पुन: महामारी की दस्तक अधिक सचेत होने की ज़रूरत

चीन सहित विश्व के कुछ यूरोपियन देशों में पुन: कोरोना फैलने के समाचारों ने एक बार फिर भारत में इस संबंध में चिन्ता बढ़ा दी है। चाहे अब तक इस महामारी के बढ़ने की कोई सम्भावनाएं दिखाई नहीं दीं परन्तु इसके संबंध में जागरूक होना ज़रूरी है। वर्ष 2020-21 में इस महामारी ने विश्व भर में सहम ही पैदा नहीं किया, अपितु इसने लाखों ही लोगों पर जानलेवा प्रभाव भी डाला था। विश्व की आर्थिकता डगमगा गई थी। ़गरीबी तथा बेरोज़गारी ने विकसित देशों को अपनी चपेट में ले लिया था।
भारत में भी इसके बेहद जानलेवा प्रभाव पड़े थे। बड़ी संख्या में हुई मौतों के साथ-साथ इसकी अर्थ-व्यवस्था भी डगमगा गई थी। पहले ही बेरोज़गारी तथा ़गरीबी से त्रस्त इस देश का और भी बड़ा नुकसान हो गया था। परन्तु जिस ढंग से केन्द्र में मोदी सरकार ने इस महामारी को काबू करने के लिए योजनाबंदी की थी, वह अंतत: एक प्रभावशाली कदम साबित हुई थी। केन्द्र की सबसे बड़ी उपलब्धि 130 करोड़ के निकट पहुंची जनसंख्या वाले देश में व्यापक स्तर पर टीकाकरण करना था। इसमें मिली सफलता ने विश्व भर को आश्चर्यचकित कर दिया था। केन्द्र सरकार द्वारा लम्बे समय तक करोड़ों ही ज़रूरतमंदों को राशन वितरित करने से भी हर तरफ बड़ी राहत महसूस की गई थी। महामारी के दौरान समय-समय पर लगाई गई पाबन्दियों के कारण व्यापक स्तर पर कठिनाइयां तथा परेशानियां तो ज़रूर आईं परन्तु अंत में अच्छे परिणाम आने से इसे भूलने में कुछ सहायता मिली। चाहे कोरोना ने देश में अभी दस्तक नहीं दी परन्तु प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी द्वारा इसकी आशंका को देखते हुए पूरी सावधानियां अपनाने हेतु सचेत किया जाना एक अच्छी बात है। इसमें मूलभूत स्वास्थ्य ढांचे को मज़बूत किया जाना तथा पूरी तरह सचेत होकर विचरना भी बेहद ज़रूरी है। चाहे इस बात ने चिंता को कम किया है कि बड़ी संख्या में नागरिकों का टीकाकरण हो चुका है तथा ज्यादातर लोगों में इस बीमारी के प्रति सहनशक्ति भी प्रफुल्लित हो चुकी है परन्तु फिर भी सचेत रहना ज़रूरी है। देश की मैडीकल एसोसिएशन ने कहा है कि देश में फिलहाल स्थिति चिन्ताजनक नहीं है। इसलिए घबराने की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए। परन्तु इसके साथ ही उसने यह भी सुझाव दिया है कि भीड़भाड़ वाले स्थानों पर मुंह पर मास्क लगाना, आपसी दूरी बनाये रखना तथा विदेश यात्रा को स्थगित  करने का प्रयास भी किया जाना ज़रूरी है। आने वाले  दिनों में नव वर्ष के कई उत्सव भी मनाये जाते हैं, इसलिए भी सचेत होने की ज़रूरत है। विदेश से आने वाले यात्रियों पर नज़र रखना भी ज़रूरी बनाया गया है। ये सभी कदम सही हैं। परन्तु एक बार फिर टीकाकरण की प्रक्रिया को भी तेज़ किया जाना चाहिए। उदाहरण के तौर पर मिली सूचनाओं के अनुसार अकेले पंजाब में ही 11 लाख ऐसे लोग हैं, जिन्हें कोरोना का पहला टीका भी नहीं लगा। टीके ने ही इस बीमारी से लड़ने के लिए एक कवच का काम किया है। प्रशासन की भी यह ज़िम्मेदारी है कि इन   बचे हुए लोगों का हर स्थिति में टीकाकरण किया जाए, जिन हज़ारों लोगों ने पहली खुराक तो ले ली है परन्तू दूसरी से टाल-मटोल कर गये हैं, उन्हें दूसरी खुराक के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
कुछ प्रदेशों में जैसे कि उत्तराखंड में भीड़ में मास्क पहनने तथा अस्पतालों में कोविड जांच ज़रूरी कर दी है। हिमाचल सरकार द्वारा बूस्टर डोज़ लगवाने को भी इस सावधानी के घेरे में लाया गया है। किसी भी आपात्काल के लिए आक्सीजन सिलैण्डर, वैंटीलेटर तथा मैडीकल स्टाफ के साथ-साथ ज़रूरी दवाइयों का होना तथा इनकी कीमतों पर नज़रसानी की जानी भी संबंधित प्रशासन के कामों में शामिल होनी चाहिए। यदि चीन के अलावा डैनमार्क, जापान, ब्रिटेन, जर्मनी तथा अमरीका जैसे देशों में भी कोरोना के नये वैरिएंटों का प्रभाव पड़ना शुरू हो गया है तो भारत जैसे बड़ी जनसंख्या वाले देश को हर पक्ष से और भी सचेत होने की ज़रूरत होगी क्योंकि इस महामारी का प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र में पड़ता है, जिस कारण पहले ही पेश परेशानियां, कमियां असहनीय हो गईं थीं। केन्द्र के साथ-साथ इस संबंध में जहां सभी प्रदेशों को पूरे प्रबन्ध करने पड़ेंगे, वहीं इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि इसके प्रति पहरेदारी में किसी तरह की राजनीति न लाई जाए तथा इसे पूरे समाज की सांझी ज़िम्मेदारी समझ कर ही निपटा जाए।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द