ब्लैक बॉक्स का डाटा विश्लेषण कब होगा ?
अहमदाबाद में हुई विमान दुर्घटना को तीन हफ्ते से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन अभी तक दुर्घटनाग्रस्त विमान के ब्लैक बॉक्स के डाटा का विश्लेषण नहीं हुआ है। पहले खबर आई थी कि आग लगने की वजह से विमान का ब्लैक बॉक्स डैमेज हुआ है और उसका डाटा रिकवर करने के लिए उसे अमेरिका भेजा जाएगा। यह खबर आने के बाद से सरकार इसका खंडन करने में लगी है। कहा जा रहा है कि भारत में डाटा रिकवर (हासिल) कर लिया गया है और अब उसका विश्लेषण किया जाएगा। टुकड़ों-टुकड़ों में खबरें दी जा रही हैं कि डाटा का विश्लेषण होने मे 10 दिन का समय लगेगा। सवाल है कि अगर डाटा का विश्लेषण नहीं हुआ है तो हादसे के बारे में एक-एक करके खबरें कहां से आ रही हैं? हादसे के 18 दिन के बाद नागरिक विमानन राज्य मंत्री ने एक निजी टेलीविजन चैनल के कार्यक्रम में कहा कि सरकार साज़िश के पहलू से भी इसकी जांच कराएगी। निश्चित रूप से हर पहलू से हादसे की जांच होनी चाहिए क्योंकि यह कोई मामूली हादसा नहीं है। इसमें 260 लोगों की जान गई है, लेकिन यह चिंताजनक बात है कि फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर मिल जाने के बाद भी अभी तक उसका डाटा विश्लेषण नहीं हो सका। उससे पहले ही विमानों के परिचालन में 10 तरह की खामियां निकाली जा चुकी हैं। अधिकारियों को हटाया जा चुका है। कई निष्कर्ष निकाले जा चुके हैं। आमतौर पर यह काम दो-तीन दिन में हो जाता है।
ऑपरेशन सिंदूर पर नाकामी उजागर
अब यह साफ हो गया है कि सरकार ऑपरेशन सिंदूर को लेकर अनावश्यक रूप से सच्चाई छुपा रही है। पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने सिंगापुर में कहा कि भारत के लड़ाकू विमान गिरे थे। उनका कहना था कि कितने विमान गिरे यह मुद्दा नहीं है, बल्कि मुद्दा यह है कि क्यों गिरे? अब उस क्यों गिरे का जवाब दिया है भारत के डिफेंस अताशे (राजदूत-सहायक) कैप्टन शिव कुमार ने इंडोनेशिया में दिया है। उन्होंने जकार्ता में एक कार्यक्रम में कहा कि भारत के राजनीतिक नेतृत्व का निर्देश था कि पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों को निशाना नहीं बनाना है। इसलिए भारतीय सेना ने सिर्फ आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया और इस वजह से पाकिस्तान को मौका मिला कि उसने भारत के विमानों को मार गिराया। यह बयान दो बिंदुओं पर नरेंद्र मोदी सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा करता है। पहला तो यही कि भारत को लड़ाकू विमान गंवाने पड़े। दूसरा यह कि सेना के हाथ उस हद तक नहीं खुले हुए थे, जैसा कि सरकार ऐलान करती रही है। पता नहीं कैसे भारत के राजनीतिक नेतृत्व को यह भरोसा था कि पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर हमला नहीं करेंगे तो वह भारत के अपनी सीमा में उड़ रहे विमानों को निशाना नहीं बनाएगा। यह समझदारी और खुफिया सूचना दोनों की विफलता है। अब यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान युद्ध के लिए तैयार था और जैसे ही भारत ने आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया उसने भारत की सीमा में उड़ रहे लड़ाकू विमानों को निशाना बना दिया।
ईवीएम की तरह वैक्सीन का भी बचाव
दुनिया में कोई भी अगर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में किसी तरह की गड़बड़ी बता दे तो भारत सरकार जज़्बाती हो जाती है। भारत का चुनाव आयोग तो लड़ने-मरने पर उतारू हो जाता है। पिछले दिनों तो चुनाव आयोग ने अमरीका की इंटेलीजेंस नेटवर्क की प्रमुख को कह दिया था कि उनके यहां की ईवीएम हैक हो सकती है, लेकिन भारत की नहीं हो सकती। बहरहाल, भारत सरकार जैसे ईवीएम को लेकर जज़्बाती हो जाती है, वैसे ही वह कोविड वैक्सीन को लेकर भी हो जाती है। अभी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और एम्स दोनों ने कहा है कि इन दिनों अचानक बढ़े दिल के दौरों में वैक्सीन की कोई भूमिका नहीं है। ठीक है, मान लेते हैं कि वैक्सीन की कोई भूमिका नहीं है, लेकिन कुछ न कुछ तो हुआ है जो लोग चलते फिरते गिर कर मरने लगे हैं या 20-30 साल के पूरी तरह से स्वस्थ युवाओं को दिल का दौरा पड़ने लगा है। ऐसा क्यों हो रहा है, यह भी तो पता लगाना चाहिए। हालांकि पूरी दुनिया मान रही है कि वैक्सीन के दुष्प्रभाव पड़े हैं। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की रिसर्च में पता चला है कि मोटे और मधुमेह के मरीज़ों के शरीर में वैक्सीन की वजह से सूजन और रक्त का थक्का बनने की प्रक्रिया तेज़ हो जाती है। ऐसे कई और शोध हुए हैं, जिनसे वैक्सीन के दुष्प्रभाव का पता चला है। कई वैक्सीन कंपनियों ने भी इसे स्वीकार किया है, लेकिन भारत सरकार ने अपनी ओर से सारी वैक्सीन को क्लीन चिट दे दी है।
खड़गे ने क्या संदेश दिया?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पिछले दिनों कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप-मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इस बारे में फैसला कांग्रेस आलाकमान करेगा। उनके इस बयान पर भाजपा के कई नेताओं ने तंज़ कसते हुए कहा कि खड़गे सिर्फ दिखावे के लिए अध्यक्ष हैं और कांग्रेस का असली आलाकमान तो गांधी परिवार है। हालांकि कांग्रेस नेताओं के लिए इसका जवाब देना बहुत आसान है। वे भाजपा नेताओं से पूछ सकते हैं कि क्या भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा भाजपा के आलाकमान हैं? सबको पता है कि भाजपा में आलाकमान का मतलब नरेंद्र मोदी और अमित शाह हैं। जैसे नड्डा भाजपा के आलाकमान नहीं है वैसे ही खड़गे भी कांग्रेस के आलाकमान नहीं हैं। लेकिन सवाल है कि खड़गे ने यह बात क्यों कही? उन्हें भी पता रहा होगा कि अगर वे कहेंगे कि मुख्यमंत्री का फैसला आलाकमान करेगा तो उनकी ऑथारिटी को लेकर सवाल उठेगा। फिर भी उन्होंने यह बात कही। ज़ाहिर है कि वह कोई संदेश देना चाहते थे। एक संदेश तो यह कि पार्टी में जो कुछ चल रहा है, उससे वह नाराज़ हैं। सूत्रों के मुताबिक सारे फैसले राहुल गांधी की ओर से के.सी. वेणुगोपाल करते हैं। दूसरा संदेश दूर की कौड़ी है। कहा जा रहा है कि फैसला खुद खड़गे के बारे में होना है। इसलिए उन्होंने कहा कि आलाकमान फैसला करेगा। गौरतलब है कि खड़गे की पुरानी इच्छा कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनने की है। इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि आखिरी अढ़ाई साल के लिए उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
केंद्र के मंत्रियों में तालमेल नहीं
केन्द्र सरकार के मंत्रियों में अपने शीर्ष नेतृत्व की जय-जयकार और विपक्षी नेताओं को हर मुद्दे पर देशद्रोही ठहराने के अलावा किसी भी मामले में तालमेल नहीं दिखता। यहां तक कि सरकारी कामकाज के मामले में भी एक ही मुद्दे पर अलग-अलग विभाग के मंत्रियों की राय में कोई तालमेल नहीं है। ताज़ा मामला ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर और वन व पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव का है। खट्टर ने एक घोषणा की, जिसका 10 दिन के भीतर भूपेंद्र यादव ने मज़ाक बना दिया। वैसे खट्टर ने जो ऐलान किया था उसका मज़ाक सोशल मीडिया में पहले से बनने लगा था। उन्होंने कहा था कि अब ए.सी. बनाने वाली कंपनियों को निर्देश दिया जाएगा कि वे ऐसा ए.सी. बनाएं जिसे 20 डिग्री से कम और 28 डिग्री से ज्यादा तापमान पर चलाया ही नहीं जा सके। बिजली बचाने के मकसद से उन्होंने यह नियम लागू करने का ऐलान किया था। खट्टर ने दावा किया था ए.सी. का तापमान एक डिग्री बदलने से छह फीसदी बिजली की बचत होती है। इसलिए उन्होंने ए.सी. का तापमान फिक्स करने का नियम जल्दी लागू करने की बात कही थी, लेकिन अब भूपेंद्र यादव ने कहा है कि निकट भविष्य में ऐसा करने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने जिस अंदाज़ में खट्टर की बात का खंडन किया उससे खट्टर का विचार मज़ाक ही साबित हुआ। यादव ने कहा कि हो सकता है कि 2050 के बाद ऐसा किया जाए। प्रधानमंत्री ने 2047 तक भारत को विकसित बनाने का ऐलान किया। यानी भारत जब विकसित राष्ट्र बन जाएगा उसके बाद ही खट्टर के विचार पर अमल होगा।