महामारी की बढ़ती चुनौती

सीमित साधनों के कारण एवं पूरे ज़ोर-शोर से किये जा रहे प्रयत्नों के बावजूद भारत में कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज़ों की गिनती लगातार बढ़ती जा रही है। अब तक यह गिनती 5000 से ऊपर पहुंच गई है। इसके साथ ही इस बीमारी के कारण मृतकाें की गिनती भी 150 के करीब हो गई है। भारत के मुकाबले में अमरीका और कुछ पश्चिमी देशों की स्थिति और भी खराब दिखाई देती है। यहां प्रभावित हर देश से प्रतिदिन सैंकड़ों मौतें होने के समाचार आ रहे हैं। मोदी सरकार की ओर से 25 मार्च से 14 अप्रैल तक देश भर में की गई तालाबंदी भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है।
चाहे इस बीमारी के दौरान  ही तबलीगी जमात की ओर से दिल्ली में निज़ामुद्दीन इलाके में किये गये सम्मेलन ने इस बीमारी को और बढ़ाने में बड़ा हिस्सा डाला है, परंतु आने वाले समय में पश्चिमी देशाें की भांति इस बीमारी के भारत में भी एकाएक और बढ़ने की आशंका ने सभी को चिंता में डाला हुआ है। इसीलिए केन्द्र के सम्बद्ध मंत्री समूह ने अब 15 मई तक सभी प्रकार के शिक्षा संस्थानों, बड़े शॉपिंग मॉल्स एवं धार्मिक स्थानों को बंद रखने की सिफारिश की है। ऐसा इसलिए किया गया है कि आगामी समय में लोगों की जमा होने वाली भीड़ों को रोका जा सके। इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के भिन्न-भिन्न प्रांतों के मुख्यमंत्रियों के साथ भी बात की है। उन्होंने भी आगामी समय में इस बीमारी के संबंध में चिन्ता व्यक्त की है। श्री मोदी ने भिन्न-भिन्न क्षेत्रों से सम्बद्ध प्रमुख व्यक्तियों जिनमें डाक्टर एवं पत्रकार आदि शामिल हैं, के साथ भी विचार-विमर्श किया है। कुछ दिन पहले उन्होंने इस गम्भीर स्थिति को लेकर पूर्व राष्ट्रपतियों प्रणव मुखर्जी, प्रतिभा पाटिल एवं इनके अतिरिक्त पूर्व प्रधानमंत्रियों डा. मनमोहन सिंह तथा श्री देवेगौड़ा के साथ भी बात की थी। इसी कड़ी में उन्होंने अब संसद में प्रतिनिधित्व रखने वाली पार्टियों के नेताओं के साथ भी बात की है तथा उनसे कुछ सुझाव भी प्राप्त किये हैं। इनमें इस बीमारी से जूझने वाले डाक्टरों, नर्सों एवं अन्य कर्मचारियाें के लिए बीमारी से बचाव हेतु सुरक्षा किटों की कमी पूरी करने की बात भी कही गई है। इसके साथ ही केन्द्र सरकार ने कुछ आवश्यक दवाइयां अमरीका एवं अन्य प्रभावित देशों तथा अपने पड़ोसी देशों को भेजने का फैसला किया है। इनमें कुछ दवाइयों के निर्यात पर पहले पाबंदी लगा दी गई थी परंतु अब पूर्ण सोच-विचार के बाद इनके भंडार को देखते हुए मानवीय भावनाओं के दृष्टिगत इन्हें बाहर भेजने की अनुमति दे दी गई है, जिसका इसलिए अच्छा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि आज पूरी दुनिया इस महामारी की चपेट में आई हुई है। सभी देशों के संयुक्त यत्नों के साथ ही इस महामारी पर काबू पाया जा सकता है। इस संबंध में अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी यह बताया है कि वहां की एक बड़ी कम्पनी जॉनसन एंड जॉनसन्ज़ ने एक टीका तैयार किया है, जिसके संबंध में अभी प्रशिक्षण होने शेष हैं। कुछ अन्य देश भी इस वायरस को लेकर दवाइयां तैयार कर रहे हैं। यदि संयुक्त अंतर्राष्ट्रीय यत्नों से प्रभावशाली दवाइयां तैयार हो जाती हैं, तभी इस आपदा को दूर किया जा सकेगा।
अब इस बात की तीव्र आवश्यकता महसूस होने लगी है कि भारत को सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में स्वास्थ्य संबंधी राशि को बढ़ाना पड़ेगा। इस समय देश के जीडीपी में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए केवल 1.1 प्रतिशत राशि ही आरक्षित रखी गई थी, जबकि वर्ष 2017 में ब्राज़ील में यह राशि 4 प्रतिशत, चीन में 2.9 प्रतिशत, ईरान में 4.4 प्रतिशत एवं अमरीका में 8.6 प्रतिशत रखी गई थी। इस संबंध में देश के 410 प्रभावित ज़िलों के एक सरकारी सर्वेक्षण के अनुसार जो जानकारी प्राप्त की गई है, उसमें वैंटीलेटर, एम्बुलैंस एवं बीमारों के लिए बिस्तराें की बड़ी कमी दिखाई गई है। इस भयानक बीमारी के गुज़र जाने के बाद देश को नये सिरे से प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाआें को सुदृढ़ करने की योजनाबंदी करनी पड़ेगी। इस प्राथमिक सेवाआें की इस समय भारी कमी बहुत खटकती है।
            -बरजिन्दर सिंह हमदर्द