भारत-पाक परमाणु हमले के घातक होंगे परिणाम

यदि भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध हुआ तो कम से कम 12.5 करोड़ लोग तत्काल हताहत हो जाएंगे। यही नहीं यह हमला जलवायु परिवर्तन को पूरी दुनिया में और भयावह रूप दे देगा, साथ ही भुखमरी का दायरा भी बढ़ जाएगा। यह जानकारी अमरीका की कोलोराडो बौल्डर यूनिवर्सिटी और रटगर्स यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए अध्ययन में सामने आई है। अध्ययन में शामिल प्रोफेसर एलेन रोबोक ने बताया है कि यह जंग केवल उन्हीं स्थलों को नुकसान नहीं पहुंचाएगी, जहां बम-धमाके किए जाएंगे, बल्कि पूरी दुनिया इससे प्रभावित होगी। इस अध्ययन के सामने आने के बाद परमाणु शस्त्रों को लेकर फि र चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। दरअसल जम्मू-कश्मीर से धारा-370 के हटाए जाने से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। नतीजतन वह अंतरराष्ट्रीय मंचों से भी भारत पर परमाणु हमला करने की धमकी लगातार दे रहा है। यह बात सर्वव्यापी है कि पाकिस्तान आतंकवाद का वैश्विक अड्डा है। अजहर मसूद और हाफि ज सईद जैसे आतंकियों का वह संरक्षक है। लिहाजा अध्ययन के संकेत खतरनाक हैं। गोया, संयुक्त राष्ट्र समेत दुनिया की अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का दायित्व बनता है कि वे पाक के पास जो भी परमाणु हथियारों का जखीरा है, उसे अपने नियंत्रण में लेकर दुनिया को सुरक्षित बनाए रखने की पहल करें।  
अध्ययन में कहा गया है कि 2025 तक दोनों देशों के पास कुल मिलाकर 400 से 500 परमाणु हथियार होंगे। इन अस्त्रों की क्षमता 15 किलोटन से लेकर कई सौ किलोटन तक हो सकती है। युद्ध में इनके इस्तेमाल से आसमान में धुएं के गुबार के रूप में छोटे-छोटे काले कॉर्बन कर्णों वाली 1.6 से 3.6 करोड़ टन कालिख वाली राख निकल सकती है। यह तेजी से वायुमंडल में छा जाएगी और कुछ ही हफ्तों में पूरी दुनिया में फैल जाएगी। यह राख सौर विकिरण को भी सोख लेगी और हवा को गर्म बना देगी, जिससे पूरी दुनिया में धुआं ही धुआं नजर आएगा। वातावरण में इस राख के छा जाने के बाद धरती पर पहुंचने वाली सूर्य की ऊर्जा की मात्रा में 20 से 35 प्रतिशत की कमी आ सकती है। ऐसा होता है तो धरती की सतह का तापमान 2 से 5 डिग्री सेल्सियस तक घट जाएगा। इससे दुनिया में होने वाली बारिश में भी 15 से 30 प्रतिशत की कमी देखने को मिलेगी। इसके दुष्परिणाम मनुष्य व जीव-जंतुओं के जीवन और फ सलों पर बड़े पैमाने पर दिखाई देंगे। वैश्विक स्तर पर पेड़-पौधों का विकास 15 से 30 प्रतिशत तक थम जाएगा। महासागरों से होने वाले उत्पादनों में भी 5 से 15 प्रतिशत तक की कमी हो जाएगी। इन दुष्प्रभावों से छुटकारा मिलने में कम से कम 10 साल लगेंगे। इस कालखंड में आकाश में धुआं मौजूद रहेगा। 
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमरीका ने जापान के शहर हिरोशिमा पर 6 अगस्त और नागासाकी पर 9 अगस्त 1945 को परमाणु बम गिराए थे। इन बमों से हुए विस्फ ोट और विस्फ ोट से फू टने वाली रेडियोधर्मी विकिरण के कारण दो लाख लोग तो मरे ही, हजारों लोग अनेक वर्षों तक लाइलाज बीमारियों की भी गिरफ्त में रहे। विकिरण प्रभावित क्षेत्र में दशकों तक अपंग बच्चों के पैदा होने का सिलसिला जारी रहा। अपवाद स्वरूप आज भी इस इलाके में लगड़े-लूले बच्चे पैदा होते हैं। अमरीका ने पहला परीक्षण 1945 में किया था। तब आणविक हथियार निर्माण की पहली अवस्था में थे, किंतु  अब घातक और लंबी दूरी तक मार करने वाले परमाणु हथियारों के निर्माण की दिशा में बहुत प्रगति हो चुकी है। लिहाजा इन हथियारों का इस्तेमाल होता है तो बर्बादी की विभीषिका हिरोशिमा और नागासाकी से कहीं ज्यादा भयावह होगी ? इसलिए कहा जा रहा है कि आज दुनिया के पास इतनी बड़ी मात्रा में परमाणु हथियार हैं कि समूची धरती को एक बार नहीं, अनेक बार नष्ट-भ्रष्ट किया जा सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अमरीका के पास 6185, रूस 6500, यूके 200, फ्रांस 300, चीन 290, पाकिस्तान, 150-160, भारत 130-140 और इजराइल के पास 80-90 हथियार हैं। पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर नजर रखने वाले लेखकों के दल की 2018 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पास इस समय 140 से 150 परमाणु हथियार हैं। यदि परमाणु अस्त्र-शस्त्र निर्माण करने की उसकी यही गति जारी रही तो 2025 तक इनकी संख्या बढ़कर 220 से 250 हो जाएगी। इसीलिए कहा जा रहा है कि यदि भारत और पाक के बीच परमाणु युद्ध का सिलसिला शुरू होता है तो इसके पहले ही प्रयोग में 12 करोड़ लोग तत्काल प्रभावित होंगे। न्यूयॉर्क टाइम्स ने खबर दी है कि ऐसे हालात में जिस देश पर परमाणु बम गिरेगा, वहां ड़ेढ़ से दो करोड़ लोग तत्काल मौत की गिरफ्त में आ जाएंगे। साथ ही इसके विकिरण के प्रभाव में आए लोग 20 साल तक नारकीय दुष्प्रभावों को झेलते रहेंगे। यदि यह युद्ध शुरू हो जाता है और परमाणु अस्त्रों से हमले शुरू हो जाते हैं तो इन्हें आसमान में ही नष्ट करने की तकनीक फि लहाल कारगर नहीं है। पाक के पास फि लहाल टेक्निकल परमाणु अस्त्र हैं, जिनकी मारक क्षमता अपेक्षाकृत कम है। इन्हें केवल जमीन से ही दागा जा सकता है। इसे दागने के लिए पाक के पास शाहीन मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता 1800 से 1900 किमी है। इसकी तुलना में भारत के पास अग्नि जैसी ताकतवर मिसाइलों की पूरी एक श्रृंखला है। इनकी मारक क्षमता 5000 से 8000 किमी तक है। यही नहीं भारत के पास परमाणु बम छोड़ने के लिए ऐसी त्रिस्तरीय व्यवस्था है कि हम जमीन, पानी और हवा से भी मिसाइलें दागने में सक्षम हैं। भारत की कुछ मिसाइलों को तो रेल की पटरियों से भी दागा जा सकता है। साथ ही हमारे पास उपग्रह से निगरानी प्रणाली भी है। भारत का संकट अब तक केवल इतना था कि उसके हाथ, ‘पहले परमाणु शस्त्र’ का उपयोग नहीं करने की नीति से बंधे हैं। जिससे मुक्त होने का संकेत देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दे दिया है। भारत की पीठ में छुरा घोंपने वाले देश पाकिस्तान के परिप्रेक्ष्य में इस नीति से बंधे रहना हवन करते हाथ जलाने की तरह है। यह सही है कि इस तरह के अध्ययन देश के लोगों को थोड़ा भयभीत करने का काम करते हैं, लेकिन भारतीय नागरिकों को भयभीत होने की जरूरत कतई नहीं है। दरअसल भारत का रक्षा-तंत्र कई स्तरों पर बेहद मजबूत है। पाक ने जिन गोपनीय स्थलों पर परमाणु हथियार छिपा रखे हैं, वे भारत की निगाह में हैं। बावजूद किसी सनक का शिकार होकर पाक परमाणु हमला कर भी देता है, तो भारत के पास इतनी उन्नत तकनीक है कि वह इन हथियारों को प्रतिरोधी मिसाइलों से पाकिस्तान के आकाश में ही ध्वस्त करने में सक्षम है। बावजूद विश्व महाशक्तियों का यह दायित्व बनता है कि वे पाक के परमाणु हथियारों को इसलिए अपनी निगरानी में लें, क्योंकि वहां पल रहे आतंकियों के हाथ ये हथियार आ जाते हैं तो वे दुनिया में कहीं भी ताबाही मचा सकते हैं। 

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