प्रकृति का नि:शुल्क टॉनिक सुबह की सैर

हमारे देश में वाहनों पर चलना प्रतिष्ठा पूर्ण माना जाने लगा है और पैदल चलना हीनता का सबब बनता जा रहा है। लोग घंटों वाहनों की प्रतीक्षा में खड़े रहते हैं जबकि इन्हें ज्ञात नहीं कि पैदल चलना स्वास्थ्य के लिए कितना लाभकारी है। जो कठिन व्यायाम नहीं कर सकते, शरीर दुर्बल है या अन्य रोग जैसे गठिया, हृदय रोग, दमा, रक्तचाप के मरीज हैं। वे भी पैदल चलकर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं। 
लोगों का यह तर्क रहता है कि हम तो अपने घर में काम काज करते, सीढ़ियों पर ऊपर नीचे चढ़ते उतरते, मीलों पैदल यात्रा के बराबर चल लेते हैं। शरीर हरकत में रहता है, फिर भी हम स्वस्थ नहीं हैं। यदि ऐसा ही होता तो लुहार प्रतिदिन हथौड़ा चलाते हैं, पोस्टमैन पैदल डाक बांटते फिरते हैं। फेरी वाले वस्तुएं बेचते फिरते हैं लेकिन उन्हें स्वास्थ्य लाभ प्राप्त नहीं हो पाता। इस का कारण यह है कि अपने कार्य उद्देश्य के अनुरूप हमने अपनी मान्यताएं भावनाएं बनाई हुई हैं। व्यायाम करते समय पहलवान बलिष्ठ होने और क्रि केट का खिलाड़ी कुशल खिलाड़ी होने की भावनाएं रखता है। इसी तरह हमें नियमित सूर्य उगने से एक घंटा पूर्व से बाद तक पैदल टहलने जाना चाहिये और भावनाएं स्वस्थ होने की बनानी चाहिये। ऐसा नियमित करने से आपको सप्ताह भर में लाभ दिखाई देने लगेगा क्योंकि प्रभातकालीन जलवायु में सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों का, वायु की दृष्टि से ऑक्सीजन का बाहुल्य रहता है। रात्रि का अन्त और दिन का आरम्भ एक ऐसा वातावरण उत्पन्न करता है जिसका संपर्क पौष्टिक भोजन से भी अधिक स्वास्थ्यवर्धक सिद्ध होता है।जब हम प्रात: टहलने जाएं तो सारा बदन सीधा रखना चाहिये। कन्धे पीछे की ओर दबे हुए-सीना उभरा हुआ, सिर थोड़ा पीछे को, निगाह एक दम सामने, शरीर को इतना कड़ा न करें कि तनाव महसूस करें, चुस्ती रहनी चाहिये। मांसपेशियों में मुलायमी भी बनी रहनी चाहिए। कमर से लेकर सिर तक का हिस्सा कुछ आगे की ओर तिरछापन लिए होना चाहिए जैसा कि अक्सर दौड़ते वक्त रखना पड़ता है। मुंह बन्द रख  सांस नाक से लेनी चाहिये, गहरी सांस लेने का अभ्यास करना चाहिये ताकि शुद्ध वायु का आवागमन शरीर में अधिकाधिक गहराई तक हो सके। अधूरी सांस से फेफड़ों को लाभ नहीं मिल सकेगा। प्रकृति से प्राप्त नि:शुल्क टॉनिक प्रभात काल में टहल कर प्राप्त कर लें तो अनेकों बीमारियों व दवाइयों से पीछा छूट जायेगा और हम दीर्घजीवी बन सकेंगे।

(स्वास्थ्य दर्पण)
-राजपाल सिंह चौहान