पंजाब के निजी थर्मल प्लांटाें ने केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड के आदेशाें को किया नज़रअंदाज़

चंडीगढ़, 7 फरवरी (विक्रमजीत सिंह मान): पंजाब के निजी थर्मल प्लांटों द्वारा प्रदूषण की रोकथाम के लिए ज़रूरी यंत्र लगाने संबंधी केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी किए आदेशाें को नज़रअंदाज़ कर दिया गया है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इन निजी थर्मल प्लांटाें में प्रदूषण की रोकथाम के लिए ज़रूरी उपकरण लगाने के लिए 31 दिसम्बर 2019 तक का समय दिया था परंतु प्लांटों द्वारा निर्धारित तिथि तक यह उपकरण नहीं लगाए गए और यह उपकरण लगाने के लिए पंजाब प्रदूषण बोर्ड ने इन प्लांटों की पैरवी करते दो साल का और समय देने संबंधी पत्र लिखा है। यह खुलासा आज यहां पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए किया। निजी थर्मल प्लांटों से नाराज़ जाखड़ ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को कहा कि दोनाें निजी थर्मल प्लांट कल से ही बंद कर दिए जाएं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उठाए जाने वाले एक कदम से जहां सरकार के 4600 करोड़ रुपए बचेंगे वहीं सरकार अन्य कम्पनियों से पिछले समझौतों से सस्ती बिजली खरीद सकेगी। जाखड़ ने बातचीत करते हुए कहा कि इन थर्मल प्लांटों को बंद करने से पंजाब को नुक्सान होने की बजाय फायदा ही होगा और महंगे बिजली समझौतों से बाहर निकलने का रास्ता भी मिल जाएगा और अगले दो वर्षों के लिए निजी थर्मल प्लांट बंद करने से सरकार को करोड़ों का फायदा होगा। उन्होंने कहा कि जहां इस कदम से सरकार के 4600 करोड़ रुपए बचेंगे वहीं कोयला धुलाई के करीब 480 करोड़ रुपए भी बच जाएंगे। उन्होंने कहा कि वह इस मामले में मुख्यमंत्री को मिलकर मांग करेंगे कि यह दोनों थर्मल प्लांट तुरंत बंद करने के आदेश दिए जाएं और दो वर्ष के लिए केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड से मांगी मोहलत की आगे पैरवी न की जाए। उन्होंने कहा कि इस मामले में पीएसपीसीएल इन निजी थर्मल प्लांटों को नोटिस कर रहा है और दूसरी ओर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इनकी पैरवी कर रहा है। उल्लेखनीय है कि सरकार को कोयले की धुलाई के एक हज़ार करोड़ चुकाने के मामले में पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट में केस हार चुकी है और इस मामले में जाखड़ द्वारा प्रदेश के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा की खिंचाई भी की गई थी और उन्होंने इस मामले में भी एडवोकेट जनरल के कार्यालय की भूमिका को ज्यादा बढ़िया नहीं बताया। उन्होंने कहा कि इस कार्यालय में क्या  घपला हो रहा है इस देखकर वह हैरान हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि महंगे बिजली समझौते रद्द करने के लिए उन्होंने एक प्लान तैयार कर लिया है जो वह मुख्यमंत्री के समक्ष रखेंगे और ऐसा कुछ नहीं कि यह महंगे समझौते रद्द नहीं किए जा सकते।