‘क्वाड’ का सन्देश

विगत दिवस अमरीका की राजधानी वाशिंगटन में ‘क्वाड’ संगठन के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की हुई बैठक कई पक्षों से बेहद सफल कही जा सकती है। इस संगठन में भारत सहित अमरीका, आस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं। यह संगठन हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में चीन के विस्तारवादी रवैये का मुकाबला करने के उद्देश्य से अस्तित्व में आया था। चीन विश्व की बड़ी शक्ति बन गया है, परन्तु अधिक ताकत आ जाने के कारण उसका रवैया अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर भी और विशेष रूप से अपने पड़ोसी देशों के प्रति भी बेहद धमकाने वाला बना हुआ प्रतीत होता है। यहीं बस नहीं, उसने हिन्द-प्रशांत सागर में भी अन्तर्राष्ट्रीय नियमों को ताक पर रख कर अपने साथ लगते दक्षिण चीन के समुद्र के बड़े भाग पर अपना हक जताना शुरू कर दिया है, जिससे इस क्षेत्र के दर्जनों ही देश बेहद चिंतित हैं और अनेक पहलुओं से प्रभावित हो रहे हैं। इन देशों ने सामूहिक रूप में भी चीन के विरुद्ध लगातार आवाज़ उठाई है। आस्ट्रेलिया, अमरीका और जापान की भारत सहित चिन्ता यह बनी हुई है कि हिन्द-प्रशांत सागर द्वारा विश्व भर के देशों का जो बड़ा आयात-निर्यात और व्यापार होता है, वह प्रभावित न हो।
चार देशों का यह समूह समुद्र में चीन के पड़ोसी देशों के साथ सम्पर्क में रहता है। इसके अतिरिक्त भी यह देश आपस में सहयोग और व्यापार बढ़ाने की योजनाएं बनाते रहते हैं। चीन ने भी पाकिस्तान सहित कुछ देशों के साथ मिल कर अपने व्यापार को बढ़ाने का यत्न किया है। विगत कुछ समय से भारत के साथ टकराव में रहने के कारण उसने कई तरह के इलैक्ट्रानिक और अन्य विद्युत् उत्पादनों में काम आने वाले ज्यादातर अहम खनिज भारत को देने में लगातार इन्कार किया है। वाशिंगटन में हुई विदेश मंत्रियों की बैठक इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि इसी वर्ष नवम्बर महीने में भारत में भी ‘क्वाड’ देशों की बैठक होने जा रही है। विदेश मंत्रियों की बैठक की एक अहम बात यह भी कही जा सकती है कि इस बैठक के बाद जारी किए साझे बयान में रूस-यूक्रेन, इज़रायल-ईरान और गाज़ा पट्टी में हुए टकरावों का ज़िक्र तो नहीं किया गया, परन्तु इसकी बजाये भारत में पिछले 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले का ज़रूर ज़िक्र किया गया है। इसकी संयुक्त वक्तव्य में कड़े शब्दों में निंदा की गई है और इस हमले को उत्साह देने वाले, इससे संबंधित संगठन और इसमें शामिल आतंकवादियों को कड़ी सज़ाएं देने की बात की गई है। इसके साथ ही चीन की ओर से अहम खनिजों पर रोक लगाने के कारण उत्पन्न हुई समस्या के हल के लिए भी क्वाड देशों ने अपनी पूरी दृढ़ता प्रकट की है।
इस वर्ष जनवरी में अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा शपथ ग्रहण के बाद अन्य देशों के साथ टैक्स के मामले में मुकाबलेबाज़ी में पड़ने के कारण अन्तर्राष्ट्रीय हालात बदल गए प्रतीत होते हैं। एक बड़े देश के राष्ट्रपति होने पर भी ट्रम्प की नीतियों में स्थिरता नहीं प्रतीत होती। पहलगाम के हमले की चाहे अमरीकी प्रशासन ने आलोचना ज़रूर की थी परन्तु इस मामले में भारत और पाकिस्तान को एक समान रखना और पाकिस्तान को उत्साह देना ज़रूर समझ से बाहर है, परन्तु ऐसे समय में भी ‘क्वाड’ देशों का एक स्वर में रहना अहम है, जबकि अमरीका को स्वयं भी कई मोर्चों पर बड़ी चुनौतियां मिलनी शुरू हो गई हैं।
आस्ट्रेलिया के साथ भारत के संबंध अक्सर अच्छे बने रहे हैं परन्तु जापान भी दूसरे विश्व युद्ध के बाद हमेशा भारत का सहयोगी बना रहा है और रूस की तरह वह भी हर कठिन समय में हमारे साथ खड़ा रहा है। जापान और भारत का सहयोग दोनों देशों के लिए बहुत बड़ा महत्त्व रखता है। नि:संदेह ‘क्वाड’ देशों के विदेश मंत्रियों के संयुक्त वक्तव्य ने भारत के कद में और भी वृद्धि की है, जो हमारे लिए अच्छा संकेत है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द
 

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