महंगाई और भ्रष्टाचार को लेकर सरकार पर हमलावर होगा विपक्ष

धर्मशाला के तपोवन में विधानसभा के शीतकालीन सत्र की शुरुआत विपक्ष के हंगामे के साथ होगी, यह तय है। हिमाचल की सियासी जमीन पर विपक्ष लगातार सरकार को भ्रष्टाचार, अवैध खनन, इनवेस्टर मीट और हिमाचल को बेचने के मुद्दे को लेकर घेरता रहा है। वहीं प्याज के दाम सौ रुपए किलो से अधिक होने पर महंगाई का मुद्दा भी सामने आ गया है, जिससे पूरी संभावना है कि विधानसभा सत्र का आगाज़ सरकार पर विपक्ष के तीखे आक्रमण के साथ होगा। सरकार को भी यह आभास है कि विधानसभा सत्र में विपक्ष किन मद्दों पर से घेरने की तैयारी कर रहा है, तथा मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने विपक्ष के हमलों का जवाब देने के लिए तैयारी कर रखी है। अब देखना होगा कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सियासी गर्मी लाने के लिए विपक्ष के नेता सरकार पर जनापेक्षी सवालों के साथ कितने तीखे हमले करते हैं, जिसका जवाब देने में सरकार को पसीना आने लगे। महंगाई का मुद्दा हमेशा देश की सियासत में सत्ता पक्ष के खिलाफ  विपक्ष का हथियार बनता रहा है। पूर्व कांग्रेस शासन काल में महंगे प्याज को मुद्दा बनाकर भाजपा ने भी सरकार को घेरा था। अब केंद्र और राज्य में भाजपा का शासन है, और एक बार फिर  प्याज के दाम आसमान पर हैं। प्याज के साथ ही दालों और चावल के दाम भी अधिक हैं, जिससे तय है कि विपक्ष महंगाई के मुद्दे को लेकर सरकार को घेरेगा। विपक्ष के विधायकों ने रणनीति भी बना ली है। विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री पार्टी के विधायकों के संग मंत्रणा कर सरकार के समक्ष जनता के मुद्दे उठाने के बारे में चर्चा कर रहे हैं। विधानसभा और लोकसभा के चुनाव और विधानसभा उपचुनाव हारने के बाद कांग्रेस फि र से जनता के मुद्दे उठाकर सरकार को कटघरे में खड़ा कर सियासी जमीन को मजबूत करना चाहती है। केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ  छेड़े गए आंदोलन के दौरान भी कांग्रेसी नेताओं ने भ्रष्टाचार के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था।  स्वास्थ्य विभाग में खरीददारी को लेकर कई मामले संदेह के घेरे में रहे हैं, जिनमें आयुर्वेद विभाग में उपकरणों की खरीद का मामला भी है, जिस पर सरकार ने कार्रवाई करते हुए परचेज कमेटी के सदस्यों को मुअत्तिल किया और कई अधिकारियों के तबादले कर दिए। सरकार के खिलाफ  वायरल हुए पत्र बम में भी स्वास्थ्य विभाग में घोटालों के आरोप लगे थे। सरकार के खिलाफ  सोशल मीडिया पर वायरल हुआ पत्र भाजपा नेताओं के बीच विवाद का कारण बना था। कांग्रेस नेताओं ने मांग कर रखी है कि सरकार पर लगे आरोपों की जांच होनी चाहिए। कांग्रेस आंदोलन के दौरान मुकेश अग्निहोत्री ने सरकार पर अपने चहेते व्यक्ति को करोड़ों रुपए की दवाइयां और उपकरण का ठेका देने का अरोप भी सरकार पर लगाया था। मुकेश अग्निहोत्री निश्चित तौर पर भ्रष्टाचार के इस मामले को सदन में उठाएंगे। 
कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ  उठने लगी आवाज़
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर लगातार पार्टी में एकजुटता के दावे तो कर रहे हैं, परन्तु पार्टी में अपने ही नेताओं की एक-दूसरे के विरुद्ध खिलाफ त बंद नहीं हो रही है। धर्मशाला से शिमला होते हुए यह विरोध की यह सियासत दिल्ली दरबार तक पहुंच गई है। धर्मशाला में विधानसभा के उप-चुनाव में पार्टी की हार की समीक्षा और पार्टी नेताओं के द्वारा पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर मीटिंग हुई, जिसमें  नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप के दौरान नौबत हाथापाई तक आ गई। वहीं शिमला में आयोजित बैठक में प्रदेशाध्यक्ष का साथ देने के लिए नेता तो पहुंचे, लेकिन कांग्रेस के विधायकों की हाजिरी कम ही रही, जिससे यह बात खुलकर सामने आई कि प्रदेशाध्यक्ष के साथ चलने के लिए कांग्रेस के कुछ विधायक तैयार नहीं हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं कौल सिंह, रामलाल ठाकुर, सुखविंदर सिंह सुक्खू और आशा कुमारी का दिल्ली दौरा कर सीनियर नेताओं से मिलना कुछ अलग ही संकेत दे रहा है। प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने भी दिल्ली का दौरा और उनका सीनियर नेताओं से मुलाकात की है। पार्टी नेताओं के दिल्ली दौरों से सिद्ध होता है कि कांग्रेस नेताओं के बीच छिड़ा विवाद अब सामने आने लगा है। कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी लम्बे समय से पार्टी नेताओं के बीच एकजुटता लाने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन कई गुटों में बंटे कांग्रेसी नेता एक छत के नीचे नहीं आ पा रहे हैं।
एचपीयू में सम्मान पर विवाद
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का दीक्षात समारोह भाजपा के संगठन मंत्री को मंच पर सम्मानित करने के कारण विवादों में घिर गया है। दीक्षांत समारोह का आयोजन छात्रों को डिग्रियां बांटने के लिए होता है। इसके लिए एचपीयू प्रबंधन ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर, प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को आमंत्रित किया था, लेकिन मंच से भाजपा के संगठन मंत्री पवन राणा को सम्मानित कर दिया गया, जिसे लेकर विवाद शुरू हो गया। विरोध करने वालों का तर्क था कि विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह के मंच से किसी पार्टी विशेष के पदाधिकारी को सम्मानित करना उचित नहीं है। विश्वविद्यालय एक स्वायत्त संस्था होती है, जिसका किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़ाव उचित नहीं है। हालांकि विश्वविद्यालय के वर्तमान उप-कुलपति भाजपा विचारधारा के हैं और भाजपा के एक सहयोगी संगठन की कमान लंबे समय तक उनके हाथों में रही है। उप-कुलपति निष्पक्ष रूप से कार्य करेंगे। मामले की संजीदगी को देखते हुए राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति से मांगी है। कुलपति की रिपोर्ट मिलने के बाद राज्यपाल मामले में अपना फैसला लेंगे।