हरियाणा मंत्रिमंडल का विस्तार

हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में भाजपा-जजपा मंत्रिमंडल के पहले विस्तार के साथ, प्रदेश सरकार के गठन का दूसरा चरण पूरा हुआ है। पहले चरण में पिछले महीने 28 अक्तूबर को भाजपा-जजपा गठबन्धन में बनी सरकार के भाजपा कोटे के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और जजपा की ओर से उप-मुख्यमंत्री दुष्यन्त चौटाला ने शपथ ग्रहण की थी। प्रदेश की इस सरकार में दो बातें विशेष रहीं। एक तो यह कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भाजपा की ओर से दूसरी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने, और दूसरी यह कि दस मास पूर्व ही प्रदेश की राजनीति में गठित हुए नये राजनीतिक दल जन-नायक जनता पार्टी के नेता को उप-मुख्यमंत्री का महत्त्वपूर्ण पद भी मिल गया। यह भी एक उल्लेखनीय बात रही कि हरियाणा के एक समय के शक्तिशाली किसान नेता चौधरी देवी लाल की चौथी पीढ़ी नाम और धाम के परिवर्तन के साथ एक बार फिर सत्ता में लौट आई है।चौधरी देवी लाल कभी कांग्रेस के शक्तिशाली क्षत्रप हुआ करते थे। उनके पारिवारिक सदस्य कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ते और जीतते भी रहे थे, परन्तु 1972 में चौधरी देवी लाल ने कांग्रेस छोड़ दी थी। वर्ष 1977 में बनी जनता पार्टी की ओर से हल उठाये किसान के चुनावी निशान वाले ध्वज तले चौ. देवी लाल मुख्यमंत्री बने थे। फिर 1987 में चौधरी देवी लाल ने लोकदल (ब) का गठन कर भाजपा के साथ मिल कर सरकार बनाई थी। दिसम्बर 1989 में चौधरी देवी लाल केन्द्र में उप-प्रधानमंत्री मनोनीत हुए तो उनके स्थान पर हरियाणा में उनके पुत्र ओम प्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए। वर्ष 2000 के चुनाव में ओम प्रकाश चौटाला ने इंडियन नैशनल लोकदल का गठन कर प्रदेश में सरकार बनाई थी। अब इन्हीं ओम प्रकाश चौटाला के पौत्र दुष्यन्त चौटाला ने जन-नायक जनता पार्टी का गठन करके प्रदेश विधानसभा 2019 के चुनाव में दस सीटें जीतीं और सौभाग्य से दुष्यन्त चौटाला उप-मुख्यमंत्री भी बन गये। वर्ष 2000 के चुनाव में भी लोकदल ने भाजपा के साथ मिल कर चुनाव लड़ा था जिस में भाजपा केवल 6 सीटें जीत सकी थी। प्रदेश भाजपा ने लोकदल को इसलिए समर्थन दिया था, क्योंकि लोकदल ने केन्द्र में राजग की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार का पक्ष-पोषण किया था।विधानसभा चुनाव-2019 से पूर्व लोकदल विघटन प्रक्रिया से गुज़रते हुए पूर्णरूपेण शक्ति-विहीन हो गया, और पूर्व में सत्तारूढ़ भाजपा ने भी उसके साथ गठबन्धन बनाये रखने से संकोच किया। लोक दल के विघटन के बाद गठित हुई जजपा ने बेशक चुनाव प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी, उसकी सरकार और विशेषकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को अपने शब्द-बाणों के निशाने पर रखा था, परन्तु चुनाव जीतने के बाद, और सत्ता-सुख हासिल करने की इच्छा के साथ उसने उन्हीं मनोहर लाल खट्टर के साथ हाथ मिला लिया, जो चुनावों के दौरान उसके प्रथम कतार वाला विरोधी रहे। सम्भवत: राजनीति के बारे में इसीलिए कहा जाता है कि यहां न कोई किसी का स्थायी मित्र होता है, न कोई स्थायी शत्रु।खट्टर मंत्रिमंडल के इस पहले विस्तार में 10 नये सदस्यों को मंत्रि-पद की शपथ दिलाई गई है जिनमें से 6 काबीना मंत्री हैं जबकि चार राज्यमंत्री लिये गये हैं। इन छह काबीना मंत्रियों में से पांच भाजपा के कोटे से हैं जबकि रणिया से निर्दलीय रूप में चुनाव जीते ओम प्रकाश चौटाला के भाई रणजीत सिंह भी काबीना मंत्री बने हैं। इस विस्तार के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान, प्रदेश के इतिहास में पहली बार किसी विधायक ने पंजाबी में शपथ ग्रहण की, और वह हैं भाजपा की टिकट पर पिहोवा से चुनाव जीते संदीप सिंह। पंजाबी पृष्ठ-भूमि वाले संदीप सिंह भारतीय हॉकी टीम के कप्तान भी रहे हैं। मंत्रिमंडल विस्तार में एक आश्चर्यजनक बात जजपा के कोटे में केवल दो मंत्रिपद दिये जाने को माना जा सकता है। दुष्यन्त चौटाला के बाद जजपा कोटे से राज्य मंत्री-पद अनूप सिंह धानक को सौंपा गया है, और सम्भवत: उन्हें यह पद दुष्यन्त चौटाला परिवार के प्रति उनकी व़फादारी के फलस्वरूप दिया गया है। धानक वह नेता थे जो ओम प्रकाश चौटाला द्वारा दुष्यन्त चौटाला को पार्टी से निकाले जाने के बाद खुले-बंदों उनके साथ खड़े हुए थे। धानक के पक्ष में उनका दलित वर्ग से होना भी माना जा सकता है। दलित वर्ग से एक और राज्यमंत्री भाजपा के डा. बनवारी लाल लिये गये हैं। मंत्रिमंडल में एकमात्र महिला मंत्री कमलेश ढांडा हैं, जिन्होंने कलायत सीट से भाजपा टिकट पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री जय प्रकाश को हराया था। भाजपा के बेबाक किन्तु लोकप्रिय नेता अम्बाला छावनी सीट से छठी बार चुनाव जीते अनिल विज को एक बार फिर अहम पद मिला है। इस  प्रकार माना जा सकता है कि पहले ही विस्तार में मुख्यमंत्री खट्टर ने संतुलन बनाये रखने की भरपूर कोशिश की है।ऐसा माना जाता है कि इस देश की राजनीति में सब सम्भव होता है। तथापि, देश के लोकतंत्र की यह एक सर्वाधिक खूबसूरत बात है कि यहां मतदान के माध्यम से सरकारें बनती और बदलती रहती हैं। बेशक चुनावों के दौरान भाजपा-जजपा ने एक-दूसरे का कितना भी विरोध किया हो, परन्तु अब जब इनके नेताओं के हाथ मिले हैं, तो इनके दिल भी मिलने चाहिएं। सरकारों का मुख्य कार्य जन-साधारण की जीवन-यापन सुविधाओं की आपूर्ति और समाज-हेतु विकास कार्यों को संचालित करना होता है। नि:सन्देह चुनाव-बाद के गठबंधन का आधार समझौतावाद होता है। तथापि, इस समझौते में जन-हित, समाज-हित एवं राष्ट्र-हित ही प्रमुख होने चाहिएं। जन-साधारण की आवश्यकताओं की आपूर्ति, रोज़गार अपराध-मुक्त प्रशासन और विकास कार्यों के प्रवाह को बनाये रखना इस नई सरकार के प्राथमिक दायित्वों में होना चाहिए। हम समझते हैं कि यह सरकार यदि इन मोर्चों को सफलतापूर्वक सर कर लेती है, तो न केवल यह अपने होने को सिद्ध करेगी, अपितु आम जन के हित में एक नई तहरीर भी लिख सकेगी।