लॉकडाऊन के दौरान डाल्फिन की देखरेख में सहायी हुए डाल्फिन मित्र

हरीके पत्तन, 10 मई (संजीव कुंद्रा): कोरोना महामारी के संकट ने पूरे विश्व में अचानक सब कुछ रोककर रख दिया है, जिस कारण पर्यावरण पर भी बहुत असर पड़ा है। फैक्टरियों, उद्योग आदि बंद होने के कारण नदियाें, नालों, दरियाओं पर भी असर देखने को मिला, जिस कारण पर्यावरण शुद्ध हो गया और दरियाओं में रहते जल जीव भी स्वच्छ पर्यावरण का आनंद उठाते नज़र आए। ब्यास दरिया जहां कि डाल्फिन मछली पाई गई और इस समय ब्यास दरिया का पानी और भी साफ होने के कारण डाल्फिन प्राकृति का पूरा आनंद ले रही है। इस संबंधी डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की सीनियर प्रोजैक्ट अधिकारी मैडम गीतांजलि कंवर ने बताया कि फैक्टरियां आदि बंद होने से जहां सतलुज का पानी भी साफ हुआ है वहीं ब्यास दरिया का पानी पहले के मुकाबले और भी साफ हो गया है क्योंकि ब्यास दरिया में पहले कूड़ा कर्कट, गंदगी आदि अकसर दिखाई देती थी क्योंकि कई लोग पुलों से कचरा आदि फेंककर इसे प्रदूषित करते थे परंतु लॉकडाऊन के बाद यह सब कुछ बंद हो गया और पानी भी और साफ हो गया, जिस कारण पानी में रहने वाले जीव इस साफ माहौल का आनंद उठाते दिखाई दे रहे हैं।
कौन हैं डाल्फिन मित्र : मैडम गीतांजलि कंवर ने बताया कि डब्ल्यूडब्ल्यूएफ व जंगली जीव व वण विभाग पंजाब द्वारा डाल्फिन की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए एक अभियान के तहत दरिया के नज़दीक पड़ते गांवों के व्यक्तियों का चयन किया गया जिन्हें डाल्फिन मित्र का नाम दिया गया, जिनमें गांव करमूंवाला, गगड़ेवाल, धुन्न, घड़क, देसल, मुंडा, धूंदा, गोइंदवाल साहिब हैं जो ब्यास दरिया के नज़दीक लगते हैं और इन गांवों के आसपास ही अकसर डाल्फिन देखी जाती है और इन गांवों के ही 13 व्यक्ति जो जीव जंतुओं के प्रति प्यार रखते हैं,को डाल्फिन मित्र के रूप में चुना गया है और विभाग द्वारा इन्हें डाल्फिन के रहन-सहन बारे पूरा प्रशिक्षण दिया गया। मैडम गीतांजलि कंवर ने बताया कि लॉकडाऊन के दौरान यह डाल्फिन मित्र हमारे लिए बहुत सहायी हुए हैं जो हमें रोज़ाना डाल्फिन की रिपोर्ट दे रहे हैं।