" पर्यावरण पर क्षेत्रीय कान्फ्रैंस " राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के चेयरपर्सन ने कहा स्वस्थ जीवन हेतु समय पर कदम न उठाए तो तबाही अटल

पंजाब व हरियाणा की सरकारों को कूड़ा डम्प हटाने में नेतृत्व करने के लिए कहा
चंडीगढ़, 14 दिसम्बर (अ.स.): राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने समूह भाईवालों को हवा, पानी, सीवरेज व कूड़ा-कर्कट प्रबंधन सहित पर्यावरण प्रदूषण के हल के लिए संयुक्त तौर पर प्रयास करने का निमंत्रण देते हुए कहा कि देश में स्वस्थ जीवन के लिए पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए ऐसा करना समय की ज़रूरत है। पंजाब के पर्यावरण विभाग द्वारा ‘समय नहीं रहा, अब कार्रवाई करो’ के विषय पर पर्यावरण पर करवाई गई क्षेत्रीय कान्फ्रैंस को सम्बोधित करते हुए एन.जी.टी. के चेयरपर्सन ने कहा कि इस ओर अब कदम उठाने का समय आ गया नहीं तो हमें तबाही का सामना करना पड़ेगा। चेयरपर्सन ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि यह कान्फ्रैंस देश में पर्यावरण की सम्भाल के संदेश का प्रसार करने के लिए रोल माडल सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि यह बहुत निग्गर शुरुआत है जिसको पर्यावरण मसलों के हल के लिए देश भर में निचले स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि असंतुलित पर्यावरण को मोड़ा देने के लिए ऐसे लोकपक्षीय व कुदरत पक्षीय प्रयासों में अधिक से अधिक लोगों को शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यावरण से संबंधित समस्याओं के लिए अनेकों माडल हैं तथा ऐसे अन्य भी माडल विकसित कर अमल में लाने की ज़रूरत है। एन.जी.टी. द्वारा पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन देते हुए चेयरपर्सन ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि फंडों की कोई कमी नहीं है तथा लोग हर सम्भव सहायता के लिए तैयार हैं क्योंकि साफ-सुथरा पर्यावरण बहुत ज़रूरी विषय है। अवशेष का ज़िक्र करते हुए गोयल ने कहा कि संबंधित अथारटीयों को कमांड व कन्ट्रोल के माडल को सही मायनों में लागू करना चाहिए ताकि इस ओर सुधार लाने के साथ-साथ निर्धारित लक्ष्य भी हासिल किए जा सकें। पंजाब व हरियाणा की सरकार को कूड़े के बड़े ढेर (गारबेज डम्प) हटवाने तथा इन ढेरों के निचली ज़मीन की बहाली की अपील करते हुए गोयल ने कहा कि हमारे देश के 4100 शहरों में कूड़े के ढेर वाली 4100 जगहें हैं जिनको कारोबार व रोज़गार के अवसरों के रूप में प्रयोग किया जा सकता क्योंकि जब कूड़े के ढेरों का मसला हल नहीं होता, तब तक साफ-सुथरे पर्यावरण का लक्ष्य पूरा नहीं किया जा सकता।