत के प्रभाव को दृष्टिविगत नहीं किया जा सकता। भारत ने दूसरे देशों के प्रति कभी भी हमलावर रुख नहीं अपनाया, परन्तु इस बात को सुनिश्चित बनाने का यत्न अवश्य किया है कि वह अपनी आज़ाद नीति तथा आज़ाद हस्ती पर पहरा ज़रूर दे सके और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपना प्रभाव तथा अपनी बेहतर पहचान बनाने के लिए भी यत्नशील रहे।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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