गेहूं का मंडीकरण : अभी भी शेष हैं कई प्रकार की उलझनें

कोरोना वायरस और खराब मौसम रहने के बावजूद इस वर्ष गेहूं का रिकार्ड उत्पादन होने की संभावना है। कृषि और किसान कल्याण विभाग के डायरैक्टर सुतंत्र कुमार ऐरी के अनुसार उत्पादन 185 लाख टन तक पहुंच जाएगा। पिछले वर्ष 182 लाख टन उत्पादन हुआ था। इस वर्ष रकबा भी मामूली सा कम हुआ है। पिछले वर्ष गेहूं की काश्त 35.12 लाख हैक्टेयर रकबे पर हुई थी जो इस वर्ष 35.08 लाख हैक्टेयर रकबे पर हुई है। इस वर्ष बेमौसमी बारिश तेज़ हवा और कहीं-कहीं ओलावृष्टि के तूफान भी आते रहे हैं जिन्होंने फसल को प्रभावित किया। कई स्थानों पर गेहूं गिर गई लेकिन डायरैक्टर ऐरी के अनुसार बाद में मौसम ठीक होने के कारण फिर से संजीव हो गई। हरियाणा में गेहूं के उत्पादन का अनुमान 120 लाख टन लगाया गया है। चाहे वहां लक्ष्य 132 लाख टन का रखा गया था। आई.सी.ए.आर.-इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीच्यूट के डायरैक्टर डा. अशोक कुमार सिंह के अनुसार इस वर्ष मौसम ठंडा रहने के कारण कटाई देर से शुरू होकर लम्बे समय तक चलेगी। पिछले वर्ष कटाई इस समय के दौरान शुरू हो जाती थी। इस वर्ष कहीं-कहीं अभी इक्का-दुक्का गेहूं हाथों के साथ कटाई की जा रही है। अधिकतर रकबा कम्बाईन हारपैस्टर के साथ काटा जाएगा। ऐसी कटाई कल के बाद शुरू किए जाने की संभवना है। किसान मंडियों में गेहूं की सरकारी खरीद पर आमद जो 15 अप्रैल से शुरू होनी है उसकी और देख कर रहे हैं कि सरकार की और से मंडियों में गेहूं की खरीद और गेहूं की ट्राली प्रवेश करने संबंधी क्या नीति अपनाई जाती है। चाहे ऐलान की गई नीति के अनुसार किसानों को मार्किट कमेटियों की और से पास दिए जाएंगे और वह दी गई तारीख पर ही मंडियों में अपनी गेहूं ला सकेंगे। किसान अभी दुविधा में हैं कि वह अपनी गेहूं की कटाई, देखभाल और मंडीकरण के लिए क्या योजनाबंदी करें। पिछले वर्षों में अधिकतर किसान जिनके पास ट्रैक्टर-ट्रालियां अधिक गिनती में उपलब्ध थे अपनी फसल कम्बाईन हारवैस्टर के साथ काट कर साथ-साथ सीधा मंडीकरण के लिए नज़दीक के खरीद केन्द्र पर ले जाया करते थे। इस वर्ष सरकार की नीति के अनुसार खरीद केन्द्र में आमद एक ट्राली के प्रति किसान सीमित कर दिए गए हैं। इसके अनुसार किसानों को फालतू फसल अपने पास भंडार के प्रबंध करने पड़ेंगे। उनके पास तिरपाल भी नहीं है। कन्सोर्टियम ऑफ फार्मेज़ एसोसिएशन्ज़ के पूर्व प्रधान सतनाम सिंह बहीरू ने मांग की है कि केन्द्र की और से पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्री की और से मई और जून में मंडियों में गेहूं लाने वाले किसानों को क्रमवार 100 रुपए और 200 रुपए प्रति क्विंटल बोनस देकर उत्साहित किया जाएगा। कृषि और किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों ने कहा कि उनको इस संबंधी केन्द्र की और से किए गए फैसले की कोई जानकारी नहीं है। जिसके लिए मुख्यमंत्री का सुझाव अभी तक केन्द्र की और से माने जाने की कोई संभावना नज़र नहीं आ रही। चाहे सरकारों ने मंडियों पर खरीद केन्द्रों की गिनती बढ़ा दी और हर गांव को किसी न किसी केन्द्र के साथ जोड़ दिया है। लेकिन मज़दूरों की कमी की समस्या निरंतर सामने आ रही है। इस संबंधी क्या प्रबंध किया जाए? सरकार की और से बनाई गई नीति खामोश है। जिन किसानों के पास कुछ पक्के कृषि मज़दूर रखे हुए हैं वह भंडार करके स्थिति पर काबू कर लेंगे लेकिन दूसरे आम और छोटे किसान क्या करेंगे?पंजाब और हरियाणा सारे देश को अनाज उपलब्ध करवाते हैं। पंजाब का 99.9 फीसदी रकबा सिंचाई अधीन है। इसका केन्द्र अन्न भंडार में 50 प्रतिशत तक योगदान रहा है। पिछले वर्ष 368 लाख टन अनाज की पैदावार हुई थी जोकि सन्  2017-18 के मुकाबले 51 लाख टन अधिक थी। पंजाब की गेहूं की उत्पादकता भी सभी राज्यों से अधिक है। यह सन् 2018-19 में 5188 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर थी चाहे पंजाब में स्वयं चलित कम्बाईन हारवैस्टर की गिनती अधिक है। लेकिन किसान इनकी उपलब्धता संबंधी भी चिंताजनक है। कुछ कम्बाईन हारवैस्टर जो मध्यप्रदेश से उत्तर प्रदेश होते हुए उन राज्यों में कस्टम हायरिंग करके वापिस आते हैं अभी तक वह वापिस नहीं आए। कुछ किसानों के पास कम्बाईनों के द्वारा कटी फसल को संभालने  मशीनें और औज़ार भी प्रयोग करने योग्य नहीं हैं। उनकी मुरम्मत नहीं हो सकी, क्योंकि स्पेयर पार्ट्स की दुकानें भी बंद रही। कई स्थानों पर तो नये औज़ार भी नहीं मिल रहे क्योंकि निर्माताओं की वर्कशॉप बंद पड़ी है। आई.सी.ए.आर.-भारतीय कृषि खोज संस्थान ने अपने पंजाब में स्थापित खोज स्टेशन के लिए कुछ औज़ार के आर्डर कर्फ्यू के पहले दिए थे जो कर्फ्यू के कारण निर्माताओं ने सप्लाई नहीं किए। ऐसे और भी बहुत किसान हैं जिनको कृषि मशीनरी उपलब्ध नहीं हुई। कृषि और किसान कल्याण विभाग के डायरैक्टर ऐरी ने गेहूं की कटाई की देखभाल और मंडीकरण संबंधी चर्चा करते हुए कहा कि सरकार महसूस करती है कि किसानों को बड़ी मुश्किल आ रही है लेकिन स्थिति इस तरह की होने के कारण सबसे मिलजुल कर इस पर काबू पाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि वह हर किसान संस्था और प्रोड्यूसर ग्रुप को सलाह दे रहे हैं कि वह किसानों के साथ मिलजुल कर हालात को देखते हुए समस्याओं को सुलझाने के यत्न करें। स्टेट अवार्ड और पंजाब सरकार के साथ कृषि कर्मण के पुरस्कार विजेता राज सिंह मोहन कालेका ने कहा है कि किसान अपने-अपने आढ़तियों को निवेदन करें की वह बारदाना किसानों को देकर उनके भंडार में ही गेहूं तोल कर और पंखा लगा कर रखने के लिए और जब मंडी में संभावित हो तो उसको लें ले। इसी तरह अगर किसी ऐसे किसान को खरीफ की बिजाई या घरेलू खर्चे की आवश्यकता पड़े तो उसको दे दें। इसी के साथ ही कुछ किसानों की मुश्किलें भी हल हो सकती हैं। पटियाला आढ़ती एसोसिएशन के सचिव हरबंस लाल ने कहा कि ऐसा करने के लिए सरकारी खरीद एजैसियों को बारदाना (खाली बोरियां) आढ़तियों को देनी पड़ेगीं। अग्रिम भी आढ़तिये तो ही दे सकेंगे जो बैंक लिमिट के लिए ऐसे भंडार को स्वीकृति देंगे।