राजसी चेसलटन हाउस का आर्थिक संघर्ष

प्राकृतिक सौंदर्य में लिपटी ऑक्सफोर्ड शायर घाटी से होकर हम ‘‘समय में संरक्षित’’ चेसलटन हाउस की ओर जा रहे थे जो 17वीं शताब्दी का जैकोबियन युग का भव्य घर है। चार शताब्दियों तक अपने प्रतिष्ठावान पूर्वजों द्वारा निर्मित लालित्यपूर्ण इंटीरियरस वाले, महलनुमा भवन को परिवारजनों ने संरक्षित रखने के अनेक प्रयत्न किए परन्तु 1991 में चेसलटन हाउस बिक गया। बिक्री के समय चेसलटान हाउस के अंतिम स्वामी ने एक अनोखी बात कही-‘‘निर्धनता भी परिरक्षक है’’, जिसने बिना परिवर्तनों के घर को ज्यों का त्यों संरक्षित रखा। अपनी कार से छतरियों के सहारे भारी वर्षा से बच कर हम ढलान वाले घुमावदार मार्ग पर भवन की ओर चल दिए। कार पार्क में चेतावनी लगी थी कि यहां की मैनेजमेंट कीचड़ में फंसी गाड़ियों को निकालने का उत्तरदायित्व नहीं लेती।
इतिहास के गलियारे से
घटती वर्षा में मार्ग पर चलते हुए हमें चेसलटन हाउस से संबंधित रोचक इतिहास याद आया। उसका नाम अंग्रेजी-जर्मन-सेक्सन भाषा के चेस्टर शब्द से अवतरित माना जाता है जिसका अर्थ दुर्ग है। पुरातत्व प्रमाणों के अनुसार ब्रिटेन के लौह युग में (800 बी.सी. - 100 ऐ.डी.) इस गांव में एक पहाड़ी दुर्ग था। पुराने रिकार्ड्स के अनुसार 777 ऐ.डी. में चेसलटन को किंग ओफा ने बेनेडिकटीन ऐबी (ईसाई मठ) को भेंट स्वरूप दिया। फिर पूर्व पढ़ा याद आया कि 1602-4 में वाल्टर जोनस नामक धनवान ऊन व्यापारी ने इस घर को निर्मित करवाया जैसा हम आज देखने वाले थे। परिवार में वैभव एवं सृमद्धि का शीघ्र पतन हुआ परन्तु 400 वर्षों तक आने वाली पीढ़ियों ने चेसलटन हाउस को संरक्षित रखा। जोनस परिवार के अनेक सदस्यों ने 1790 से 1920 तक के समय में अनेक बार भवन की मरम्मत करवाई, जब-जब अतिरिक्त धनवान उपलब्ध हुआ।
चेसलटन हाउस की आर्थिक उदासी
12वीं शताब्दी के सेन्ट मेरी चर्च के आगे से निकलकर हमें चेसलटन हाउस की प्रथम झलक मिली। समय के जाल में फंसा, तीन मंजिला, अनेक खिड़कियों वाला, हल्के पीले स्थानीय पत्थर से निर्मित साधारण चेसलटन हाउस को देख कौन सोच सकता था कि वर्षों तक, यह जोनस परिवार का फैशनेबल, प्रतिभाशाली गृह था जिसके मूलवान फर्नीचर, दीवारों एवं छत की नक्काशी एवं हस्तबुनित टेपसटरीस बहुचर्चित थीं। बाहर वर्षा एवं ठंड से, हमने ऐनटरेन्स लॉबी की गरमाहट में प्रवेश किया जिसके आगे शानदार स्क्रीन्स गलियारा था। 16वीं शताब्दी के मूल्यवान ओख लकड़ी के स्क्रीन्स पर बारीक अद्वितीय  नक्काशी की हुई थी और इसके पीछे ग्रेट हॉल था। आज यह यात्रा वृत्तांत लिखते हुए याद आता है कि भवन में एक उदासी का वातावरण था जो संभवत: सदियों की आर्थिक कुंठा से उत्पन्न हुआ होगा।
मध्यकालीन ग्रेट हाल
विशाल कक्ष में एक थोड़ा ऊंचा थड़ा था जिस पर उगा पद परिवार के सदस्य एवं अतिथि भोजन खाते थे और नीचे उनका स्टाफ एवं अन्य। वोलनटियर पुरुष ने हमें बताया कि वर्ष 1600 तक इस परम्परा का अंत हुआ एवं निजी डाइनिंग कक्षों में भोजन खाना आरंभ हुआ। 19वीं शताब्दी में बनाए पत्थर के फर्श पर रखा ओख लकड़ी का डाइनिंग टेबल एवं दीवारों पर टंगी फैमली पोरटरेट्स (विशाल चित्र) मानों चेसलटन हाउस के प्रथम स्वामी से अंतिम स्वामी की कथा सुनाती हैं।
वाइट पारलर में नक्काशी 
फिर हमने वाइट पारलर में प्रवेश किया जो अंति उत्तम कीमती ओख लकड़ी की नक्काशी से परिपूर्ण है और उसकी सुंदर श्वेत दीवारें एवं छत है जो वर्षों तक अतिथियों का निजी स्वागत कक्ष था। वहां अनेक रोचक ‘पारलर गेमस’ प्रदर्शित थीं जो महारानी विक्टोरिया के युग में लोकप्रिय थीं क्योंकि टेलीविजन न होने पर अक्सर परिवार एवं अतिथि ऐसे रोचक खेलों से मनोरंजन करते थे। फिर टी.वी. के आविष्कार से धीरे-धीरे गेम्स का पतन हुआ।
बड़ा ग्रेट पारलर
ग्रेट पारलर कक्ष में भी डाइनिंग टेबल सजा था जो पूर्व देखा ग्रेट हॉल के ओख टेबल से अधिक बेहतर था। इस कक्ष को निजी भोजन कक्ष के रूप में उपयोग किया जाता होगा। यहां पर तीन अनुपत्र प्रदर्शन थे-एक तो 18वीं शताब्दी की फ्रेन्च टेपस्ट्री जो इतनी बारीक कढाई से बनी थी मानों पेंटिंग हो। दूसरी थी 19वीं शताब्दी की बहुमूल्य सटेनड ग्लास विन्डोस (खिड़कियां) और तीसरे थे पिघले कांच से हस्त रचित कांच के ग्लास।
शानदार लौंग वैली
तीसरी मंजिल पर जाकर हमने 22 मीटर लम्बी भव्य लौंग गैलरी (बहुत लम्बा गलियारा) देखी जो अद्वितीय, उत्कृष्ट लकड़ी की पैनलिंग एवं प्लास्टर वर्क से बनी थी। पूर्व में इसे जोनस परिवार का प्रतिष्ठा चिन्ह माना जात था क्योंकि इसके आर्कीटैक्चर को सभी अतिथि देखना चाहते थे। आज यह एक सूना गलियारा है जिसमें कुछ कुर्सियां एवं वर्ष 1500 का लेदर संदूक सजा है। आर्थिक तंगी के कारण लौंग गैलरी की छत खराब हो गई और वर्षों तक रिपेयर न करवाई जा सकी। टाइम मशीन में मैंने अपने को मध्यकाल में पाया जब लालित्यपूर्ण लौंग गैलरी में दीवारों पर और आसपास महंगे चित्र एवं वस्तुएं सुसज्जित थीं। वर्षा दौरान परिवार जन यहां सैर किया करते थे एवं यहां अनेक मनोरंजन के साधन भी थे। फिर बाद में, हाल ही के वर्षों में यहां परिवारजन बैडमिंटन खेलते थे एवं यह स्टाफ के आने-जाने का पैसेज बन कर रह गया।
अनोखी प्रथम मंजिल
अधिकतर ग्राउंड फ्लोर के कक्षों में कृत्रिम प्रकाश है और छत के नीचे दीवार पर बनी खिड़कियों से प्रकाश के किरण पुंजों से बनती परछाइयों में हमने सभी प्रदर्शन देखे। (विद्युत लाइट्स के अधिक प्रयोग से मध्यकालीन प्रदर्शन शीघ्रता से क्षीण हो जाते हैं) हम उत्सुकता से प्रथम मंजिल की ओर बढ़े जहां अनेक विशाल खिड़कियां थीं।हमें वोलनटियर पुरुष ने बताया कि मध्यकालीन समय से चेसलटन हाउस में दो स्टेयर केस थे-एक परिवार एवं स्टाफ के लिए और दूसरा औपचारिक भव्य स्टेयर केस जो विशेष अतिथियों द्वारा उपयोग किया जाता था एवं नक्काशी वाले शानदार लकड़ी स्तम्भों से रचित है। 17वी शताब्दी में ब्राइट रंगों से बुनी चेसलटन डोरनी से सुसज्जित दीवार ने प्रथम मंजिल पर हमारा स्वागत किया और हमने प्रथम शयन कक्ष फेटीप्लेस बैडरूम में प्रवेश किया। वर्ष 1600 में जब धनवान स्थानीय फेटीप्लेस परिवार की बेटी, बहु बन के चेसलटन हाउस में आई तो उसके सम्मान में इस बैडरूम का नाम रखा गया। इस कक्ष की 17वीं शताब्दी की विशाल टेपस्ट्रीस अद्वितीय हैं (कपड़े पर बारीक हस्त कढाई से बना चित्रपट)। अति उत्तम नक्काशी वाला सुंदर बैड एवं मैचिंग फर्नीचर भी दर्शनीय है। वोलनटियर महिला ने हमें कई सौ वर्ष पुराना, विशिष्ट क्रूएल कढाई का बैडकवर भी दिखाया।
अद्वितीय टेपस्ट्री शैलडन रूम
चेसलटन मैनर के प्रथम स्वामी वाल्टर जोनस के घनिष्ठ मित्र रेफ शैलडन के सम्मान में इस कक्ष का नाम रखा गया। फिर आने वाले वर्षों में यह कक्ष चेसलटन मैनर के आर्थिक कठिनाइयों से जूझते अनेक स्वामियों का बेडरूम रहा। लकड़ी पर अति-उत्तम नक्काशी वाला बैड एवं 16वीं शताब्दी की अद्वितीय टेपस्ट्रीस, शेल्डन रूम की प्रमुखता हैं। सुंदर टेपस्ट्रीस का विषय अनोखा था-प्राचीन भवन (ग्रीक) ग्रह देवता। (क्रमश:)