डिज़्नी की दुनिया....2

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इसके बाद उसने विश्व की सबसे पहली रंगीन कार्टून फिल्म ‘स्नो व्हाईट एण्ड सैवन ड्रॉप्स’ बनाई जो उस समय की एक सुपरहिट फिल्म थी। वाल्ट ने बच्चों के लिए विशेष कार्टून पुस्तकें एवं कार्टून फिल्में भी बनानी शुरू कीं तथा नए किरदार जैसे—‘टॉम एण्ड जैरी’, ‘चिप एण्ड डेल’, ‘पीटरपैन’, ‘लिटल मरमेड’, ‘एलिस इन वंडरलैंड’, ‘स्लीपिंग ब्यूटी’, ‘ब्यूटी एण्ड दि बीस्ट’, ‘अलादीन’, ‘टाज़र्न’, ‘द लायन किंग’, ‘जंगल बुक’ एवं अन्य बहुत से किरदार सृजित किए। दुनिया का पहला डिज़्नी लैंड (थीम पार्क) 1955 में वाल्ट डिज़्नी ने कैलिफोर्निया (अमरीका) में शुरू किया। यहां बच्चों एवं बड़ों के लिए कई प्रकार के झूले, खेलों एवं मनोरंजन के अनेक साधन जुटाए गए थे। दुनिया भर में ये थीम पार्क, डिज़्नी लैंड तथा डिज़्नी वर्ल्ड कई देशों जैसे अमरीका, यूरोप के विभिन्न देशों जापान, चीन एवं हांगकांग इत्यादि में स्थित हैं तथा इनकी कुल संख्या 14 है। वाल्ट डिज़्नी स्टूडियोज़ दुनिया के सबसे बड़े एवं बेहतरीन स्टूडियो कहलाते हैं, जहां विश्व भर की बड़ी फिल्मों एवं नाटकों का फिल्मांकन किया जाता है। इनमें वाल्ट डिज़्नी पिक्चर्स, वाल्ट डिज़्नी ऐनीमेशन स्टूडियोज़, पिक्सर, मार्वल स्टूडियोज़, ट्वेंटियथ सैंचुरी फॉक्स, फॉक्स टू थाउज़ैंड् पिक्चर्स, फॉक्स सर्च लाइट पिक्चर्स, लूकास फिल्मस एवं ब्ल्यू स्काई स्टूडियोज़ भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त मनोरंजन की दुनिया में डिज़्नी टी.वी. एवं केबल नेटवर्क में डिज़्नी चैनल, डिज़्नी एच.डी., हंगामा टी.वी., ई.एस.पी.एन., यू-टी.वी., मोपेट स्टूडियोज़, ए.बी.सी. ब्रॉडकास्ट नेटवर्क, फ्री फोरम, एफ.एक्स. एवं नैशनल ज्योग्राफिक शामिल हैं। बच्चों के लिए किताबों एवं पत्रिकाओं के प्रकाशन के लिए विश्व की सबसे बड़ी ‘डिज़्नी पब्लिशिंग कम्पनी’ है। इसके अतिरिक्त वाल्ट डिज़्नी कम्पनी के कई रिज़ोर्ट एवं होटल हैं तथा डिज़्नी के विशेष क्रूज़ लाइनर (सैलानियों के लिए पानी के जहाज़) हैं। वर्तमान समय में वाल्ट डिज़्नी के दो लाख से भी अधिक कर्मचारी हैं तथा वाल्ट डिज़्नी कम्पनी की विशुद्ध आर्थिक दर (नेटवर्थ) 13 हज़ार करोड़ अमरीकी डॉलर है। वाल्ट डिज़्नी का देहांत 15 दिसम्बर, 1966 को कैंसर के कारण हुआ। वह अपनी विरासत में आने वाली पीढ़ियों को हास्य एवं प्रसन्नता दे गए। वाल्ट डिज़्नी का कथन था, ‘‘विश्व का सबसे बड़ा एवं तमाम मुसीबतों का कारण यह है कि हम सभी बहुत शीघ्र ‘बड़े’ हो जाते हैं। हम बच्चे जैसे अपने साफ दिल को ‘बड़े’ होने की दौड़ में मैला कर देते हैं तथा अपने भीतरी मासूम बच्चे को मार देते हैं, परन्तु मेरी कोशिश रहेगी कि मैं यह न होने दूं।’’ वाल्ट डिज़्नी की यह कोशिश नाकाम नहीं हुई, क्योंकि उसकी कोई भी किताब पढ़कर, फिल्म देखकर अथवा थीम पार्क जाकर क्या जवान, क्या बुजुर्ग, सब बच्चे बन जाते हैं तथा एक प्रसन्नता, उल्लास, स्वप्निल दुनिया में समा जाते हैं। (समाप्त)

लेखिका : सरविंदर कौर
चीफ एग्ज़ीक्यूटिव ‘अजीत प्रकाशन समूह’
E-mail  : sarvinder_ajit@yahoo.co.in 
Blog : sarvinderkaur.wordpress.com