भारत ने इंग्लैंड को एजबेस्टन में दी करारी मात

मैदान जंग का हो या खेल का, जो आनंद व संतोष किला भेदने से हासिल होता है, वह अलौकिक होता है। विशेषकर इसलिए कि उसका परिणाम दूरगामी होता है। एजबेस्टन, बर्मिंघम में भारत ने 1967 व 2022 के बीच 8 टेस्ट मैच हारे थे, जबकि 1986 का टेस्ट ड्रॉ रहा था, जिसमें जीत के लिए 236 रन का पीछा करते हुए भारत ने दूसरा विकेट 101 के स्कोर पर खोया था और फिर तीन अन्य विकेट मात्र 105 रन के स्कोर पर जल्दी-जल्दी निकल गये जिससे ड्रॉ के लिए खेलना पड़ा। इसलिए एजबेस्टन इंग्लैंड के लिए ऐसा किला था, जिसे भारत भेद न सका था। जब वर्तमान श्रृंखला के पहले टेस्ट (लीड्स) में इंग्लैंड ने चौथी पारी में 371 के कठिन लक्ष्य को आसानी से पार कर लिया तो हर विशेषज्ञ कह रहा था कि अपने एजबेस्टन किले में इंग्लैंड 2-0 की बढ़त बना लेगा लेकिन शुभम गिल के नेतृत्व वाली युवा भारतीय टीम के इरादे कुछ और ही थे। उसने असंभव को संभव कर दिखाया। 
भारत ने टॉस हारने के बाद पहले बल्लेबाज़ी करते हुए अपनी पहली पारी में 587 का विशाल स्कोर खड़ा किया, जिसमें गिल के शानदार 269 रन शामिल थे। जवाब में इंग्लैंड ने अपनी पहली पारी में 407 रन बनाये। मुहम्मद सिराज (6 विकेट) व आकाश दीप (4 विकेट) की प्रभावी गेंदबाज़ी के कारण भारत को 180 रनों की बढ़त मिली। भारत की दूसरी पारी में गिल ने एक बार फिर शानदार बल्लेबाज़ी करते हुए 161 रनों की पारी खेली और इस तरह एक ही मैच में शतक व दोहरा शतक लगाने वाले वह विश्व के 9वें और सुनील गावस्कर के बाद भारत के दूसरे बैटर बने। टेस्ट की दोनों पारियों में शतक लगाने वाले गिल भारत के 8वें बैटर हैं और एक ही मैच की दोनों पारियों में 150 प्लस का स्कोर करने वाले संसार के एकमात्र बैटर। गिल की बदौलत भारत ने अपनी दूसरी पारी में 6 विकेट पर 427 रन बनाकर पारी घोषित कर दी और इंग्लैंड के सामने 608 रनों का विशाल लक्ष्य रखा। दूसरे शब्दों में भारत ने इंग्लैंड को गेम से ही बाहर कर दिया था। जीत की केवल औपचारिकताएं रह गईं थीं। आकाश दीप ने एक बार फिर शानदार गेंदबाज़ी की और 6 विकेट लेकर इंग्लैंड की कमर तोड़ दी। इंग्लैंड अपनी दूसरी पारी में केवल 271 रन ही बना सका और 336 रनों से हार गया। आकाश दीप ने अपने करियर में पहली बार पारी में पांच विकेट और मैच में 10 विकेट लिए। उन्होंने मैच में 187 रन देकर 10 विकेट लिए, जो इंग्लैंड में किसी भी भारतीय गेंदबाज़ का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। उनसे पहले यह रिकॉर्ड चेतन शर्मा के नाम था। जिन्होंने 1986 में एजबेस्टन में ही 188 रन देकर मैच में 10 विकेट लिए थे। 
इससे पहले भारत ने 2019 में नार्थ साउथ, एंटीगुआ में वेस्टइंडीज को 318 रनों से पराजित किया था। अब तक भारत ने इंग्लैंड को इंग्लैंड में 10 टेस्ट मैचों हराया है, 69 में से। जबकि 37 में उसे हार का सामना करना पड़ा है और 22 ड्रॉ रहे हैं। भारत ने वेस्टइंडीज व ऑस्ट्रेलिया में भी 10-10 टेस्ट मैच जीते हैं। एजबेस्टन टेस्ट जीत के साथ ही शुभम गिल विदेशों में टेस्ट जीत दर्ज करने वाले सबसे कम आयु के भारतीय कप्तान बन गये हैं। उन्होंने यह कारनामा 25 साल 297 दिन की आयु में किया। यह रिकॉर्ड पहले सुनील गावस्कर के नाम था, जिन्होंने 26 साल 198 दिनों की आयु में न्यूज़ीलैंड को 1976 में ऑकलैंड में हराया था। 
दरअसल एजबेस्टन की जीत का मज़ा गाबा (ऑस्ट्रेलिया) व सेंचुरियन (दक्षिण अफ्रीका) में मिली कामयाबी जितना ही है। सेंचुरियन के सुपरस्पोर्ट पार्क में 30 दिसम्बर 2021 की दोपहर में लंच के बाद दूसरे ओवर में जब रविचंद्रन अश्विन की गेंद पर चितेश्वर पुजारा ने लेग स्लिप पर आसान कैच लपकर दक्षिण अफ्रीका के अंतिम खिलाड़ी लुंगी एनगिडी को आउट किया था, तो भारत ने वह चमत्कार कर दिखाया था, जो उससे पहले एशिया की किसी क्रिकेट टीम ने नहीं किया था। भारत ने दक्षिण अफ्रीका को उसके गढ़ सेंचुरियन में 113 रनों से हराया। सेंचुरियन दक्षिण अफ्रीका का ऐसा गढ़ था, जिसे भेदना किसी भी टीम के लिए लगभग असंभव था। रंगभेद नीति समाप्त होने के बाद से दक्षिण अफ्रीका ने सेंचुरियन में 28 टेस्ट मैच खेले थे, जिसमें से उसने 21 में जीत हासिल की और केवल तीन में ही उसे शिकस्त का मुंह देखना पड़ा था। उसे पहली दो हार इंग्लैंड के नासिर हुसैन (2000) व ऑस्ट्रेलिया के माइकल क्लार्क (2014) की टीमों से मिली थीं और फिर 2021 में भारत के विराट कोहली की टीम से मिली। तभी कोहली ने कहा था, ‘यहां (सेंचुरियन) में खेलना हमेशा ही (विदेशी टीमों के लिए) कठिन रहा है। इसलिए हमें पूर्णत: क्लिनिकल होने की आवश्यकता थी।’
बहरहाल, दक्षिण अफ्रीका का सेंचुरियन गढ़ तोड़ना ही नहीं महत्वपूर्ण था ऑस्ट्रेलिया का गाबा का गढ़ ढाहना भी उतना ही महत्वपूर्ण था। ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 2020-21 की टेस्ट क्रिकेट श्रृंखला के दौरान एडिलेड में खेला गया पहला टेस्ट मेज़बान टीम ने 8 विकेट से जीता था और टीम इंडिया अपनी दूसरी पारी में मात्र 36 रनों पर सिमट गई थी। इस टेस्ट में भारत की कप्तानी विराट कोहली ने की थी। मेलबर्न में हुए दूसरे टेस्ट में भारत ने अजिंके रहाणे की कप्तानी में पलटवार करते हुए 8 विकेट से जीत हासिल की, जिसमें रहाणे का शानदार शतक (112) था। तीसरा टेस्ट जनवरी 2021 में सिडनी में था, जिसमें ऑस्ट्रेलिया की स्थिति मज़बूत थी, लेकिन इसके बावजूद चोटिल हनुमा विहारी (हैमस्ट्रिंग) और चोटिल आर. अश्विन ने असाधारण बहादुरी का परिचय देते हुए ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को तीन घंटे तक रोके रखा और मैच ड्रॉ करा दिया था। सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के तत्कालीन कप्तान टिम पेन लगातार भारतीय खिलाड़ियों को चिढ़ा रहे थे कि गाबा में देखेंगे। गाबा ऑस्ट्रेलिया का गढ़ है, जहां वह पिछले लगभग 4 दशक से कोई टेस्ट नहीं हारा था। हालांकि वहां भारत दो बार जीत के करीब आया, 1968 में (39 रन से हार) व 1977 में (16 रन से हार) यानी गाबा में भारत ने कोई टेस्ट नहीं जीता था और 2021 में वह कोहली, बुमराह, शमी व अश्विन के बिना था। फिर भी उसने एकदम नये लड़कों- शुभम गिल (91 रन), ऋषभ पंत (89 नाबाद), शार्दुल ठाकुर (67 रन), वाशिंगटन सुंदर (62 रन), मुहम्मद सिराज (5/73) व टी. नटराजन (3/78) की बदौलत इस किले को फतेह कर लिया था। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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