चाइना डोर पर सख्ती से अंकुश लगाने की ज़रूरत

प्र्रतिबंध के बावजूद चाइना डोर की बिक्री बदस्तूर जारी है। बच्चे व नौजवान चाइना डोर से ही पतंग उड़ाने में गर्व महसूस कर रहे हैं। इससे वे मजा ले रहे हैं पर उनका यह मजा चलते लोगों, पशु, पक्षियों एवं प्राणियों के लिए सजा से कम नहीं है। अत्याधिक घातक यह डोर राहगीरों, पशु, पक्षियों व प्राणियों को जख्मी करने के साथ इनकी मौत का कारण भी बन रही है। कुछेक दशक पहले भी तो पतंगबाजी होती थी तब यह बात नहीं थी। पतंग की डोर का माझा बेहतरीन था। कांच एवं लोशन से धागे को मजबूती प्रदान की जाती थी। यह धागा हानिकारक नहीं था। चाइना डोर प्लास्टिक की बनी होने के कारण यह टूटती ही नहीं है। इसीलिए यह हमारे शरीर के जिस भाग को छूती है , वहां गहरा जख्म कर देती है। चीर कर रख देती है उस स्थान को। जिस मौज से प्रसन्नता मिलने की अपेक्षा दुख मिले, मौत मिले तो ऐसी आनंद की अनुभूति से भी क्या लेना।पर्व, त्यौहार दिलों को जोड़ते हैं, तोड़ते नहीं। बसन्त पर फिर खुशियां बांटने की अपेक्षा किसी को भी दुख पहुंचाने की अनुमति क्यों दी जाए। वाहन चालक एवं आकाश में उड़ते पक्षियों की आजादी ही खत्म कर दी गई है। पतंगबाजी के दौरान वे चाइना डोर के घेरे में आकर बुरी तरह से घायल हो जाते हैं । कई बार तो इन्हें अपनी जान से भी हाथ धोने पड़ते हैं। क्यों हो रहा है ऐसा, क्या कोई चाइना डोर से पतंगबाजी पर अंकुश लगाने वाला नहीं है? दोषी कौन है? मुनाफाखोर दुकानदारों से क्या कोई उम्मीद रखी जाए। यह सोच है बेहतरीन पर है यह अकल्पनीय क्योंकि चाइना डोर की बिक्री से विक्रेताओं को अच्छी-खासी कमाई होती है। अगर वे स्वेदशी डोर ही बेचने को रखें तो स्वयं इस समस्या से मुक्ति मिल सकती है।  स्वदेशी जागरण को लेकर हो-हल्ला बहुत मचाया जाता है पर इसके कोई सार्थक परिणाम नहीं निकल रहे। विदेशी माल की चाहत में विदेशी ही खरीदा जा रहा है, विदेशी माल ही बेचा जा रहा है। ऐसा ही कुछ चाइना डोर के मामले में हो रहा है। यह गंभीरतम समस्या जरूर है पर ऐसी समस्या भी नहीं जिसका कोई समाधान नहीं। हां, एक बात का यहां जिक्र करना अत्यावश्क है कि किसी की जान को खतरे में डाल पतंगबाजी का लुत्फ  उठाना उचित नहीं है। बहुत कुछ करने , सोचने की जरूरत है। पहल तो करनी ही होगी। पतंगबाजी का जैसे ही दौर आरंभ होता है तब चाइना डोर पर जोर से चर्चा भी शुरू हो जाती है। समय के साथ ही सब कुछ ठप्प होकर रह जाता है। स्टाकिस्ट इस डोर का स्टाक प्रचुर मात्रा में कर लेते हैं। पतंगबाजी का मौसम उन्हें अधिक मुनाफा कमाने की ओर अग्रसर प्रेरित करता है। नि:सन्देह इन पर छापामारी की जाती है पर जमानत योग्य अपराध होने के कारण वे जमानत पर छूट पुन: इस घिनौने व्यापार में संलिप्त हो जाते हैं। इस प्रकार यह धंधा कम होने की अपेक्षा बढ़-फूल रहा है।  अन्तत: यही कहा जा सकता है कि बच्चे तो भोले हैं, नादान हैं, व्यापारियों को ही समझ बरतनी होगी। प्रशासन भी शीघ्र अतिशीघ्र यथोचित कदम उठाए। चाइना डोर बेचने से विक्रेता तभी तौबा करेंगे अगर उन्हें सख्त से सख्त सजा मिलेगी। उनकी जमानत भी नहीं होनी चाहिए। पतंगबाजी करते मौज-मस्ती की जाए पर किसी की जान जोखिम में न डाली जाए। पतंगबाजी करते चाइना डोर का प्रयोग न किया जाए। इससे होने वाले हादसों के लिए ज़िम्मेदार कौन है? इसकी जांच की जाए। हादसों पर अंकुश लगाया जाए। इससे सभी का भला होगा।

मोहल्ला पब्बियां, धर्मकोट,  मोगा